यूं अफसर होने की चाह हर महकमे के लोगों में होती
है. विशेषज्ञता वाले लोग भी चाहते हैं कि अपनी विशेषज्ञता के काम
छोड़ कर अफ़सरी पदों पर बैठें ताकि अपने काम से आराम रहे. विश्वविद्यालय से लेकर चिकित्सा
तक किसी महकमें जाये तो विशेषज्ञता वाले लोग,विशेषज्ञता से इतर प्रशासकीय पदों पर बैठे मिल जाएँगे
या इस जुगत में मिल जाएँगे कि कैसे अपने काम से छुटकारा पा कर कोई प्रशासकीय कुर्सी
मिले !
ऐसे में चमोली जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी(सीएमओ)
डॉ.जी.एस.राणा का सरकार से यह कहना कि उन्हें प्रशासकीय काम के बजाय उनकी विशेषज्ञता
वाला काम सौंपे,यह
चौंकाता है. डॉ राणा ने राज्य सरकार
से उन्हें जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के बजाय जिला चिकित्सालय,गोपेश्वर में मुख्य
चिकित्सा अधीक्षक(सीएमएस) के पद पर नियुक्त करने का आग्रह किया है. समाचार पत्र- उत्तराखंड
टाइम्स(पंजाब केसरी) और अमर उजाला में डॉ.राणा द्वारा उत्तराखंड सरकार को इस आशय का
पत्र भेजने की खबर प्रकाशित हुई है. गौरतलब है
कि डॉ.जी.एस.राणा, रेडियोलॉजिस्ट हैं और 2020 में
प्रमोशन के बाद चमोली जिले के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक नियुक्त हुए थे. उनकी पीड़ा यह
है कि विभागीय बैठकों, वीडियो
कॉन्फ्रेंसिंग और अन्य प्रशासनिक कार्यों के चलते वे रेडियोलॉजिस्ट का काम,अपनी इच्छा
के बावजूद नहीं कर पा रहे हैं.
इस मामले में डॉ.जी.एस.राणा का सेवाभाव और अपने काम
के प्रति उनकी प्रतिबद्धता स्वागत योग्य है. निश्चित ही सरकार को उनकी सेवाओं और विशेषज्ञता
का बेहतर उपयोग करने के उपाय करने चाहिए,जैसी उनकी इच्छा है.
पर मामला सिर्फ डॉ.राणा की प्रतिबद्धता और सेवा भावना का ही नहीं है. इससे रेडियोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञता वाले पदों के चमोली जिले में खाली होने की बात भी इससे सामने आती है. समाचार पत्रों में ही प्रकाशित विवरण से ज्ञात होता है कि चमोली जिले में विभिन्न अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड मशीने तो हैं पर उन्हें संचालित करने वाले रेडियोलॉजिस्ट नहीं हैं. जिला चिकित्सालय,गोपेश्वर में रेडियोलॉजिस्ट नवम्बर महीने में कोरोना संक्रमण से ग्रसित होने के बाद से काम पर नहीं लौटे हैं.
कर्णप्रयाग,गैरसैंण,जोशीमठ, पोखरी सभी जगह
अल्ट्रासाउंड मशीनें हैं पर रेडियोलॉजिस्ट नहीं हैं. कर्णप्रयाग
में गाइनाकोलॉजिस्ट, अल्ट्रासाउंड
भी कर ले रही हैं और स्वयं सीएमओ डॉ.राणा जिला प्रशासन की विशेष अनुमति से विभागीय
कामों के बीच से फुरसत पा कर, जोशीमठ में अल्ट्रासाउंड कर रहे
हैं.
इसलिए प्रश्न इतना भर नहीं है कि राज्य सरकार डॉ.राणा
की इच्छा पूरी करेगी या नहीं,सवाल स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता
का भी है. डॉ.राणा की प्रतिबद्धता है कि वे जनता के हित के लिए अपने संवर्ग में जिले
की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठने का लोभ छोड़ कर अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करना चाहते हैं.
परंतु सरकार क्या रिटायरमेंट के कगार पर खड़े एक व्यक्ति के सहारे चमोली जिले की स्वास्थ्य
व्यवस्था को दुरुस्त कर लेगी ? स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली
का सवाल उत्तराखंड में बार-बार उठता रहता है और सरकार के पास विज्ञापनों के अलावा और
कहीं उपलब्धियां नहीं है. मुख्यमंत्री का उपचार तो दिल्ली में हो जाएगा पर स्वास्थ्य
सुविधाओं की हालत दुरुस्त न हुई तो आम लोगों के लिए तो साधारण रोग ही जानलेवा हो जाते
हैं. इसलिए विज्ञापनी उपलब्धियों के खुमार से बाहर आओ सरकार !
-इन्द्रेश मैखुरी
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