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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के नाम पत्र : चिकित्सीय आपातकाल के समय समन्वित प्रयासों की जरूरत

 








प्रति,

    श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय,

     उत्तराखंड शासन,

      देहारादून(उत्तराखंड)

 

 

 

आदरणीय मुख्यमंत्री जी,

                     पूरा देश कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में है और उत्तराखंड भी उससे अछूता नहीं है. हम लगभग चिकित्सीय आपातकाल(मेडिकल इमरजंसी) की स्थिति में पहुँच चुके हैं. अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन और वेंटीलेटर  के अभाव की खबरें सामने आ रही हैं. यहाँ तक कि आपके मंत्रिमंडल के एक अहम सदस्य डॉ.हरक सिंह रावत को अपने भांजे के लिए बेड का इंतजाम करने में ख़ासी मशक्कत करनी पड़ी. जब एक कद्दावर कैबिनेट मंत्री की यह स्थिति है तो सामान्य लोगों की स्थिति समझी जा सकती है.


इस आपात समय में जरूरत इस बात की है कि सरकार, प्रशासन, पुलिस , राजनीतिक दल और नागरिक समाज एकजुट हो कर संकट का सामना करें. जाहिर सी बात है कि इस दिशा में कदम बढ़ाने और समन्वय का काम राज्य सरकार को करना होगा. अपने स्तर पर नागरिक संगठन और लोग प्रयास कर रहे हैं, लेकिन एक समन्वित प्रयास(coordinated effort) ऐसे प्रयासों की प्रभावशीलता को और बढ़ा देगा.


महोदय,इस संदर्भ में यह भी निवेदन है कि जिला स्तर पर टेस्टिंग को और बढ़ाया जाये. सरकारी और निजी लैब्स का जिला स्तरीय पूल बनाया जाये,जहां जिलों के सीएमओ की निगरानी में और सरकारी दरों पर ही कोरोना का टेस्ट हो.यह सुनिश्चित किया जाये कि टेस्ट की रिपोर्ट यथाशीघ्र आए.  

महोदय, अस्पतालों के मामले में भी जिलावार सरकारी और निजी अस्पतालों का पूल बनाया जाये और उपचार सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर हो,यह सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी सीएमओ की हो,जो इसके लिए अपनी अधीन तैनात डिप्टी सीएमओ और अन्य लोगों को नामित कर सकते हैं. यह सुनिश्चित किया जाये कि किसी भी सूरत में इस आपात स्थिति को कोई भी मुनाफा कमाने के अवसर के तौर पर इस्तेमाल न कर सके.


दवाइयों की काला बाजारी रोकने के लिए उत्तराखंड पुलिस द्वारा हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है. लेकिन चिकित्सा विभाग द्वारा भी इस संदर्भ में ठोस कार्यवाही करनी चाहिए और ड्रग कंट्रोलर को सक्रियता पूर्वक काला बाजारी रोकने का प्रयास करना चाहिए.   


महोदय, ऑक्सीजन संकट दिन प्रतिदिन गहराता जा रहा है. बीते वर्ष उत्तराखंड के कुछ जिलों जैसे-पौड़ी,चमोली,टिहरी,उत्तरकाशी,रुद्रप्रयाग के जिला अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए और बेड तक ऑक्सीजन सप्लाई के लिए पाइप लाइन भी बिछाई गयी. लेकिन अफसोस कि साल भर बाद भी ये ऑक्सीजन प्लांट शुरू नहीं हुए. इन ऑक्सीजन प्लांट्स को तत्काल शुरू करवाया जाये ताकि ऑक्सीजन का दबाव कुछ कम हो सके. यह भी प्रयास हो कि मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन अधिक से अधिक हो. इस मामले में भी राज्यव्यापी पूल,सरकारी निगरानी में बनाए जाने की जरूरत है ताकि ऑक्सीजन की कालाबाजारी पर रोक लगे. कल जिलाधिकारी,देहारादून द्वारा देहारादून के ऑक्सीजन सप्लायर्स की सूची जारी की गयी है. ऐसी सूची पूरे राज्य की जारी की जाये और ऑक्सीजन सप्लायर्स,सरकारी निगरानी में ही वाजिब दामों पर ऑक्सीजन सप्लाई करें.


आईसीयू बेड्स की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सभी होटल, लॉज, धर्मशालाओं को प्रशासन अपने हाथ में ले और आपात स्थिति से निपटने के लिए इनमें अस्थायी आईसीयू का निर्माण किया जाये.


चिकित्साकर्मियों के अकाल को देखते हुए,इस आपात स्थिति में चिकित्सा एवं परिवार कल्याण निदेशालय में प्रशासनिक पदों पर तैनात डाक्टरों को भी चिकित्सीय कार्यों में लगाया जाये. सेवानिवृत्त और निजी प्रेक्टिस करने वाले डाक्टरों का भी पूल बना कर, उन्हें चिकित्सा की आपात जरूरतों के कार्य पर लगाया जाये. यही परिपाटी फार्मासिस्ट और अन्य चिकित्साकर्मियों के मामले में भी अपनाई जाये.

 

चिकित्सीय आपातकाल से निपटने के लिए उत्तराखंड सरकार सक्रिय हस्तक्षेप करते हुए,इन सुझावों पर अमल करेगी,यही अपेक्षा है.

   

सधन्यवाद,

सहयोगाकांक्षी,

इन्द्रेश मैखुरी

गढ़वाल सचिव

भाकपा(माले)

 

  

 

 

 

 

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