देश दो सौ साल तक अमेरिका का गुलाम रहा. फिर अमेरिका
का साम्राज्य समंदर में डूब गया. चीनी भी वहीं रखी थी मित्रो, वो भी डूब गयी
! इसलिए किसी को आज तक चीनी नहीं मिली. मिलती कैसे,वो तो समंदर में डूब गयी थी. लोग समंदर में ढूँढने गए पर समंदर में तो नमक
ज्यादा था. समंदर में नमक इतना ज्यादा था कि उसमें चीनी का स्वाद गुम हो गया !
“चीनी आज तक किसी को नहीं मिली”, यह वाला दिव्यज्ञान देने वाले गुरुजी के भी बड़े गुरुजी हैं,जिनकी कृपा से ऐसा दिव्यज्ञान की फुलझड़ी छोड़ने वाला हीरा हमें प्राप्त हुआ.
उन्होंने चीनी ढूंढने के लिए चीनियों को लाल आंखें दिखाने का फॉर्मूला, पहले ही तजवीज़ कर दिया था. चीनी आंखें इतनी छोटी थी कि उन्हें लाल आंखें, उतनी दूर से दिखी
नहीं. लाल आंखें देखने चीनी खुद ही लद्दाक तक आ गए. इस तरह चीनी इतने करीब देखे गए
!
पॉज़िटिविटी का दौर चल रहा है मित्रो. ऑक्सीजन,दवाई,बेड का अकाल है, वैक्सीन तो
लगता है कि आकाश कुसुम हो गयी. तब देखिये क्या कमाल मुखिया आयें जिन्होंने इस संकट
में लोगों को चीनी दे दी. वो ठीक कह रहे हैं कि इस बात का प्रचार करना चाहिए. वे अस्पताल,डॉक्टर,दवा ऑक्सीजन न दे सके तो क्या, उसके बदले चीनी तो दे रहे हैं,यही तो पॉज़िटिविटी है, मित्रो !
-इन्द्रेश मैखुरी
1 Comments
कभी पोजिटिव भी सोचा करो मैखुरी जी।।
ReplyDelete