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गोबर,गौमूत्र और रासुका !

 






बीते दिनों भोपाल की भाजपा सांसद और मालेगांव बम धमाकों की आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने एक कार्यक्रम में कहा कि देसी गाय का गौमूत्र पीने से कोरोना नहीं होता. दावा करते हुए वे यहां तक बढ़ गयी कि उन्हें कोरोना इसीलिए नहीं हैं कि वे रोज गौमूत्र पीती हैं.





एक तरफ देश में केंद्र सरकार ही कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण समेत तमाम वैज्ञानिक उपाय लोगों से अपनानाने को कह रही है और दूसरी तरफ उसी सरकार का अंग,एक सांसद, इस महामारी से निपटने के लिए गौ मूत्र को रामबाण औषधि बता रही हैं ! सवाल यह भी उठता है कि प्रज्ञा ठाकुर की पार्टी भाजपा के ही देश भर में कई सांसद-विधायक कोरोना के शिकार हो कर जान गंवा चुके हैं तो प्रज्ञा ठाकुर ने उन्हें यह गौमूत्र फॉर्मूला क्यूं नहीं दिया ? उन्हें मरने को क्यूं छोड़ दिया ?


अतीत में भी प्रज्ञा ठाकुर कई बार ऐसे दावे कर चुकी हैं. इन दावों से ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे उन्हें एलोपैथिक इलाज पर कोई भरोसा ही नहीं हो.जबकि हकीकत यह कि वे विभिन्न रोगों से ग्रस्त हैं और उनका इलाज एलोपैथिक प्रणाली से ही करवाती हैं. वे पहले दावा कर चुकी हैं कि उनके गौमूत्र पीने की आदत ने उनके स्तन कैंसर के ठीक होने में मदद की जबकि हकीकत यह है कि उसका उन्होंने बाकायदा ऑपरेशन करवाया.


मई 2020 में कोरोना काल के दौरान भोपाल में प्रज्ञा के लापता होने के पोस्टर लगे तो तब भाजपा ने बताया कि प्रज्ञा ठाकुर कैंसर और आँखों के इलाज के लिए  एम्स,नयी दिल्ली में भर्ती हैं.


दिसंबर 2020 में भी मालेगांव बम धमाकों के केस में प्रज्ञा एनआईए अदालत में इसलिए नहीं प्रस्तुत हुई क्यूंकि वे इलाज के लिए एम्स में भर्ती थी. सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद फरवरी 2021 में भी उन्हें एम्स में भर्ती करवाया गया. मार्च 2021 में भी सांस लेने में दिक्कत और छाती में जकड़न की शिकायत पर प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल से एयरलिफ्ट करके मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती करवाया गया.


निरंतर अपना इलाज एम्स जैसे अस्पताल में करवाने वाली प्रज्ञा ठाकुर जब गौमूत्र को अचूक औषधि बताती हैं तो वे न केवल अवैज्ञानिक धारणा का प्रसार करती हैं बल्कि उनकी बात का अनुसरण करने वाले बहुत सारे लोगों का जीवन खतरे में भी डालती हैं.


भारतीय चिकित्सा परिषद (आईएमए) के अनुसार इस बात का कोई वैज्ञानिक  प्रमाण नहीं है कि गोबर या गौमूत्र कोरोना के उपचार में मददगार हैं.  लेकिन इसके बावजूद उनके विरुद्ध किसी तरह की कार्यवाही नहीं होती है. कार्यवाही किसके विरुद्ध होती है ? कार्यवाही उनके विरुद्ध हो रही है, जो ऐसी अवैज्ञानिक धारणाओं के विरुद्ध लिख रहे हैं या टिप्पणी कर रहे हैं.


सुदूर उत्तर पूर्व के राज्य मणिपुर में ऐसा ही मामला सामना आया है, जहां गौमूत्र पर टिप्पणी करने के चलते दो लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगा दिया गया है.


फ्रंटलाइन मणिपुर नामक स्थानीय न्यूज़ पोर्टल से जुड़े पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम और पीपल्स रिसर्जेंस एंड जस्टिस एलायंस(प्रजा) नामक संगठन के संयोजक एरेन्द्रो लीचोमबम को भाजपा के मणिपुर प्रदेश अध्यक्ष की मृत्यु पर लिखे शोक जताने वाले फेसबुक पोस्ट में गोबर और गौमूत्र पर टिप्पणी करने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में उन पर रासुका लगा दी गयी.


 किशोरचंद्र वांगखेम ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा, “गोबर और गौमूत्र ने काम नहीं किया. आधारहीन तर्क.कल मैं मछली खाऊँगा.”


 एरेन्द्रो लीचोमबम ने भाजपा नेता की मृत्यु पर शोक प्रकट करते हुए लिखा कि गोबर और गौमूत्र कोरोना वाइरस के इलाज नहीं हैं. इलाज विज्ञान और सामान्य समझदारी (कॉमन सेंस) है.”


इन दोनों ही पोस्ट्स को दिवंगत भाजपा नेता का अपमान मानते हुए इनके खिलाफ भाजपा नेताओं ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई. पुलिस ने तत्काल किशोरचंद्र वांगखेम और एरेन्द्रो लीचोमबम को सीआरपीसी की धारा 41 के तहत गिरफ्तार कर लिया. दोनों को गिरफ्तार करने के बाद जब पुलिस ने न्यायालय के समक्ष पेश किया तो अदालत ने पुलिस को लताड़ लगाई और कहा कि अगर भविष्य में इस तरह की अतार्किक गिरफ्तारी हुई तो पुलिस के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही और अदालत की अवमानना की कार्यवाही की जाएगी. अदालत ने दोनों को जमानत पर रिहा कर दिया.


पर इससे पहले दोनों जमानत पर बाहर आ पाते,उनके विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगा दिया गया.





स्पष्ट तौर पर यह इन दोनों के खिलाफ बदले की भावना से की गयी कार्यवाही है.


एक तरफ भाजपा सांसद हैं, जो गौमूत्र के नाम पर अवैज्ञानिक और तर्कहीन बातें फैला कर सुर्खियां बटोर रही हैं और दूसरी तरफ मणिपुर के ये दो पत्रकार और एक्टिविस्ट हैं,जो गोबर और गौमूत्र पर टिप्पणी करने के लिए रासुका में निरुद्ध कर दिये गए हैं. यही “न्यू इंडिया” है मित्रो ! भारत के संविधान के अनुच्छेद 51- ए- में वैज्ञानिक चेतना का विकास, मौलिक कर्तव्य की श्रेणी में है. लेकिन “न्यू इंडिया” में संविधान को पूछता कौन है, मित्रो ?


-इन्द्रेश मैखुरी   

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4 Comments

  1. ये गोबर पट्टी के लोग हैं
    कुछ भी अंडबंड बकवास करते रहते हैं

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    1. पर स्वयं को सर्वाधिक बुद्धिमान समझते हैं

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  2. जिन लोगों ने इस साध्वी को जिताया है, वे जम कर गाय की मूत पी रहें होंगे और कोरोना से मुक्त होंगे!!!

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  3. जिस देश में सत्ता के शीर्ष पर ऐसे लोग मौजूद हैं वहां और उम्मीद ही क्या की जा सकती है !

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