*जोशीमठ त्रासदी - प्रकृति के अंधाधुंध दोहन का नतीजा*
_लापता हुए लोगों को ढूँढने के समुचित प्रयास हों. घायलों के इलाज का सम्पूर्ण खर्च राज्य सरकार वहन करे और मृतकों को समुचित मुआवजा सरकार दे._
उत्तराखंड में जोशीमठ क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने के चलते हुए दुर्घटना में हताहत हुए मजदूरों और स्थानीय लोगों के प्रति भाकपा(माले) संवेदना प्रकट करती है. इस घटना की चपेट में आ कर लापता हुए लोगों को ढूँढने के समुचित प्रयास किए जाने चाहिए. घायलों के इलाज का सम्पूर्ण खर्च राज्य सरकार वहन करे और मृतकों को समुचित मुआवजा राज्य सरकार द्वारा दिये जाने की मांग करते हैं.
ऋषिगंगा परियोजना जिस क्षेत्र में स्थित है, वह चिपको आंदोलन के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध गौरा देवी का गाँव-रैणी है. एक जमाने में जिस क्षेत्र में जंगलों को बचाने के लिए लोग पेड़ों से चिपक गए, बीते कुछ सालों से न केवल इस गाँव के आसपास बल्कि पूरे जोशीमठ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ हुई और विस्फोट भी किए गए. भाकपा(माले) इस क्षेत्र में बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए प्रकृति के साथ खिलवाड़ के खिलाफ निरंतर संघर्ष करती रही है. प्रकृति के अंधाधुंध दोहन और खिलवाड़ के नतीजे के तौर पर इस तरह की दुर्घटनाओं एवं त्रासदियों की मार लोगों को झेलनी पड़ती है और उसकी चपेट में अक्सर वे लोग आते हैं, जो इस खिलवाड़ और दोहन के लिए जिम्मेदार नहीं होते हैं.
2013 में उत्तराखंड में आई भीषण आपदा के बाद इस विनाशकारी विकास के मॉडल के बारे में विचार किया जाना चाहिए था. लेकिन इस प्राणघातक, प्रकृति घातक विकास के हिमायती, कोई सबक सीखने के बजाय प्रकृति के दोहन की गति और तेज करने के लिए उतावले हैं. नतीजे के तौर पर इस तरह की भयावह दुर्घटनाएँ होती हैं.
हम यह मांग करते हैं कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के मुनाफाखोर विकास के मॉडल पर तत्काल रोक लगे. जो भी परियोजना या निर्माण कार्य हों, वे वैज्ञानिक तौर तरीकों से हों और प्रकृति का अतिक्रमण करके कतई न हों.
_अतुल सती_
राज्य कमेटी सदस्य, भाकपा(माले)
*CPIML in Deep Sympathy with Victims of Glacier Disaster in Joshimath, Uttarakhand*
CPIML has expressed deep sympathy with the victims of the glacier-break disaster in the Joshimath region of Uttarakhand. All efforts must be made to find the persons who have gone missing in this disaster. The State government should bear the full cost for treatment of those injured, and families of those who lost their lives in the disaster should be properly compensated.
The region in which the Rishiganga Project is located is Raini, the village of Gauri Devi who became world-renowned for the Chipko movement. There was a time when people hugged the trees in the jungles of this region from being cut down. For some years now, nature has been violated in this village as well as in the entire neighbouring Joshimath region for the construction of hydel projects, and dynamite blasting has also been done. CPIML has been consistently struggling against the destruction of nature for construction of big hydel projects in this region. Greedy exploitation of nature results in such disasters and tragedies whose brunt the common people have to bear. The affected people are most often those who are in no way responsible for this exploitation.
After the terrible disaster in 2013 in Uttarakhand, serious thought should have been given to this destructive model of development. But instead of learning a lesson from that tragedy the propounders of this destructive model are eager to escalate the exploitation, resulting in such disastrous tragedies.
We demand that unchecked exploitation of natural resources for this greedy profit-making model of development should be stopped immediately. Whatever work is done for dams and construction should be done through scientific methods and at no cost should nature be exploited.
- Atul Sati, member, CPIML Uttarakhand state committee
- Indresh Maikhuri, Secretary Garhwal, Uttarakhand.
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