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महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए काम करें,बयानों की गलाजत फैलाने वाले पहले ही बहुत हैं !

 

 




वर्ष 2007 में श्रीनगर(गढ़वाल) में एक कोतवाल आई. चूंकि वे उस वर्ष सार्वजनिक हुए एमएमएस कांड के बाद कोतवाल हो कर आयीं थी,इसलिए उन्होंने मनमानी करने को अपना विशेषाधिकार मान लिया था. अगर लड़का-लड़की रेस्टोरेन्ट में बैठे हों तो वे वहां जा धमकती और कहती-तुम यहां क्यूं बैठे हो. लड़की जींस पहन कर सड़क पर चल रही है तो अचानक लड़की के आगे खड़ी हो कर वे कहती-तेरे कपड़े फाड़ दूँगी. एक बुजुर्ग व्यक्ति को धमकाते हुए उन्होंने कहा-बुड्ढे तेरा बुढ़ापा खराब कर दूँगी. इन मनमानियों और बेहूदगियों पर तब रोक लगी,जब उनके विरुद्ध लोग सड़कों पर उतरे.






उत्तराखंड के नए नवेले मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जो नित्य-प्रति बयानों के नए-नए गोले दागने पर उतारू हैं,उनके द्वारा एक महिला की फटी जींस पर दिए गए बयान से मुझे बरबस वो कोतवाल याद आई. और साथ ही याद आए,सन्यासी के चोले में व्यापार करते रामदेव,जो इसी तरह एक समय फटी जींस की खिल्ली उड़ाते थे और जब वे स्वयं जींस के धंधे में उतरे तो विस्तार से पत्रकारों को यह समझा रहे थे कि नयी पीढ़ी के लिए उनकी दुकान में फटी जींस भी है !


वैसे तीरथ भाई, जींस और संस्कारों का आपस में क्या कनैक्शन है ? ये तथाकथित संस्कार इतने कमजोर क्यूं हैं कि महिला की जींस, घुटनों पर फटी देखते ही तिरोहित हो जाएँगे ? अगर संस्कारों का सारा दारोमदार लड़कियों और महिलाओं के कपड़ों पर है और जिस बात को लड़कियों/महिलाओं के कपड़ों में ये तथाकथित संस्कार गड़बड़ देखते हैं,उसे देखते ही संस्कार स्खलित हो जाएंगे तो लड़कियों/महिलाओं के कपड़ों पर टीका-टिप्पणी करने के बजाय इन संस्कार के आड़ लेती, छुपी हुई दूषित मानसिकता और यौन कुंठा की समीक्षा करने की जरूरत है और उसे ही दुरुस्त करने की जरूरत है.


फोटो : सुभाष तराण जी के फेसबुक से 



आशाराम जैसे तथाकथित बाबा से तीरथ जी के “आराध्य” समेत उनकी पार्टी के बड़े नेताओं के करीबी संबंध रहे हैं. यही आशाराम दिल्ली के निर्भया बलात्कार कांड में पीड़िता को नसीहत दे रहे थे कि उसे बलात्कारियों को भाई कह कर संबोधित करना चाहिए था. अब यही तथाकथित सन्यासी अपने आश्रम में एक नाबालिग बच्ची के यौन शोषण के अपराध में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. आशाराम के संस्कार किसने खराब किए ? उत्तर प्रदेश में भाजपा के विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर के संस्कार खराब करने कौन सी जींस आई,मुख्यमंत्री जी ?


मुख्यमंत्री जी का मातृ संगठन तो स्वयं ही 90 साल तक घुटनों तक आने वाली  खाकी निक्कर को अपना आधिकारिक गणवेश बनाए रहा. संस्कार सिर्फ महिलाओं की जींस से खराब होते हैं,उस निक्कर से संस्कारों को कोई खतरा नहीं था ? प्रेम करने वालों के साथ हिंसा और मॉरल पुलिसिंग जैसे काम तो बजरंग दल जैसे संगठन करते रहे हैं,जिसका विरोध किया जाता रहा है और किया जाता रहेगा. लेकिन तीरथ सिंह रावत जी आप राज्य के मुख्यमंत्री बनाए गए हैं,बजरंग दल के प्रदेश प्रमुख नहीं.


महिलाओं के लिए यदि कुछ कर सकते हैं तो उनके सम्मान,शिक्षा और अस्पतालों का इलाज का बंदोबस्त कीजिये. बीते एक वर्ष में ही पहाड़ में औसतन हर महीने एक गर्भवती स्त्री की प्रसव के दौरान,इलाज के अभाव में मृत्यु होती रही है. नयी ज़िंदगी को धरती पर लाने के क्रम में दुनिया से उठ जाने वाली ये प्रसूताएं 22-25 बरस की लड़कियां थी. ऐसी ज़िंदगियों को बचाने की व्यवस्था मुख्यमंत्री कर सकते हों तो करें वरना बयानों की गलाजत फैलाने के लिए तो पहले ही समाज में बहुत फैले हुए हैं,उसके लिए मुख्यमंत्री की जरूरत नहीं है !


-इन्द्रेश मैखुरी   

  

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