किसी शहर में एक सज्जन थे,जिनको गाड़ी
में माइक लगा कर विविध तरह की उद्घोषणा करने का शौक था. उनके लिए यह शौक था,बाकी लोगों वह ख़ब्त मालूम होता था. अभी लोग बिस्तर से ठीक से बाहर भी नहीं
निकल पाते कि तब तक भौंपू का शोर उनके कानों में गूंज उठता.
भौंपू बजने का यह सिलसिला बरसों-बरस बदस्तूर जारी रहा.
विविध तरह की घोषणाएँ होती थी. उनकी घोषणाओं से शहर अपने को राष्ट्र की मुख्यधारा के
एक दम बगल में महसूस करता. राज्य और केंद्र में सरकार घोषणा कर रही होती थी और इधर
शहर में भौंपू गाड़ी वाले सज्जन भी मंत्री-मुख्यमंत्री-प्रधानमंत्री से घोषणा करने में
होड़ ले रहे होते. जैसे विश्वविद्यालयों में कुछ लोगों को शैक्षणिक आधार पर नहीं बल्कि
मानद आधार पर डिग्री देने की परंपरा होती है,यदि ऐसी परंपरा घोषणा
और उद्घोषणा के क्षेत्र में भी होती तो उक्त सज्जन सिर्फ भौंपू और घोषणा करने के मामले
में मानद तौर पर मंत्री-मुख्यमंत्री-प्रधानमंत्री घोषित हो जाते.
एक सुबह भौंपू वाले सज्जन ने सुबह-सुबह शहर में हांक लगाई-
आप सब को जान कर हर्ष होगा कि आप लोगों के लिए मैंने शमशान घाट में लकड़ी का इंतजाम
कर दिया है. लोगों ने भौंपू वाले महाशय पर उस दिन प्रातः कालीन बेला में खूब गालियों
की पुष्प वर्षा की !
पर घोषणा वाले सज्जन की याद यहां क्यूँ की जा रही है ? दरअसल बीते दिनों भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता और भाजपा सांसद रवि किशन को
बोलते देख कर बरबस ही भौंपू गाड़ी वाले सज्जन का स्मरण हो आया.
उत्तर प्रदेश में विद्युत शव दाह गृह के उद्घाटन कार्यक्रम
में रवि किशन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल थे. बताइये उत्तर प्रदेश ने क्या
तरक्की हासिल कर ली है,शमशान घाट पर बिजली से चलने वाली मुर्दा
जलाने की मशीन का उद्घाटन भी बेहद भव्य तरीके से,गाजे-बाजे के साथ मुख्यमंत्री और सांसदों की मौजूदगी में हो रहा है ! रवि किशन बाबू
ने उक्त उद्घाटन कार्यक्रम में इस विद्युत शवदाह गृह की विशेषताएं गिनवाने में कोई
कसर उठा न रखी ! जब शव दाहगृह के उद्घाटन का कार्यक्रम होगा और भाषण भी चलेगा तो उसकी
तारीफ तो करनी ही होगी ना !
रवि किशन ने कहा कि “सोचिए यहां पर आपकी मृत्यु होगी तो
डाइरैक्ट स्वर्ग में जाओगे,यहां जब आप जलाए जाओगे कितना आनंद आएगा
यहां जलने में, अत्याधुनिक है, एकदम और
इलैक्ट्रिक वाला है तो फुकाई में टाइम ना लगी........ ये जो करोड़ों रुपया फूंका गया
है............”
राजनीति का यह चरमोत्कर्ष है. मरने के बाद स्वर्ग जाने का गारंटी कार्ड तक दे रही
है,राजनीति. हमारे बिजली वाले शवदाह गृह में जलो और सीधे स्वर्ग जाओ ! तुम हमें
वोट दो,हम तुम्हें स्वर्ग भेजने वाला शवदाह गृह बनाएँगे ! शिक्षा,रोजगार,स्वास्थ्य,सड़क,बिजली,पानी सब का वायदा फेल है,इस वायदे के सामने ! ये सब तो सांसरिक वस्तुएं हैं,नश्वर
हैं,क्षण भंगुर हैं,नाशवान हैं. आदमी चला
जाएगा तो ये यहीं छूट जाएंगी. पर सोचो मनुष्य को मरने के बाद का ठिकाना देने का वायदा
कितना बड़ा है. गारंटी है, अमुक शवदाह गृह में जलो और सीधे स्वर्ग
में ऐश करो.
बक़ौल रवि किशन उस विद्युत शव दाह गृह को बनाने में करोड़ों
रुपया फूंक दिया गया है. जनता की गाढ़ी कमाई का करोड़ों रुपया सिर्फ इसलिए फूंक दे रहे
हैं ताकि वही जनता जब खुद फुके तो सीधा स्वर्ग जाये ! देखिये कितनी जनकल्याणकारी,परोपकारी हो गयी हैं,सरकारें इस धराधाम में !
एक जमाने में यूरोप में चर्च के पादरी, लोगों को स्वर्ग भेजने के ठेकेदार थे. अब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंतत्र में
एक राज्य की चुनी हुई सरकार ने यह बीड़ा अपने कंधों पर ले लिया है. यूरोप को क्या सीधी
टक्कर दे रहे हैं-आदमी को अपने विद्युत शव दाह गृह में जला कर स्वर्ग भेज रहे हैं हम
!
यहां आपकी ज़िंदगी का भले ही बेड़ागर्क कर दिया गया,ज़िंदगी साक्षात नरक कर दी गयी हो पर मरने के बाद स्वर्ग पहुंचाने वाला विद्युत
शव दाह गृह बना दिया गया है. निश्चित ही 70 सालों में जो न हो सका,वो हुआ है,सीधा स्वर्ग भेजने वाला विद्युत शव दाह गृह
बना है. विकास का यह विद्युत शवदाह गृह अनोखा है,अप्रतिम है, अभूतपूर्व है ! विकास के इस स्वर्गारोही विद्युत शवदाह गृह मार्ग की जयजयकार
हो !
-इन्द्रेश मैखुरी
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