भारत की ही तरह दुनिया के बहुतेरे देश इस समय कोरोना की
मार झेल रहे हैं. अमेरिका भी दुनिया के सर्वाधिक कोरोना प्रभावित देशों में है. यह
दीगर बात है कि अब उसने घोषणा की है कि जिन्हें वैक्सीन का दूसरा डोज़ लग चुका,उन्हें मास्क पहनने की जरूरत नहीं है.
लेकिन कोरोना के दुष्प्रभाव ने अमेरिकी जीवन के हर पहलू
को बुरी तरह प्रभावित किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति
भवन-व्हाइट हाउस की आधिकारिक वैबसाइट के अनुसार “यह समझने में कोई चूक न करें, अमेरिका को धूल चटा दी गयी है. लाखों लोग अपनी नौकरियां,घंटे,तनख़्वाह, स्वास्थ्य सुविधा
या छोटे व्यवसाय जो उन्होंने शुरू किए थे, गंवा चुके हैं,जबकि उनकी कोई गलती नहीं है.” अमेरिकी सरकार के ही आंकड़े के अनुसार 9.5 मिलियन
कामगारों ने अपनी नौकरियाँ खो दी हैं. अब अमेरिका में कोरोना महामारी के चलते हुए चौतरफा
नुक्सान से उबरने के प्रयास कर रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसके लिए उपायों
और क़ानूनों की घोषणा की है. “बिल्ड बैक बैटर” के नाम से
तीन चरण का एजेंडा घोषित किया गया है.
इसमें जो सबसे पहले कानून घोषित हुआ है,उसका नाम है-अमेरिका रेसक्यू प्लान यानि अमेरिकी
बचाव योजना. इस योजना के अंतर्गत अमेरिकी नागरिकों को सीधा लाभ पहुंचाया जाएगा. नब्बे
हजार डॉलर प्रति वर्ष से से कम आय वाले परिवारों को इस योजना के जरिये प्रत्यक्ष लाभ
पहुंचाने का इरादा अमेरिकी सरकार ने जाहिर किया है. योजना के अनुसार कामकाजी परिवारों
को चौदह सौ डॉलर प्रति व्यक्ति के हिसाब से चेक दिये जाएँगे. अमेरिकियों को घर में
रहने के लिए भी सहायता दी जाएगी और मकान मालिकों को भी राहत देने का प्रावधान उक्त
योजना में है. इसी तरह से पोषाहार,बच्चों की देखरेख आदि विभिन्न
कामों के लिए आर्थिक सहायता का प्रावधान उक्त
योजना में किया गया है. 160 बिलियन डॉलर टीकाकरण पर खर्च करने का प्रावधान है. अमेरिका
रेसक्यू प्लान 11 मार्च 2021 को कानून बन गया.
इसी तरह एक अन्य योजना का नाम है-द अमेरिकन जॉब प्लान.
इसे 31 मार्च 2021 को कानून बनाने के लिए पेश किया गया है. इस योजना के अंतर्गत विभिन्न
निर्माण परियोजनाओं के जरिये रोजगार के नए अवसर पैदा करने की बात कही गयी है. व्हाइट हाउस की वैबसाइट पर दर्ज इस योजना के ब्यौरे में कहा
गया है कि यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिकी टैक्स पेयर्स के डॉलरों का फायदा अमेरिका
के कामकाजी परिवारों और उनके समुदायों का मिले ना कि मल्टीनेशनल कॉरपोरेशन या विदेशी
सरकारों को नहीं.
व्हाइट हाउस की
वैबसाइट कहती है कि उक्त योजना के साथ ही राष्ट्रपति बाइडन,मेड इन अमेरिका टैक्स प्लान लागू करना चाहते हैं. इसके जरिये यह सुनिश्चित
किया जाएगा कि अमेरिकी कॉरपोरेशन टैक्स में अपना सही हिस्सा
चुकाएं और रोजगार सृजन में योगदान करें. एक अध्ययन के हवाले से बताया गया कि औसतन बड़े
कॉरपोरेशनों ने टैक्स के तौर पर मात्र आठ प्रतिशत ही दिया. व्हाइट हाउस की वैबसाइट के अनुसार राष्ट्रपति का
यह मत है कि लाभकारी कारपोरेशन को बिना टैक्स दे कर या बहुत कम टैक्स देकर बचना नहीं
चाहिए.
तीसरी योजना का नाम है-अमेरिकन फ़ैमिलीज़ प्लान. इसके ब्यौरे
की शुरुआत करते हुए व्हाइट हाउस की वैबसाइट कहती है-जब अमेरिकन परिवार अच्छे होंगे
तभी राष्ट्र फलेगा-फूलेगा. इसके जरिये शिक्षा में निवेश की बात कही गयी है और इस निवेश
को अमेरिकी भविष्य का डाउनपेमेंट कहा गया है. साथ ही कामगार तबके के लिए विभिन्न रियायतों
की बात कही गयी है. मातृत्व स्वास्थ्य के लिए तीन बिलियन डॉलर के निवेश की बात भी इसमें
कही गयी है.
भारत भी इस समय कोरोना की तीखी मार सह रहा है. अमेरिका
की इन योजनाओं की चर्चा करने के पीछे मंतव्य यही प्रदर्शित करना है कि कोरोना से झूझते
किसी देश को यदि अपने लोगों को चिंता होगी तो वह किन-किन क्षेत्रों में तात्कालिक और
दीर्घकालिक योजनाओं पर काम करेगा. हमारे देश में बीते बरस कोरोना से निपटने के लिए
बीस लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा हुई थी,जिसमें केवल कर्ज देने
की ही योजना थी. वह पैकेज भी चुटकुला बन चुका है. कोरोना की दूसरी लहर के समय तो केंद्र
सरकार लगभग लापता अवस्था में है. अमेरिका एक पूंजवादी देश है. बावजूद इसके कोरोना से
निपटने के लिए वह नागरिकों को सीधा पैसा देने और बड़े कॉरपोरेशनों पर टैक्स लगाने जैसे
उपायों की घोषणा कर रहा है. अमेरिकी योजनाओं के ब्यौरे से भी स्पष्ट है कि देश नागरिकों
को मजबूत करके ही मजबूत हो सकता है. महाशक्तिशाली नेता के रहते भी देश में आम लोग कैसे
लाचार और असहाय हो सकते हैं,वह हम अपने देश में देख ही रहे हैं.
-इन्द्रेश मैखुरी
1 Comments
हमारे यहाँ तो अभी पिछला बीस हज़ार वाला पैकेज ही पड़ा है ,खर्च ही नहीं हो रहा 😂🤣
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