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स्वास्थ्य कर्मियों का भी ख्याल रखो सरकार

 





आज सुबह अखबार उठा कर देखा तो एक खबर पर नजर गयी. खबर थी कि हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में तैनात उपनल यानि उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम के जरिये तैनात कर्मचारियों ने पाँच घंटे तक काम ठप रखा और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.सी.पी.भैंसोड़ा का घेराव किया. इन कर्मचारियों की मांग थी कि मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी के बाद इन कर्मचारियों को ठहराने की व्यवस्था मेडिकल कॉलेज प्रबंधन करे. इन अस्थायी कर्मचारियों की चिंता बेहद वाजिब है. ये कर्मचारी कोरोना मरीजों के उपचार की ड्यूटी में लगे हुए हैं. ड्यूटी पूरी होने पर ये अपने घर जाते हैं तो संक्रमण के इनके परिजनों तक  फैलने की आशंका बनी रहती है.




कर्मचारियों के कार्यबहिष्कार के बाद मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.सी.पी.भैंसोड़ा ने कर्मचारियों से तीन-दिन में मामला सुलझने की बात कही. ये कर्मचारी 22 अप्रैल से इस मसले पर कार्यवाही की मांग उठा रहे हैं.


इस संदर्भ में यह भी गौरतलब है कि उच्च न्यायालय,नैनीताल भी इस मामले में  इन कर्मचारियों के लिए ड्यूटी के बाद रहने का प्रबंध करने का निर्देश उत्तराखंड सरकार को दे चुका है. 28 अप्रैल 2021 को एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.एस. चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष यह मामला उठाया था. इस पर खंडपीठ ने इन कर्मचारियों के लिए अस्पताल के अंदर या नजदीक आवास की व्यवस्था पर विचार करने को उत्तराखंड सरकार से कहा था ताकि संक्रमण इनके परिवारों में न फैले. 

 

कोई भी सरकार और प्रशासन जो कोरोना के फैलाव को रोकने के प्रति गंभीर है,उसे स्वयं ही इस पहलू पर गौर करके,इंतजाम करने चाहिए थे. लेकिन वह तो उत्तराखंड सरकार ने नहीं किया. इसके उलट उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद भी कार्यवाही नहीं हुई तो इन कर्मचारियों को धरना-प्रदर्शन, कार्यबहिष्कार जैसे कदम उठाने पड़े.


मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जी, स्वयं संक्रमण का खतरा झेल कर रोगियों की सेवा करने वाले इन अस्थायी कर्मचारियों के प्रति थोड़ा संवेदनशीलता सरकार को प्रदर्शित करनी ही चाहिए. इनके और इनके परिजनों को संक्रमण से बचाना सरकार का दायित्व है. अविलंब ऐसी व्यवस्था हो कि इन कर्मचारियों को अपने परिजनों के संक्रमण की चपेट में आने का भय न रहे.


-इन्द्रेश मैखुरी

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