हर राज्य
के चुनाव में डबल इंजन,भाजपा
का प्रिय जुमला है. उत्तराखंड में भी डबल इंजन की सरकार बनाने की अपील मोदी जी 2017
में अपने मुखारविंद से कर गए. हालांकि अपने इंजन की गति बढ़ाने के लिए कॉंग्रेस के बागी,दागियों को भाजपा अपने साथ शामिल कर चुकी थी. पर फिर भी विकास और भ्रष्टाचार
से मुक्ति के लिए उत्तराखंड के इंजन को दिल्ली के इंजन से जोड़ने का नारा ज़ोरशोर दिया
गया.
तो 2017 में दिल्ली के इंजन से उत्तराखंड का इंजन जुड़
गया. उसके बाद फिर एक जुमला ज़ोरशोर से उछाला गया- भ्रष्टाचार
के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस !
डबल इंजन का कार्यकाल
निपटने में करीब साल भर बचा हुआ है पर उत्तराखंड की रेल को अभी भी जनपक्षधर विकास नाम
की चिड़िया कहीं नजर नहीं आई. ऐसा जान पड़ता है कि बुलेट ट्रेन के जुमले के दौर में उत्तराखंड
की रेल के आगे बैल गाड़ी से भी कम दमखम वाले इंजन जोत दिये गए हैं ! बयान के धुएँ के
बादल गाहे-बगाहे उत्तराखंड के आसमान में जरूर दिख जाते हैं पर इंजन में गति और तेजी
सिर्फ सरकारी विज्ञापनों में ही नजर आती है. अब अखबारी विज्ञापनों में भी जो न दौड़
सके,वह भी क्या सरकार हुई भला !
बेचारे - भ्रष्टाचार
के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस- वाले जुमले की गत तो इससे ज्यादा
खराब हो चुकी है. उसमें तो समझ ही नहीं आ रहा कि ज़ोर भ्रष्टाचार पर है,ज़ीरो पर है या टॉलरेंस पर है ! पहले तो बाहर वाले आरोप लगाते थे अब भाजपा के शीर्ष
से ही उनके राज में भ्रष्टाचार होने के आरोप सामने आ रहे हैं.
ताज़ातरीन प्रकरण- भेड़ और ऊन विकास
बोर्ड का है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में भाजपा की सांसद मेनका गांधी
ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को पत्र भेज कर इस बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.अविनाश आनंद भ्रष्टाचार के गंभीर
आरोप लगाए हैं और पशुपालन सचिव आर.मीनाक्षी सुंदरम पर मिलीभगत का आरोप लगाया है.
05 जनवरी 2021 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र
में मेनका गांधी ने भेड़ और ऊन विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी
अधिकारी डॉ.अविनाश आनंद पर करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.
अपने पत्र में बिन्दुवार आरोप लगाते हुए मेनका गांधी ने
लिखा है कि :
· भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी
अधिकारी ने लक्ज़री कारें खरीदी,जिसमें एक कार
13 लाख रुपये से अधिक मूल्य की थी.
· उन्होंने बोर्ड के लिए ढाई लाख रुपया
प्रति माह के वेतन पर सलाहकार रखा. सलाहकार का वेतन राज्य के मुख्य सचिव के वेतन से
भी अधिक है और सलाहकारों के लिए अनुमन्य वेतन से भी कहीं अधिक है.
· ऑस्ट्रेलिया से प्रजनन के लिए उन्नत
नस्ल की युवा भेड़ें लायी जानी थी पर भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी
बूढ़ी भेड़ें लायी जो केवल ज़िबह किए जाने के काम की थी. मेनका गांधी का आरोप है कि ऐसा
उन्होंने विक्रेता से सांठगांठ करके किया गया.
· इसके अतिरिक्त पशु आहार खरीद में घोटाले,बड़े पैमाने पर प्रतिनियुक्ति पर बिना पदों के नियुक्ति,नोएडा में घर खरीदने जैसे कई आरोप मेनका गांधी ने अपने पत्र में लगाए हैं.
मेनका गांधी लिखती हैं कि ये सब काम
बिना पशुपालन सचिव की मिलीभगत के बगैर होना संभव नहीं है.
इन पंक्तियों के लिखे जाने के दौरान भेड़ एवं ऊन विकास
बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का उक्त पत्र का जवाब भी सोशल मीडिया में घूम रहा
है,जिसमें वे सारे आरोपों को सिरे से खारिज कर रहे हैं. पशुपालन सचिव का बयान
भी न्यूज़पोर्टल्स पर है कि आरोप तथ्यहीन हैं और वे जांच को तैयार हैं.
लेकिन मेनका गांधी अपने पत्र में दावा करती हैं कि
इनमें से अधिकांश तथ्य उन्होंने आरटीआई के द्वारा हासिल किए हैं. मेनका गांधी ने अगर
वास्तव में आरटीआई में प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर यह आरोपों वाला पत्र लिखा है
तो या तो आरटीआई में गलत जानकारी दी गयी है या फिर अफसरों का दावा झूठा. दोनों ही दशा
में संदेह के घेर में भेड़ एवं उन विकास बोर्ड और उसके सीईओ ही आते हैं.
मेनका गांधी अपने पत्र में इसे बोफोर्स
जैसा घोटाला बता रही हैं. पत्र में प्रतिलिपि प्रधानमंत्री व केंद्रीय कैबिनेट सचिव
को किए जाने का उल्लेख है. मेनका गांधी ने लिखा है कि यह सीबीसीआईडी,सीबीआई और ईडी से जांच कराने योग्य मामला है. इन एजेंसियों से राज्य सरकार
जांच कराएगी या नहीं,यह तो पता नहीं. अलबत्ता मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र
रावत के निर्देश पर मुख्य सचिव द्वारा अपर मुख्य सचिव मनीषा पँवार की अध्यक्षता में
जांच कमेटी गठित कर दी गयी है. कमेटी को पंद्रह दिन के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया
है.
जांच,कमेटी,रिपोर्ट तो चलता रहेगा मुख्यमंत्री जी पर आपके डबल इंजन में दिल्ली वाले इंजन
के डब्बे ही आरोप लगा रहे हैं कि देहारादून वाले इंजन में करोड़ों का घपला हो गया, भ्रष्टाचार के खिलाफ यह कैसा जीरो
टॉलरेंस है,महोदय !
-इन्द्रेश
मैखुरी
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