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थप्पड़ प्राधिकारी हैं मंत्री जी के लाइजन अफसर ?




छोटा सा राज्य है,हमारा और उससे छोटा मंत्रिमंडल है उसका. मंत्रिमंडल तो थोड़ा बड़ा हो सकता था पर छोटे में ही चल रहा है. पर इस छोटे राज्य के छोटे मंत्रिमंडल के जो मंत्री हैं,वो बहुत बड़े वाले हैं. कई बार लगता है कि राज्य छोटा पड़ गया उनके फैलाव के लिए. उत्तर प्रदेश में रहते तो भी बली-महाबली-बाहुबली टाइप हो कर झंडे गाड़ रहे होते.


पढ़ाई-लिखाई के महकमे के मंत्री जी को ही देख लीजिये. जैसे करतब और कारनामे हैं उनके,उसके लिए राज्य को बड़ा होना मांगता था. चुनाव के समय जो शपथ पत्र चुनाव आयोग को दिया है,उन्होंने,कभी उस पर नजर मार के देखिये. उसमें जो मुकदमों की फेरहिस्त है,वो इस राज्य के कुल वर्षों से लंबी है. धाराओं की धार का भी कोई पारावार नहीं है !


जब मंत्री जी ऐसे बली-महाबली-बाहुबली टाइप हैं तो चेले-चपाटे,इक्कीस नहीं तो उन्नीस तो होने ही चाहिए. कम से कम लोगों को धमकाने की कला में तो पारंगत होना ही चाहिए उनको भी !


इसी कला का प्रदर्शन करते हुए सुनते हैं कि मंत्री जी के लाइजन अफसर ने उत्तरकाशी के जिला शिक्षा अधिकारी को धमका दिया.इस बाबत चिट्ठी, जिला शिक्षा अधिकारी ने मंत्री जी को लिखी है.






पर भई इस धमकाने के वाकये से मैं बहुत नाराज़ हूँ ! जिला शिक्षा अधिकारी को धमकाया गया इसलिए ? नहीं,नहीं इसलिए नहीं. यह तो होना ही है,पढ़-लिख कर परीक्षा पास करके वे नौकरी इसीलिए तो कर रहे हैं कि जब वे नियम-कानून का वास्ता दें तो मंत्री संतरी के चिरकुट-चंपूओं द्वारा धमकाए जाएँ !


नाराज़गी तो इसलिए है कि धमकी मंत्री जी के स्तर से नीचे यानि below standard है. जिन मंत्री जी के चुनाव आयोग में दिये शपथ पत्र की महिमा का ऊपर इतना बखान किया गया है,उनके चेले-चपाटों द्वारा धमकी भी बड़ी दिया जाना मांगता है !


ये क्या धमकी हुई-यहाँ पर देखते-देखते थप्पड़ पड़ जाते हैं,मैं तुम्हें थप्पड़ मार दूंगा ! धमकी तो कुछ भारी-भरकम हो जैसे कि रे मास्टर ये नियम-कानून का बोझा उठा ले वरना ऐसा न हो कि तू ही उठ जाये ! आदि-आदि.मैं तो सिर्फ हिन्दी फिल्मों के कनॉलेज(जिसे अँग्रेजी दां लोग नॉलेज बोलते हैं) यानि ज्ञान से गढ़ पा रहा हूँ,ऐसी धमकी ! जिन्हें प्रैक्टिकल कनॉलेज मतलब नॉलेज है,वो तो ज्यादा बड़ी और शुद्ध देसी टाइप की धमकी दे पाएंगे. धमकी देने में भी आत्मनिर्भर टाइप होना मांगता है !


 स्कूलों में मास्टर लोगों का बच्चों को मारना प्रतिबंधित है. अब वे बच्चों को मार नहीं सकते. तो क्या अब ये अधिकार मंत्री जी के लाइजन अफसर के पास चला आ गया है ? उनकी धमकी से तो लगता है कि वे थप्पड़ मारते रहे हैं ! अब राज्य में थप्पड़ मारने के प्राधिकृत अधिकारी क्या मंत्री जी के लाइजन अफसर हैं ? यदि ऐसा है तब तो जिला शिक्षा अधिकारीउत्तरकाशी को इस धमकी का बुरा नहीं मानना चाहिए बल्कि थप्पड़ मारे जाने के लिए सहर्ष ही स्वयं को प्रस्तुत करना चाहिए था ताकि लाइजन अफसर अपने प्राधिकार का इस्तेमाल सहजता, सरलता और कुशलता पूर्वक कर सकें. पढ़ाई-लिखाई के मामले में तो महकमें  में ट्रांस्फर-पोस्टिंग की  मचमच मची रहती है तो क्या पता इस थप्पड़ प्राधिकार में ही विश्वगुरु हो जायें,क्यूँ मंत्री जी !


-इन्द्रेश मैखुरी

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