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अभूतपूर्व विकास के कुछ नमूने



सोशल मीडिया में इस समय एक युवती स्वाति ध्यानी की असमय मृत्यु चर्चा का विषय बनी हुई है. 





यह युवती गर्भवती थी. पौड़ी जिले के रिखणीखाल स्थित सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव पीड़ा के बाद 28 जून को उसे भर्ती कराया गया था. 29 जून को बच्चा मृत पैदा हुआ.डिलिवरी नॉर्मल थी. लेकिन बाद में अचानक स्वाति की हालत बिगड़ने लगी तो डाक्टरों ने उसे हायर सेंटर रेफर करने को कहा. जब परिजन उसे कोटद्वार अस्पताल ले कर पहुंचे तब तक स्वाति दम तोड़ चुकी थी. डाक्टरों के अनुसार अत्याधिक रक्तस्राव से स्वाति की मृत्यु हो गयी. 23 साल की युवा लड़की,जिसकी डेढ़ साल पहले ही शादी हुई थी,वह  सरकारी अस्पतालों की रेफरल व्यवस्था का शिकार हो कर प्राणों से हाथ धो बैठी.




फरवरी के महीने में चमोली जिले के कर्णप्रयाग ब्लॉक के पैंखोली गाँव के आनंद लाल की 25 वर्षीय पत्नी सुनीता देवी  इलाज के अभाव में काल कवलित हो गयी. सुनीता देवी ने गाँव में ही एक बच्ची को जन्म दिया. प्रसव के कुछ समय बाद ही सुनीता देवी को तेज रक्त स्राव हो गया. गाँव में मोबाइल नेटवर्क न होने के कारण 108 या एंबुलेंस को नहीं बुलाया जा सका. गाँव से सड़क तीन किलोमीटर और निकटतम अस्पताल 25 किलोमीटर दूर है. रात में ही महिला-पुरुष सुनीता देवी को  कुर्सी में बैठा कर अस्पताल के लिए चल पड़े. लेकिन रास्ते में ही नवजात  और सुनीता देवी दोनों ने दम तोड़ दिया.




मई के महीने में चमोली जिले के नारायणबगड़ ब्लॉक  में लगभग ऐसी ही घटना हुई. वहाँ 20 साल की एक युवती का दो महीने का गर्भ गिर गया और खून बहने लगा. लड़की को गाँव से पाँच किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नारायणबगड़ लाया गया. वहाँ इलाज न हुआ तो 30 किलोमीटर दूर कर्णप्रयाग ले जाया गया. वहाँ भी पूरी तरह से इलाज नहीं हुआ और कर्णप्रयाग से श्रीनगर(गढ़वाल) ले जाने की सलाह दी गयी. परिजन युवती को श्रीनगर(गढ़वाल) ले आए. श्रीनगर में श्रीकोट स्थित बेस अस्पताल वालों ने युवती को यह कहते हुए संयुक्त चिकित्सालय, श्रीनगर भेज दिया कि दोनों अस्पतालों का गायनी वार्ड संयुक्त रूप से चल रहा है. श्रीनगर में महिला डॉक्टर ने कोरोना की जांच के लिए वापस बेस अस्पताल भेज दिया. बेस अस्पताल में युवती की एक पूरे दिन कोई जांच ही नहीं हुई. सी.एम.एस. से लेकर जिलाधिकारी पौड़ी तक को फोन किए गए. फिर कोरोना की रिपोर्ट आने के अगले दिन से उसका इलाज बमुश्किल शुरू हो सका. श्रीनगर में इलाज की लचर स्थिति देख परिजन लड़की को देहारादून ले जाना चाहते थे. लड़की लगता है कि  एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ठेले जाने की प्रक्रिया से थक चुकी थी. उसने जिद की कि उसे घर ले जाया जाये और घर पहुँचने के दस मिनट के अंदर उसके प्राण पखेरू उड़ गए.
इस प्रकरण का विस्तृत ब्यौरा आइसा के साथी अतुल सती के 14 मई के फेसबुक पोस्ट में पढ़ा जा सकता है.अतुल सती के फेसबुक पोस्ट का लिंक - https://www.facebook.com/photo.php?fbid=2934737719958422&set=a.123535337745355&type=3&theater


06 जुलाई को भाजपा के किच्छा से विधायक राजेश शुक्ला का एक वीडियो सोशल मीडिया में वाइरल हुआ,जिसमें शुक्ला, रुद्रपुर के जिला अस्पताल में धरने पर बैठे और चिल्लाते हुए दिखाई दे रहे हैं.





 यहाँ भी मामला ऊपर वर्णित दो घटनाओं जैसा ही है. किच्छा के ग्राम भंगा की 30 वर्षीय पार्वती देवी को प्लेटलेट्स की कमी होने पर परिजन जिला अस्पताल,रुद्रपुर ले कर आए. सरकारी अस्पताल वालों ने निजी अस्पताल रेफर कर दिया. निजी अस्पताल वालों ने भर्ती करने से पहले दस हजार रुपये एडवांस और उसके कुछ समय बाद बारह हजार रुपये जमा करने को कहे. इतना पैसा जमा न कर सकने के चलते परिजन महिला को हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी राजकीय मेडिकल कॉलेज ले गए. वहाँ भी महिला को भर्ती नहीं किया गया. पूरा दिन भटकने के बाद परिजन अगली सुबह पार्वती देवी को पुनः जिला अस्पताल,रुद्रपुर ले आए.अस्पताल में भर्ती करते ही महिला की मौत हो गयी. इस प्रकरण में अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए विधायक राजेश शुक्ला धरने पर बैठे,कुछ चीखे-चिल्लाये और जांच के आश्वासन पर उठ गए. 


जिस दिन किच्छा के विधायक रुद्रपुर अस्पताल के सामने धरने पर बैठ कर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप उत्तराखंड सरकार द्वारा संचालित अस्पताल पर लगा रहे थे,उस के तीन दिन पहले भाजपा संगठन की ओर से उत्तराखंड के प्रभारी श्याम जाजू के अखबारों में छपे बयान का शीर्षक था – “त्रिवेंद्र के नेतृत्व में हुआ अभूतपूर्व विकास” !








ऊपर वर्णित इलाज के अभाव में महिलाओं के मरने की घटनाएँ बीते कुछ महीनों की है. अगर ये उस अभूतपूर्व विकास के नमूने हैं,जिसका बखान श्याम जाजू कर रहे हैं तो ऐसे अभूतपूर्व विकास का भूतपूर्व हो जाना ही अच्छा है,उत्तराखंड की जनता की सेहत के लिए ! या अस्पतालों में लोगों को इलाज की उपलब्धता,भाजपा और जाजू साहब के विकास के अभूतपूर्व होने के पैमाने से बाहर है ?


-इन्द्रेश मैखुरी   

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