प्रेस बयान
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से त्रिवेंद्र रावत की बेदखली भाजपा के चार साल के कुशासन की तस्दीक है. भाजपा ने त्रिवेंद्र रावत को सत्ता से हटा कर स्वीकार कर लिया कि उसके वायदे के डबल इंजन में से एक इंजन पूरी तरह फेल रहा है.
त्रिवेंद्र रावत का शासन काल एक महिला शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा से अभद्रता और महिला शिक्षिका की गिरफ्तारी से शुरू हुआ तथा उसका पटाक्षेप दिवालिखाल में घाट के आंदोलनकारी महिलाओं और स्थानीय ग्रामीणों पर लाठीचार्ज से हुआ.
हाल ही में आई जोशीमठ आपदा में भी त्रिवेंद्र रावत ने केवल खबरें मैनेज करने पर ही जोर लगाया और नतीजे के तौर पर खोज अभियान पूर्णरूपेण विफल रहा.
उत्तराखंड के बेरोजगारों के भविष्य के साथ त्रिवेंद्र रावत ने खिलवाड़ किया.बीते चार साल में एक पी.सी.एस. की परीक्षा तक आयोजित नहीं हो सकी. फॉरेस्ट गार्ड की परीक्षा का पेपर लीक हुआ और उसका पेपर तक त्रिवेंद्र रावत ने दोबारा परीक्षा तक करवाने से इंकार कर दिया.
पहाड़ की जमीने नीलाम करने वाला कानून त्रिवेंद्र रावत ने पास करवाया. स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली और पहाड़ की तबाही ही त्रिवेंद्र रावत के चार साल की विशेषता है.
उत्तराखंड को मुख्यमंत्री बदलाव की नही राजनीतिक धारा के बदलाव की जरूरत है. प्रदेश हितैषी जन पक्षधर ताकतों को इस अदली-बदली के कुशासन से उत्तराखंड को मुक्त करवाने के लिए ठोस पहल करने की जरूरत है.
इन्द्रेश मैखुरी
गढ़वाल सचिव
भाकपा (माले)
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