एक पुरानी कहावत है :
करत-करत अभ्यास के
जड़मति होत सुजान
रसरी आवत जात तैं
सिल पर परत निसान
यानि अभ्यास करते-करते कमजोर बुद्धि वाला वैसे ही बुद्धिमान
हो गया,जैसे कुऐं से बाल्टी निकालने की रस्सी के घर्षण से कुऐं की जगत का कठोर पत्थर
घिस गया और उस पर रस्सी के निशान पड़ गए.
जिस कथा में यह कहावत आई थी,वह भी पढ़ाई में कमजोर बालक की कथा थी,जिसे मेहनत के लिए
प्रेरित करने के लिए यह कहावत सुनाई गयी थी.
इसी कहावत को मूर्त कर दिखाया तेलंगाना के एक शख्स ने
जिसने 33 साल में हाई स्कूल की परीक्षा पास की है.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्स्प्रेस
के अनुसार मोहम्मद नूरुद्दीन ने पहली बार दसवीं की परीक्षा 1987 में दी थी,लेकिन वो अंग्रेजी में पास न हो सके. उसके बाद वे हर साल परीक्षा देते रहे.
लेकिन मामला अंग्रेजी में अटक जाता.
इंडियन एक्स्प्रेस की खबर के अनुसार 51 वर्षीय मोहम्म्द
नूरुद्दीन ने कहा कि वो पढ़-लिख कर फौज या पुलिस में जाना
चाहते थे.
लेकिन उनका यह सपना पूरा न हो सका. नूरुद्दीन कहते हैं कि उन्होंने सोचा
था कि ये अंतिम बार है,जब वो परीक्षा दे रहे हैं. लेकिन इस बार
वे पास हो गए. नूरुद्दीन के दो बेटों ने अभी-अभी इंटरमीडिएट पास किया है और उनकी बेटी
बी.कॉम कर चुकी है.
यह कहा जा सकता है कि नूरुद्दीन और उनके सपनों के बीच
में 33 साल तक अंग्रेजी दीवार बन कर खड़ी हो
गयी. लेकिन इस बार कोरोना ने इस दीवार को गिरा दिया. दरअसल हुआ यूं कि तेलंगाना बोर्ड
ने इस बार बोर्ड की परीक्षाएँ रद्द कर दी और सब छात्र-छात्राओं को पास कर दिया. जो
कोरोना बाकी दुनिया के लिए कहर बन कर आया,वह नूरुद्दीन के लिए वरदान बन गया.लेकिन इसमें 33 साल तक परीक्षा देने के नूरुद्दीन
के जज्बे को कमतर नहीं आंका जा सकता. नूरुद्दीन परीक्षा के मैदान में डटे रहे,तभी कोरोना काल में बिना परीक्षा दिये पास हो सके.
-इन्द्रेश मैखुरी
इंडियन एक्स्प्रेस की खबर का लिंक- https://indianexpress.com/article/education/telangana-ssc-results-2020-after-33rd-failed-attempts-51-year-old-man-becomes-success
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