त भै-बंधो दिन बार से बैठे हुए थे आप जम्याळे पर हाथ लगा
के,कि प्रदेश सरकार की लॉकडौन (अंग्रेजी में तो lockdown ही है,ये) की गाइडलाइन अब्बी आती है,तब्बी आती है बल ! अर इस इंतजार में 08 पी.एम. भी पार
हो गया. तब जा के दर्शन दिखाये बल गाइडलाइन ने ! गाइडलाइन न हुई,बद्रीनाथ के कपाट हो गए कि निश्चित मुहूर्त पर ही खुलेंगे और दर्शन देंगे
!
और महाराज जो दर्शन दिये हैं तो क्या गज़ब है. इस गाइडलाइन
के इंतजार में जम्याळे पर हाथ लगा कर बैठी पब्लिक अब बरमण्ड कंज्या रही है कि है क्या
बला ये ? गाइडलाइन में तो दो लाइन ऊपर और चार लाइन नीचे है,हिन्दी
में. बाकी तीन पन्ने में से सवा दो पन्ने तो घनघोर अंग्रेजी में हैं. पिछली बार 02
जुलाई को जो अनलॉक की गाइडलाइन निकली थी,वो भी ऐसी ही धकापेल
अंग्रेजी में थी.
हमारे यहाँ तो बाबू साब,जब अंग्रेजी आदमी के अंदर जाती है,तब ही अंग्रेजी उसके
मुंह से बाहर आती है. पर बींगता तो वह तब भी न्हैं है अंग्रेजी !
तो ये जो गाइडलाइन देर में निकली,क्या इसलिए देर में निकली होगी कि अंग्रेजी अंदर जाने का टाइम हो तो अंग्रेजी
अंदर जाये और तब अंग्रेजी बाहर आए ? अरे नहीं भाई,ये बड़े साहब लोग हैं,सुबह-शाम,सोते-जागते,हँसते-रोते अंग्रेजी में ही रहते हैं. अमिताभ बच्चन
की नमक हराम फिल्म के माफिक- दे टॉक इंगलिश,वॉक इंगलिश,ईट इंग्लिश,ड्रिंक इंग्लिश
!
पर मुश्किल ये है साब कि नौकरशाही हिन्दी
बच्याती नहीं,जनता
अंग्रेजी बींगती नहीं ! आदेश निकला अंग्रेजी में और जनता के बरमण्ड के ऊपर से वैसे
ही उछल के चला गया,जैसे आजकल एक धुर्पळे
से दूसरे धुर्पळे बांदर फाळ मार रहे हैं, पहाड़ में. लोग बींगें
न बींगें साब लोगों ने तो आदेश निकाल दिया है. पालन न करोगे तो चालान होगा. आदमी कहेगा-
साब मैं तो बींगा ही नहीं गाइडलाइन को. साहब फिर अंग्रेजी में
जवाब देंगे- ignorance of law is not an excuse ! वो बेचारा फिर
नहीं बींगा ! पर जुर्माना वसूलने वालों ने उसे फुल मूंडा !
नुक्ता यह भी है कि इस घनघोर अंग्रेजी में निकले आदेश
को फर्राटे से कितने मंत्रीगण पढ़ लेंगे और बींगने में कितनों के आया होगा ये और 02
जुलाई वाला ?
वैसे इस बींगने और बच्याने के झंझट से पार देखें तो मेहनत
तो क्या गज़ब करती है साहब, इस राज्य की नौकरशाही. तीन पन्ने में
अधिकांश वही मटिरियल है,जो 02 जुलाई की चिट्ठी में था और जो अंग्रेजी
में केंद्र से आया था. पर मेहनत देखो भाई लोगों की,पूरा दिन मेहनत
की कॉपी-पेस्ट करने में. सारा दिन लगा,साँझ ढली तब निकल सका आदेश
! ऐसे नहीं कि पहले से आधे से ज्यादा पत्र मौजूद था तो हड़बड़ी में तुरत-फुरत में चिपकाया
और चलते बने ! न जी,साँझ भर दफ्तर में बैठे तब निकल सका आदेश
!
और आदेश क्या गज़ब है,चार जिलों में
शनिवार-रविवार को लॉकडाउन तो होगा पर उद्योग चलेंगे,खेती और निर्माण
कार्य भी होंगे,दारू की दुकानें खुली रहेंगे और होटल भी ! अंग्रेजीदां
साहब बहादुरों को पर्सनली इन्फॉर्म किया होगा कोरोना ने इन जगहों पर वह कतई नहीं जाएगा
!
ऐसे गजब साहब लोग हैं राज्य में,तभी तो राज्य भी च्वां-च्वां हो रखा है ! बस इस च्वां-च्वां में चुंच्याट ज्यादा है जरा ! इसी
चुंच्याट
में राज्य किस दिन ढंगार उंद फरके जाएगा,कुजाणी तब !
-इन्द्रेश मैखुरी
3 Comments
एक और शानदार नुक्ताचीनी
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteहाहाहा भैजी🤣🤣😂🤣😂
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