प्रति,
श्रीमान प्रधानमंत्री महोदय,
भारत
सरकार, नयी
दिल्ली.
महोदय,
इस
समय पूरा देश कोरोना के कहर से जूझ रहा है. हर दिन जो कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा
सामने आ रहा है,वह
एक दिन में दुनिया में सर्वाधिक सिद्ध हो रहा है. साथ ही देश का बड़ा हिस्सा बाढ़ की
विभीषिका से जूझ रहा है. कोरोना के कारण आवागमन मुश्किल है क्यूंकि यातायात के
साधनों की भारी कमी है. इसके बीच में केंद्र सरकार और एन.टी.ए. ने ऐलान किया है कि
मेडिकल और इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए होने वाली नीट(NEET) और JEE की परीक्षाएँ सितंबर में आयोजित की जाएंगी.
उक्त दोनों परीक्षाओं में लगभग 25 लाख छात्र-छात्राएं
सम्मिलित होंगे. जब कोरोना का कहर अपने चरम पर है,ऐसे में इतनी
बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं को परीक्षा देने के लिए विवश करना,उनके जीवन को संकट में डालना है.
उत्तराखंड जैसे दुर्गम पहाड़ी प्रदेश में नीट के मात्र
तीन परीक्षा केंद्र- देहारादून,रुड़की और हल्द्वानी तथा जे.ई.ई.
के छह परीक्षा केंद्र- देहारादून, हल्द्वानी, हरिद्वार, नैनीताल, पंतनगर और
रुड़की बनाए गए हैं. जाहिर सी बात है कि अन्य क्षेत्रों से आने वाले छात्र-छात्राओं
को इन केन्द्रों तक पहुँचने में ही भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.बरसात के
चलते जगह-जगह सड़कें ब्लॉक हैं. फिर इन
स्थानों पर रहने की व्यवस्था एक और मुश्किल है. इस कोरोना काल में यह काम अत्याधिक
मुश्किल है.
भारी संख्या में छात्र-छात्राओं का एक स्थान से दूसरी स्थान तक आना-जाना ही उनके कोरोना के संक्रमण की चपेट में आने की आशंका को कई गुना बढ़ा देता है.
यह आश्चर्यजनक है कि जिस समय कोरोना के मामले देश में
बेहद कम थे,उस समय अधिकांश परीक्षाएं रद्द कर दी गयी और ऐसे
समय में जब देश में कोरोना संक्रमितों की प्रति दिन रिकॉर्ड तोड़ संख्या सामने आ
रही है,तब तमाम तर्कों और विरोध को दरकिनार कर इन परीक्षाओं
के आयोजन पर ज़ोर दिया जा रहा है.
निश्चित ही
छात्र-छात्राओं का एक साल मूल्यवान है. लेकिन एक साल, उनके जीवन से अधिक मूल्यवान नहीं है.
महोदय,तमाम हालात के
मद्देनजर NEET और JEE समेत तमाम
परीक्षाओं को रद्द किया जाये. साथ ही वैकल्पिक उपाय किए जाएँ,जिससे छात्र-छात्राएं संक्रमण से भी बचे रहे हैं और उनका भविष्य भी
सुरक्षित रहे.
सधन्यवाद,
गीता गैरोला
भार्गव चंदोला
इन्द्रेश मैखुरी
गढ़वाल सचिव
भाकपा(माले)
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