cover

मेरा नाम पीछे क्यूं है,यह मेरी तौहीन है ! उत्तराखंड के मुख्यमंत्री,डीजीपी और चमोली के एसपी के नाम खुला खत ! !

 







मुख्यमंत्री जी,पुलिस महानिदेशक महोदय और चमोली के पुलिस अधीक्षक साहिब,


 01 मार्च को आपकी मित्र पुलिस ने दिवालिखाल पर पानी की बौछार और लाठी-डंडों से हमारे साथ जो मित्रता निभाई,हमने उसका पूरा ऐहतराम किया. मित्र पुलिस है तो उसकी पानी की बौछार में भी मित्रता ही रही होगी, लाठी प्रहार भी मित्रता निर्वाह का कोई नया मोड होगा और पानी और लाठी निपटने के बाद भी अनुज नाम के डिप्टी एस.पी. डॉट-डॉट,बीप-बीप वाली गालियां सरेआम देते रहे तो यह भी मित्रवत ही रहा होगा ! यार-दोस्तों में आखिर गाली-गलौच चलती ही है !



 इस सब को मैंने तो कम से कम मित्रता का प्रसाद समझ कर ग्रहण किया. इसलिए लाठी के साथ जब आपका जाँबाज पुलिस कर्मी हाथ भी मुझ पर आजमा रहा था तो मैंने समझा कि मित्रता ज्यादा हिलोरें मार रही होगी,इस भाई के अंदर ! इसलिए डंडे से मित्रता निबाह में जो कसर रह जा रही है उसे यह हाथों से पूरा  कर रहा है. इस तरह देखें तो आपकी मित्र पुलिस द्वारा प्रदर्शित मित्रता को सिर-माथे ही नहीं तन-बदन पर लेने में मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी.


लेकिन कल जब सोशल मीडिया में 01 मार्च की घटना के संदर्भ में गैरसैण थाने में दर्ज प्रेम की पाती अर्थात एफ़आईआर की कॉपी तैरने लगी तो मेरा कलेजा धक रह गया. मुझे समझ ही नहीं आया कि आपके प्रेम को ग्रहण करने में मुझसे क्या कमी हुई,जो आपने मेरी ऐसी उपेक्षा की. आपके पास हलाहल होता तो आपकी मित्र पुलिस की मित्रता के निबाह में यह खाकसार उसे भी गटक जाता पर मेरी ऐसी उपेक्षा तो न करते,हुजूर !


आप पूछते हैं कि क्या हो गया ? अरे क्या कहें,क्या अनर्थ हो गया ! बताइये, घटनास्थल पर पानी की बौछार,लाठी डंडे से सर्वाधिक मित्रता प्रदर्शन,मेरे साथ और प्रेम की पाती (जिसे नासमझ लोग एफ़आईआर कहते हैं और नाहक उससे घबराते हैं) दर्ज हुई तो मेरा नाम आठवें नंबर पर ! 






पानी की बौछार और लाठी-डंडों का प्रहार रूपी,आपका जो प्रेम प्रदर्शन था,उसे ग्रहण करने में मैंने कौन सी कसर छोड़ी जो आपने मेरा नाम इतना पीछे लिखा ? मैं तो आपकी मित्र पुलिस द्वारा दिये जा रहे मित्र प्रसाद के आचमन के लिए अपनी जगह से हिला तक नहीं,फिर मेरे साथ ऐसी नाइंसाफी क्यूं ? यह मेरे विरुद्ध साजिश है,मेरा अपमान है,मेरी तौहीन है.



मैं अपने से ऊपर लिखे गए नामों में से घाट के व्यापार संघ अध्यक्ष चरण सिंह नेगी का नाम स्वीकार करता हूँ क्यूंकि अव्वल तो वे घाट आंदोलन के अग्रणी नेता हैं,दूसरा यह कि आपकी मित्र पुलिस का पानी की बौछार और लाठी-डंडे वाला मित्र प्रसाद ग्रहण करने में भी वे अग्रणी बने रहे. उनके नाम के पीछे यदि आप मेरा नाम अपनी प्रेम पाती (एफ़आईआर) में लिखना चाहें तो मुझे कुबूल है. अन्यथा मेरा दावा तो यह है कि मेरा नाम मित्र पुलिस की प्रेम पाती में पहले नंबर पर अंकित किया जाना चाहिए,पहले पर न कर सकें तो दूसरे पर कीजिये,परंतु आठवें नंबर पर अपने नाम को मैं कतई स्वीकार करने को तैयार नहीं हूँ.






यह मेरी मानहानि है. पत्रकारिता का विद्यार्थी रहते हुए हमारे गुरुजी ने पढ़ाया था कि कैसे अखबार में नाम पीछे छापने पर एक व्यक्ति ने मानहानि का मुकदमा कर दिया था. मित्र पुलिस की मित्रता प्रसाद का पूर्ण स्वाद लेने के बावजूद प्रेम पाती में उचित स्थान के लिए मानहानि का दावा करना पड़े यह तो उचित कार्यवाही नहीं होगी ना !


सोचिए तो मेरे रोज-रोज इस या उस विषय पर बोलने और सरकार को घेरने से जिनके हृदयों में निरंतर शूल उठती रहती थी,मुझ पर मित्र पुलिस के प्रेम प्रदर्शन से उनके दिल पर कैसी छपछपी पड़ी होगी. छपछपी फुल और नाम पहले नंबर से गुल-ये भी कोई बात हुई भला !


 महानुभावो,आपको इस छपछपी की कसम,मेरा नाम प्रेम पाती में आठवें नंबर पर ना रखो,उसे पहले या दूसरे नंबर पर अंकित करो !


समझ में तो यह भी नहीं आया कि जब हम उसी दिन मित्र पुलिस के साथ बड़े घर (जिसे कुछ नामुराद जेल कहते हैं) जाने को तैयार थे तो फिर यह कागद कारे करके नंबरों का झमेला पैदा करने की जरूरत ही क्या थी ? पर जब झमेला है तो अपना भी दावा है कि नाम तो ऊपर होना मांगता है !

 


प्रेम पाती में पहले/दूसरे नंबर पर नाम दर्ज किए जाने का ताबेदार


-इन्द्रेश मैखुरी

 

 

Post a Comment

2 Comments

  1. ☯️ छपछपी फुल और नाम पहले नंबर से गुल-ये भी कोई बात हुई भला। भैय्या आप यकीन नहीं करेंगे मैं पहले पेज पर ही आपका नाम देख रही थी फिर मैंने ढूंढा आगे के पन्ने देखें,ाा मैं भी यह मानती हूं ये तो नाइंसाफी है भैया के साथ, लाहौल विला कूवत 🙏🏻 !

    ReplyDelete