उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री कार्यालय-लोक
भवन के सामने कल-17 जुलाई को एक भयानक मंजर दिखाई दिया. अचानक एक महिला खुद को आग लगा कर दौड़ने
लगी. यह हतप्रभ करने वाला दृश्य था.
50 वर्षीय सोफिया और सोफिया की 28 वर्षीय बेटी गुड़िया
थे जिन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय के सामने आत्मदाह करने की कोशिश की. खबरों के अनुसार
सोफिया 80 से 90 प्रतिशत और गुड़िया 10 से 20 प्रतिशत जल गयी. लेकिन सवाल यह है कि कोई
ऐसा कदम क्यूँ उठाएगा ?
आम तौर पर गुंडो की जाति देख कर उनके लिए दबंग शब्द प्रयोग
करने का चलन है. तो दबंगों ने अमेठी की रहने वाली इन माँ-बेटी की जमीन के विवाद में
पिटाई की. इस मारपीट की रिपोर्ट लिखवाने ये माँ-बेटी थाने गई तो वे दबंग बताए जा रहे
गुंडे भी थाने आ गए और पुलिस के सामने ही उन्हें थाने से भगाने लगे. वहाँ से वापस आ
कर उन्होंने माँ-बेटी के साथ फिर मारपीट की. स्थानीय पुलिस प्रशासन इन्हें सुरक्षा देने
में नाकाम रहा. स्थानीय स्तर पर इनकी सुनवाई नहीं हुई तो ये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
के सामने अपनी पीड़ा बयान करना चाहती थी. समाचारों के अनुसार वे एक महीने से योगी से
मिलने की कोशिश कर रही थी. जब कल भी वे मुख्यमंत्री से न मिल सकी तो उन्होंने लखनऊ
में मुख्यमंत्री कार्यालय-लोकभवन के गेट नंबर 03 पर अपने ऊपर तेल छिड़क कर आत्मदाह करने
की कोशिश की.
स्वयं को जलाने की हद तक जाना तो चरम हताशा को
ही दिखाता है. जब सामान्य तौर पर जिंदा रहना मुश्किल लगने लगे तभी कोई इस तरह की अतिवादी
कार्यवाही करेगा,जो स्वयं को अत्याधिक पीड़ा पहुंचा कर मरने
की दहलीज तक पहुँचा दे ! घटनाक्रम से साफ है कि जब कहीं इन महिलाओं की सुनवाई नहीं
हुई तो वे यह अतिवादी कदम उठाने को मजबूर हुई.
आत्मदाह की घटना होने की बाद अमेठी में जिस इलाके की रहने
वाली ये महिलाएं हैं,वहाँ के एक दारोगा और थाना अध्यक्ष को
निलंबित कर दिया गया है. अमेठी की पुलिस अधीक्षक के अनुसार महिलाओं द्वारा आत्मदाह
करने की कोई सूचना नहीं थी. सूचना जो थी,उस पर क्या कार्यवाही
हुई ? महिलाओं की प्रताड़ना रोकने की कोई ठोस कार्यवाही तो हुई नहीं,उनकी शिकायत के बावजूद.
बहुत दिन नहीं हुए जब मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने ज़ोरशोर
से ऐलान किया कि अपराधी या तो जेल में हैं या उत्तर प्रदेश छोड़ कर जा चुके. इस घटना
ने इस बयान के खोखलेपन को पुनः उजागर कर दिया है. इस से यह भी सिद्ध हुआ कि दावों का
बड़बोलापन अपनी जगह है और गरीब,मज़लूमों पर जुल्मो सितम अपनी जगह, जस का तस है. अन्य किसी के शासन में ऐसी वारदात हुई होती तो यह गुंडाराज,जंगल राज जैसे नामों से पुकारा जाता. पर चूंकि यह भाजपा राज में और वह भी उत्तर प्रदेश
की घटना है तो इससे निपटने के लिए सरकार से लेकर मीडिया तक चुप्पी को ही सर्वाधिक बेहतर
विकल्प समझ रहे हैं. लेकिन उस महिला के शरीर से उठती आग की लपटों तो चीख-चीख कर कह
रही हैं कि उत्तर प्रदेश में संवेदना और कानून-व्यवस्था से भी ऐसी लपटें रह-रह कर उठ
रही हैं.
-इन्द्रेश मैखुरी
1 Comments
दुःखद
ReplyDeleteपर इसपर तो सत्ता पक्ष की एक सांसद विपक्ष से सवाल पूछ रहीं थी अब ये भी आ रहा है कि कांग्रेस ने इन्हें उकसाया था ???