13 अप्रैल वह तारीख है जिस दिन क्रूर
हत्यारे जनरल डायर ने अमृतसर के
जलियाँवाला बाग को निहत्थे लोगों के खून से रंग दिया,लाशों से पाट दिया. इस हत्याकांड की जांच करने के लिए अंग्रेज़ सरकार
द्वारा विलियम हंटर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया. हंटर आयोग के समक्ष जनरल डायर के बयानों से साफ था कि उसका एक मात्र मकसद
लोगों को सबक सिखाना था और इसके लिए उसने बिना उकसावे और बिना चेतावनी के अंधाधुंध
गोलियां चलायी. जनरल डायर के क्रूर इरादों को हंटर आयोग के समक्ष दिये गए उसके
जवाबों से समझा जा सकता है.
आयोग के सवाल और डायर के जवाब देखिये :
प्रश्न : मैं समझता हूँ कि मार्च करते हुए आपके पास
यह सोचने का अवसर था कि सही तरीका क्या हो सकता है. आप इस नतीजे पर पहुंचे कि यदि
कोई सभा हो रही है तो आपके लिए सही तरीका यही है कि सीधे आप उन पर गोलियां चला दें
?
डायर : मैं अपना
दिमाग बना चुका था. मैं केवल यही सोच रहा था कि मैं ऐसा करूंगा या मैं ऐसा नहीं
करूंगा.
प्रश्न : आपके सैन्य बलों पर आक्रमण किए जाने का
अंदेशा आपके दिमाग में नहीं आया ?
डायर : नहीं, स्थिति अत्याधिक गंभीर थी. मैंने सोच लिया था कि मैं सभी लोगों को मौत के
घाट उतार दूँगा अगर वो सभा जारी रखे होंगे तो.
प्रश्न : क्या इसका आशय यह है या नहीं है ; आपने सोचा कि कुछ मारक कार्यवाही न केवल अमृतसर में बल्कि अन्य स्थानों
पर भी उनकी स्थिति समझाने के लिए आवश्यक है ?
डायर : हाँ. मुझे
कुछ बेहद कठोर करना था.
प्रश्न : जैसे ही आपके लोगों ने अपनी अपनी जगह ले ली,वैसे ही आपने फ़ाइरिंग शुरू करवा दी ?
डायर : हाँ.
प्रश्न : जब लोग जाना शुरू हो गए तब भी आपने फ़ाइरिंग जारी
रखी ?
डायर : हाँ.
प्रश्न : भीड़ बाग के दूर वाले छोर के रास्तों से निकलने
की कोशिश कर रही थी ?
डायर : हाँ.
प्रश्न : आपने अपनी टुकड़ियों में से एक को दायें और एक
को बायें प्रवेश द्वार पर लगा दिया. कुछ जगहों पर भीड़ अन्य स्थानों की अपेक्षा ज्यादा
थी.
डायर : हाँ उन्होंने ऐसा किया.
प्रश्न : समय-समय पर आप अपनी गोलीबारी की दिशा बदलते रहे
और उसे उस तरफ मोड़ते रहे,जहां भीड़ सबसे ज्यादा थी ?
डायर : हाँ ऐसा थी था.
प्रश्न : क्या ऐसा ही था ?
डायर : हाँ.
प्रश्न : और इसका कारण यह जो अपने हमें बताया कि आप अपना
दिमाग बना चुके थे कि महज जमा होने के लिए भी भीड़ पर गोली चलाने का दिमाग आप बना चुके
थे ?
डायर : बिल्कुल सही.
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प्रश्न :
जब आपने 12.40 पर सभा के बारे में सुना तो आपने दिमाग बना लिया कि यदि सभा होगी तो
आप जाएँगे और गोली चलाएँगे ?
डायर : जब मैंने सुना कि वे आ रहे हैं और जमा हो रहे हैं
तो पहले मुझे भरोसा नहीं हुआ कि वे आ रहे हैं. लेकिन अगर वे मेरे प्राधिकार की अवहेलना
करने आ रहे हैं और जो कुछ मैंने सुबह किया,उसके बावजूद एकत्र होने
आ रहे हैं तो मैंने दिमाग बना लिया कि मैं गोली चलाऊंगा. समय आ गया कि हमको बिल्कुल
भी विलंब नहीं करना चाहिए. मैं मार्शल लॉं के प्रति जवाबदेह था.
प्रश्न : अगर रास्ता बख्तरबंद वाहनों को अंदर ले जाने
के लिए पर्याप्त होता तो क्या आप मशीन गनों से गोली चलाते ?
डायर : मैं समझता हूं संभवतः हाँ .
प्रश्न : तब तो हताहतों की संख्या कहीं ज्यादा होती ?
डायर : हाँ.
प्रश्न : और आपने मशीन गनों से
केवल इसलिए गोली नहीं चलायी क्यूंकि इत्तेफाक से बख्तरबंद गाड़ियां अंदर नहीं जा सकी
?
डायर : मैं आपको जवाब
दे चुका हूं. मैं कह चुका हूं कि वे वहाँ होंगे तो संभावना यही है कि मैं उन पर गोली
चलाऊंगा.
प्रश्न : सीधे मशीन गनों से ?
डायर : मशीन गनों से.
प्रश्न : आपने जैसा अपनी रिपोर्ट मैं लिखा है कि इस कार्यवाही
का मकसद भय पैदा करना था. ? यही आपका कहना है ? यह भीड़ को तितर-बितर करने का मामला
ही नहीं था बल्कि पर्याप्त नैतिक प्रभाव पैदा करना उद्देश्य था ?
डायर : अगर उन्होंने मेरे आदेश की अवज्ञा की तो यह कानून
की पूर्णरूपेण अवहेलना थी. इसका मतलब जितना मैंने सोचा था, बात उससे कहीं अधिक गंभीर है और ये
विद्रोही हैं और मैं इनसे प्रेम से नहीं निपटूंगा. वे अगर मेरी अवहेलना कर रहे हैं
तो वे मुझसे लड़ने आए हैं और मैं उन्हें सबक सिखाऊँगा.
प्रश्न : आशय यह है कि कार्यवाही करने में आपका इरादा
आतंकित करने का था ?
डायर : आप जो चाहें कहें. मैं उन्हें सजा देना चाहता था.
सैन्य दृष्टिकोण से मेरा इरादा व्यापक प्रभाव पैदा करने का था.
प्रश्न : न केवल अमृतसर बल्कि पूरे पंजाब को आतंकित करना
?
डायर : हां पूरे पंजाब में. मैं
उनके हौसले तोड़ना चाहता था ; बागियों के हौसले को.
प्रश्न : क्या आपने देखा कि जब गोली चलना शुरू हुई तो
अपने को बचाने के लिए बहुत सारे लोग जमीन पर लेट गए ?
डायर : हां.
प्रश्न : और आपके लोगों ने उन पर गोली चलाना जारी रखा, जो जमीन पर लेटे हुए थे ?
डायर : मैं कह नहीं सकता. मैं समझता हूं कि कुछ लोग उस
समय दौड़ रहे थे और मैंने उन पर गोली चलाने को कहा और कभी-कभी मैं फ़ाइरिंग रोक कर अन्य
लक्ष्यों पर निशाना लगाने को कहता था. फ़ाइरिंग नियंत्रित थी.
प्रश्न : क्या आपने उन लोगों पर गोली चलाने के निर्देश
दिये जो जान बचाने के लिए जमीन पर लेटे हुए थे ?
डायर : संभवतः मैंने अन्य निशाने चुने. हो सकता है कि
लेटे हुए लोगों पर भी गोली चली हो, लेकिन मैं सोचता हूं
कि वहाँ निशाना लगाने को उनसे बेहतर लक्ष्य थे.
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प्रश्न
: यह मानते हुए कि वहाँ 5000 हजार से अधिक लोग थे,क्या आपको संदेह
है कि इनमें से बहुत सारे लोग आपकी उद्घोषणा( मार्शल लॉं) से अनिभिज्ञ रहे होंगे ?
डायर
: उसे व्यापक रूप से समाचारों में और अन्य स्थानों पर परिस्थितियों के अनुरूप प्रसारित
किया गया था. फिर भी ऐसा हो सकता है कि बहुतेरे ऐसे हों,जिन्होंने उद्घोषणा को न सुना हो.
प्रश्न
: यह मानते हुए कि भीड़ में ऐसे लोगों के होने का अंदेशा है जो उद्घोषणा के बारे में
न जानते हों,क्या आपको यह नहीं सूझा कि गोली चलाने से पहले भीड़
को हटने को कहा जाये ?
डायर : नहीं उस समय
मुझे यह नहीं सूझा. मुझे सिर्फ यह लगा कि मेरी आज्ञा का पालन नहीं हुआ है,मार्शल लॉं का उल्लंघन किया गया है और यह मेरा कर्तव्य है कि मैं इन्हें बंदूक
की गोली से तत्काल तितर-बितर करूँ.
प्रश्न
: ऐसे क्या कारण थे कि आपको यह लगा कि आप भीड़ को बाग छोड़ने को कहेंगे तो वह बिना आपके
गोली चलाये नहीं छोड़ेगी और आप इतनी देर तक गोली चलाते रहे ?
डायर : हां,मैं यह समझता हूं कि मैं बिना गोली चलाये भी उन्हें वहां से हटा सकता था.
प्रश्न
: आपने यह रास्ता क्यूँ नहीं अपनाया ?
डायर
: मैं उन्हें कुछ समय के लिए हटा देता ; फिर वे वापस आते और
मुझ पर हँसते और मैंने सोचा कि ऐसा करके मैं अपने को मूर्ख बनाऊँगा.
आज
से 102 बरस पहले गठित इस बर्बर हत्याकांड और उसके क्रूर हत्यारे के बारे में सोचिए
तो लगता है कि वह किस कदर वहशी रहा होगा. लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में भी
विरोध,प्रतिरोध और मत भिन्नता वाले स्वरों से निपटने के लिए हुक्मरानों का रोल मॉडल
डायर ही है. फर्क इतना ही आया कि डायर की नृशंसता पर ब्रिटिश साम्राज्य ने थोड़ा शर्मिंदा
महसूस किया था या शर्मिंदा होने का अभिनय किया था. बर्बरता पर शर्मिंदा होना या शर्मिंदगी
का वह अभिनय भी हमारे हुक्मरान त्याग चुके हैं.
हंटर
कमीशन की रिपोर्ट के अंश का अनुवाद : इन्द्रेश
मैखुरी
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जलियांवालावाला बाग कि तर्ज़ पर उत्तराखण्ड- उत्तरकाशी बड़कोट में तिलाड़ी कांड हुआ था ।
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