कोरोना काल में इम्यूनिटी की बड़ी
चर्चा है. इम्यूनिटी बोले तो प्रतिरोधक क्षमता.
प्रतिरोधक क्षमता बड़ी जरूरी चीज है. शरीर को चाहिए
ताकि रोगों से लड़ सके और समाज को चाहिए ताकि बुराइयों से लड़ सके.
लेकिन अच्छे दिनों में चूंकि बुराइयाँ सिरमौर हैं. इसलिए
मुनादी हो रही है कि समाज की जो प्रतिरोधक
क्षमता है,सब देश द्रोही घोषित कर दी गयी है. यह तजवीज किया जा
रहा है कि समाज को प्रतिरोधक क्षमता नहीं,हाँ में हाँ मिलाने
की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है.जयजयकार और चरण पखारने का कौशल विकास करने की जरूरत है.
ये क्षमता न बढ़ा सकोगे तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी काम न देगी. ये बढ़ा लोगे तो
सावन के अंधे की तरह सब हरा-हरा नजर आएगा, घुप्प अंधेरा भी सवेरा
नजर आएगा,पराजय वाला हार,फूलों का हार नजर
आएगा,शेर का माइबाप सियार नजर आएगा ! जब ऐसी नजर हो जाये तो करना
क्या है,प्रतिरोधक क्षमता का !
समाज की प्रतिरोधक
क्षमता प्रतिबंधित विषय करार दिया जा चुका है. सारा ज़ोर अब शरीर की
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर है. कोरोना काल में यह ज़ोर बढ़ गया. जिसे देखो वो चला आ रहा
है कि महाराज ये खा लो तो शरीर ऐसे अभेद्य किले में तब्दील हो जाएगा कि कोरोना क्या
उसके फरिश्ते भी चक्कर खा कर गिरेंगे कि किस से टकरा गया !
और कहाँ-कहाँ है भाई साहब इम्यूनिटी ! साबुन कंपनी
वाले
कह रहे हैं,हमारे सेनिटाइजर से हाथ
दो,हाथ तो धुलेगा-धुलेगा,किटाणु भी धुलेगा
और इम्यूनिटी बढ़ जाएगी ! हाथ बाहर से धोएंगे और शरीर
के अंदर इम्यूनिटी बढ़ जाएगी !
तो भय्या यह सेनिटाइजर
बनाया तुमने या चमत्कार ! बस इतना बता दो कि यदि इसे शरीर के अंदर डाल देंगे तो इम्यूनिटी
बढ़ेगी
या कि नहीं ? और यह सिर्फ कहना नहीं है,करके
बताओ हाथ धोने से इम्यूनिटी बढ़ने का दावा करने वालो. जरा
मुंह से शरीर के अंदर डालो तो इस सेनिटाइजर को,जिसके बारे में तुम्हारा दावा है कि इससे हाथ धोने से इम्यूनिटी
बढ़ती है. जरा देखें तो जब यह तुम्हारे पेट में जाएगा तो इम्यूनिटी बढ़ती है कि तुम ही बढ़ जाते
हो दुनिया से ! कुछ नहीं आपदा में अवसर खोज रहे हो भय्ये !
एक मंत्री जी लाये हैं, इम्यूनिटी बूस्टर,नाम है-भाभी
जी पापड़ !
दुनिया में वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए पापड़ बेल रहे हैं !
इधर अपने मंत्री जी बेला हुआ पापड़ का पूरा पैकेट ले आए ! बोले लो पापड़ तलो और कोरोना
से लड़ो ! भई मंत्री जी से बड़ी शिकायत है,हमको. तीन महीने पहले
क्यूँ न ले आए,वो ये पापड़ ? पूरा देश पापड़
खाता और कोरोना अपनी मौत आप मरता ! दुनिया दांतों तले उंगली दबा के देखती. सारे वैज्ञानिक
संस्थानों को बंद करके वैज्ञानिकों को पापड़ बेलने पर लगा दिया जाता !
मंत्री जी ले तो आए पापड़ पर सप्लाइ चेन कमजोर है उनकी.
तभी तो जगह-जगह कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के चलते उनकी ही पार्टी के नेता कोरोना की चपेट
में आ रहे हैं.भई मंत्री जी इलाज सब तक पहुंचाना आपके बूते का नहीं,कम से कम पापड़ ही पहुंचा दो !
धर्म के कारोबार वाले कहाँ पीछे रहने वाले हैं. एक कह
रहे हैं मंदिर बनेगा तो देखो कोरोना छू मंतर हो जाएगा. दूसरे कह रहे हैं-मस्जिद में
नमाज होगी तो कोरोना छू मंतर. कुछ के लिए मंदिर-मस्जिद ही इस देश में इम्यूनिटी
बूस्टर है,उनके
अस्तित्व का आधार है. मंदिर-मस्जिद का चर्चा,वितंडा,दंगा न हो तो शरीर की इम्यूनिटी,उन्हें तत्काल
कम होती मालूम पड़ती है.
गोबर एक और महत्वपूर्ण पदार्थ है,जिसे इम्यूनिटी बूस्टर
बताया जा रहा है. वैसे बीते कुछ सालों में गोबर ने हमारे जीवन की हर चीज का स्थान ले
लिया है. इलाज क्या है गोबर,श्रद्धा किसमें है-गोबर में,कला कहाँ है-गोबर में,विज्ञान किधर है-गोबर में,शिक्षा क्या है-गोबर,रोजगार
कहाँ से आएगा-गोबर से,करना क्या है-गोबर,धरना क्या है-गोबर,कोरोना से कौन बचाएगा-गोबर और परमाणु
हमले से कौन बचाएगा-गोबर,स्वाद किसमें है-गोबर में,इलाज किसमें है-गोबर में.
गोबर महिमा के इस दौर में दिमागों में भी गोबर ही सुशोभित
किया जा रहा है. गोबर महिमा के मामले में विश्वगुरु होना सर्वाधिक सुगम प्रतीत होता
है ! अब तो ग्लोबल इंटीग्रेशन
भी गोबर इंटीग्रेशन ही ही रहा है !
इम्यूनिटी-फिम्यूनिटी तो आनी-जानी है. गोबर ही शाश्वत
है,गोबर ही सत्य
है. बहुतों के लिए तो इम्यूनिटी, करियर,पॉलिटिक्स सब
कुछ बूस्टर गोबर ही है !
-इन्द्रेश मैखुरी
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🤣🤣
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