भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल के
ब्रिटिश राष्ट्रीयता वाले पुत्र विवेक डोवल ने अपने खिलाफ कारवां पत्रिका में छपे
लेख के मामले में दिल्ली की एक अदालत में आपराधिक मानहानि का दावा किया था. जनवरी
2019 में किए गए इस मानहानि के दावे में कारवां पत्रिका के संपादक के साथ ही
रिपोर्ट लिखने वाले कौशल श्राफ़ तथा कांग्रेस नेता जयराम रमेश को भी पार्टी बनाया
गया था क्यूंकि जयराम रमेश ने इस मामले में कारवां पत्रिका की रिपोर्ट के आधार पर
प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था. ताजा घटनाक्रम यह है कि जयराम रमेश ने इस मामले में
अदालत में माफी मांग ली है. चूंकि कारवां पत्रिका ने माफी नहीं मांगी,इसलिए मानहानि का मुकदमा उनके विरुद्ध चलेगा
Caravan / कारवां की हिन्दी और अंग्रेजी
रिपोर्ट नीचे दिये गए लिंक्स पर जा कर पढ़ी जा सकती है :
https://caravanmagazine.in/business/ajit-doval-sons-cayman-islands-hedge-fund-vivek-shaurya
लेख का लब्बोलुआब कुल जमा यह है कि विवेक डोवल, टैक्स हैवेन कहे जाने वाले केमन आइलेंड से हेज फंड चला रहे हैं. केमेन आइलेंड चूंकि काले पैसे के स्वर्ग कहे जाते हैं,इसलिए यहाँ से होने वाली व्यापारिक गतिविधि संदिग्ध मानी जाती है.
विवेक डोवल ने इस लेख के खिलाफ जनवरी 2019 में
आपराधिक मानहानि का वाद दाखिल किया. कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा माफी मांगने से
डोवल का पक्ष जरूर कुछ मजबूत दिखता हो,लेकिन सवाल तो जस के
तस हैं.
प्रश्न इसलिए भी हैं कि विवेक डोवल के पिता अजित डोवल
राष्ट्रीय सुरक्षा सलहकार हैं. इतना ही नहीं काले धन को लेकर भाजपा द्वारा 2011 में
बनाई गयी टास्क फोर्स के सदस्य के बतौर पर अजित डोवल टैक्स हैवेन्स पर कठोर कार्यवाही
की वकालत कर चुके हैं.
मानहानि के अपने दावे में विवेक डोवल ने कहा कि केमन
आइलेंड तो हेज फंड के सर्वाधिक लोकप्रिय गंतव्य (popular destination) हैं. कम से कम 11000 हेज फंड वहाँ अधिसूचित हैं,जो
कि कुल हेज फंड इंडस्ट्री का 60 प्रतिशत हैं. साथ ही वे जोड़ते हैं कि हेज फंड
स्थापित करने के लिहाज से केमन आइलेंड तुलनात्म्क रूप से सस्ता और सक्षम स्थल था.
एक व्यापारिक व्यक्ति के लिए ये तर्क पर्याप्त हो
सकते हैं. लेकिन विवेक सिर्फ व्यापारिक व्यक्ति नहीं हैं,वे अजित डोवल के पुत्र हैं. वही अजित डोवल जो केमेन आइलेंड जैसे टैक्स
हैवेन कहे जाने वाले स्थलों के प्रति काफी कठोर रुख प्रदर्शित करते रहे हैं.
31 जनवरी 2011 को
भाजपा द्वारा बनाए टास्क फोर्स ने – “Indian Black Money Abroad In Secret Banks and Tax Havens
Second Report Of The Task Force on the steps to be taken by India”,शीर्षक
वाली रिपोर्ट जारी की. यह रिपोर्ट चार लोगों द्वारा लिखी गयी. अजित डोवल,इसमें दूसरे नंबर के हस्ताक्षरकर्ता हैं. 95 पृष्ठों की यह रिपोर्ट काले
धन और टैक्स हैवेंस पर कठोर कार्यवाही की वकालत करती है.
विवेक डोवल अपने वाद में कहते हैं कि केमन आइलेंड में
हेजफंड स्थापित करने मात्र से तो वह अवैध नहीं हो जाता. लेकिन अजित डोवल वाली
रिपोर्ट कहती है कि वैश्विक भूगोल के लिहाज से ये टैक्स हैवेंस आम तौर पर बहुत
छोटे हैं पर ये पूरी दुनिया को बंधक बनाए हुए हैं.
विवेक डोवल टैक्स हैवेंस में व्यापार स्थापित करने को
सामान्य बात बता रहे हैं. लेकिन अजित डोवल 2011 वाली उपरोक्त
रिपोर्ट के बिन्दु संख्या 3 में कह रहे हैं कि स्विट्ज़रलैंड और अन्य टैक्स हैवेंस
की यात्रा करने वालों के संदर्भ में सूचना एकत्र की जानी चाहिए. इसकी शुरुआत
कैबिनेट मंत्रियों और अन्य हाई प्रोफ़ाइल राजनीतिक व्यक्तियों से की जानी चाहिए. इस
रिपोर्ट में तो जिन टैक्स हैवेंस से भारत में ज्यादा लेनदेन होता है,उन पर भी नजर रखने की सिफ़ारिश की गयी है.
विवेक डोवल कह रहे हैं कि केमन आइलेंड तो हेज फंड के
सर्वाधिक लोकप्रिय गंतव्य हैं. अजित डोवल के हस्ताक्षरों वाली रिपोर्ट के बिन्दु
संख्या 85 में कहा गया है कि भारत को टैक्स हैवेंस और गोपनीय बैंकिंग स्थलों के
खिलाफ चलने वाले वैश्विक प्रयासों में शामिल होना चाहिए.
विवेक डोवल तो पाराडाईज़ पेपर और पनामा पेपर में नाम
आने को भी सामान्य करार दे रहे हैं. लेकिन सब जानते हैं कि ये दुनिया में काला धन
छुपाने वालों की संपत्ति के दस्तावेज़ हैं. इनमें नाम आना मामूली बात नहीं है बल्कि
जिनका नाम इन दस्तावेजों में है,वे काले धन के मालिक लोग हैं.
उनके साथ व्यापार करना या इन्हें अपना पार्टनर बनाना,निश्चित
तौर पर काले धन वालों को सहयोगी बनना है और यह संदेह का सबब तो है ही.
अजित डोवल वाली टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट के
बिन्दु संख्या 80 में लिखा कि यह उनका
सुझाव है कि नेताओं और राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारियों को,मंत्रियों और सांसदों को यह घोषणा करनी चाहिए कि उनकी या उनके परिजनों की
या तो कोई संपत्ति विदेश में नहीं है या फिर उन्हें यह बताना चाहिए कि उन्होंने यह
कैसे अर्जित की. इसके साथ ही उन्हें यह पत्र भी सरकार को देना चाहिए,जिसमें वे सरकार को अधिकृत करें कि सरकार, दुनिया के
किसी देश या बैंक से उनके द्वारा या उनके पुत्र-पुत्रियों द्वारा रखे गए धन का
ब्यौरा हासिल कर सके.
क्या ब्रिटिश राष्ट्रीयता वाले अपने पुत्र के मामले
में अजित डोवल को अपनी ही लिखी इन
पंक्तियों पर गौर नहीं करना चाहिए?
अजित डोवल और उनके पक्ष में भावनात्मक अभिव्यक्ति
करने वालों के लिए डोवल साहब की ही रिपोर्ट का अंग्रेजी मुहावरा समर्पित है. उक्त
रिपोर्ट के बिन्दु संख्या 80 में इस मुहावरे का उल्लेख किया गया है, “if the
salt loses its saltiness wherewith shall it be salted”, यानि
नमक अपना नमकपना(खारापन) छोड़ देगा तो फिर वह किस से नमकीन होगा !
तो भाई, बताओ तो कोई नमक
में नमकपना था भी या सारी सफेदी दिखावटी थी ?
-इन्द्रेश मैखुरी
(नोट : यह पुराना लेख है,जिसे नए संदर्भ
में प्रस्तुत किया गया है. विवेक डोवल के सारे तर्क उनके द्वारा दाखिल मानहानि के दावे
से लिए गए हैं)
1 Comments
NDTV के बहुगुणा जी ने शायद इसपर लिखा था पर वी सिर्फ खबर की शक्ल में ही था कि 'जयराम रमेश ने माफी मांगी ....पर इस खुलासे से जरूर लग रहा है कि जरूर कहीं कुछ छोड़ा जा रहा है
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