यह एक प्रचलित गढ़वाली कहावत है और मराठी नाटककार महेश
एलकुंचवार के नाटक का गढ़वाली रूपान्तरण, प्रख्यात साहित्यकार,रंगकर्मी, पत्रकार दिवंगत राजेन्द्र धस्माना जी ने इसी
नाम से किया- पैसा न ध्यल्ला, गुमान सिंह रौतेला !
हिन्दी में मोटे तौर पर कहें तो नाम बड़े और दर्शन
छोटे टाइप मामला है. अपने अफसर लोगों और उत्तराखंड सरकार की हालत भी उच्च
न्यायालय में - पैसा न ध्यल्ला, गुमान सिंह रौतेला- टाइप ही हुई पड़ी है.
मुख्य सचिव समेत अफ़सरान हाई कोर्ट के सामने अफ़सरी अंदाज
में बन-ठन कर पेश होते हैं और शाम होते-होते हाई कोर्ट, कपड़ों की नहीं अफसरों की भी क्रीज़ उतार देता है, सारे
कस-बल ढीले कर देता है.
बीती रोज यानि 28 जून को भी अफ़सरान हाई कोर्ट के सामने
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश हुए. मसला था कि 01 जुलाई से चार धाम यात्रा शुरू
होगी. मुख्यसचिव ओमप्रकाश समेत तीन अफसरों की मौजूदगी में शाम तक उच्च न्यायालय ने
चार धाम यात्रा शुरू करने पर चार हफ्ते की रोक लगा दी.
उत्तराखंड सरकार द्वारा चार धाम यात्रा की लंबी-चौड़ी एसओपी
को उच्च न्यायालय ने कागज का पुलिंदा बताया. न्यायालय ने कहा कि ऐसी एसओपी तो कुम्भ
के समय भी जारी हुई थी पर क्या उसका अनुपालन हुआ ?
चार धाम यात्रा सरकार शुरू करने को उतावली है पर स्वास्थ्य
सुविधाओं की क्या स्थिति है ? इस मामले में प्रचंड बहुमत की सरकार
और चमक-दमक वाले अफसरों के चेहरे की सारी लाली हवा हो जाती है. अदालत ने उल्लेख किया कि रुद्रप्रयाग जिला जहां केदारनाथ मंदिर है, वहाँ आठ वेंटिलेटर हैं, जिनमें से छह काम नहीं करते.
जिला अस्पताल,रुद्रप्रयाग में छह ऑक्सीजन कनसनट्रेटर हैं, जिनमें से चार काम नहीं करते. इसी तरह की स्थिति एंबुलेंस और अन्य स्वास्थ्य
सुविधाओं की है.
चार धाम यात्रा की अदालत में जमा एसओपी में दावा किया
गया है कि चार धाम में टेस्टिंग लैब स्थापित की जाएंगी. अदालत ने पूछा कितनी लैब स्थापित
की जाएंगी, टेस्टिंग कौन करेगा, टेस्टिंग
के रिज़ल्ट कब तक आएंगी तो सरकार और अफसरों की अवस्था- निल बट्टे सन्नाटा !
एसओपी में दावा कर दिया कि जो कोविड से प्रभावित होंगे, वे आइसोलेशन वार्ड में रखे जाएंगे. ऐसे कितने आइसोलेशन वर्ड बने तो संख्या
ज्ञात नहीं ! उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ में 40 बेड की अतिरिक्त
कोविड डेडिकेटेड यूनिट स्थापित करने की बात अदालत को अफसरों ने बताई. 01 जुलाई से सरकार
चार धाम यात्रा शुरू करना चाहती है पर 30 जून तक यह अस्पताल तैयार नहीं होगा.
उत्तराखंड में टीकाकरण की स्थिति भी अदालत के फैसले से
पता चलती है. अदालत ने लिखा कि 1.32 करोड़ की कुल आबादी में से मई अंत तक कुल 35,36,840 लोगों
का टीकाकरण हुआ है, जिनमें से पहली डोज़ वालों की संख्या 21,72,760 है, जबकि
जिन्हें दोनों डोज़ लग चुके हैं, उनकी संख्या महज
6,82,040 है. उत्तराखंड
की सत्तर प्रतिशत आबादी को टीका लगने में अभी अट्ठारह महीने और लगेंगे. जिन तीन जिलों-चमोली,उत्तरकाशी,रुद्रप्रयाग के निवासियों के लिए उत्तराखंड सरकार पहले चरण में चार धाम यात्रा
शुरू करना चाहती है, उन जिलों में पचास प्रतिशत से अधिक आबादी
का अभी तक टीकाकरण नहीं हो सका है.
अदालत के इस फैसले में यह साफ कहा गया है कि अप्रैल के
महीने में हुए कुंभ में भीड़ नियंत्रण में उत्तराखंड सरकार पूरी तरह से विफल रही, कोविड एसओपी का रत्तीभर पालन नहीं हुआ. मेलाधिकारी कुंभ के आश्वासन के बावजूद
हरिद्वार और ऋषिकेश का नागरिक प्रशासन एसओपी का अनुपालन कराने में विफल रहा. हरिद्वार में गंगा दशहरे और नैनीताल जिले में नीम
करौली बाबा के मंदिर के खुलने पर भी यही हालत हुए. कुंभ के बारे में तो अदालत ने कहा
कि मई 2021 में उत्तराखंड में कोरोना से हुई 57 प्रतिशत मौतों का कारण अप्रैल 2021
का कुंभ मेला था.
कुल मिला कर कुंभ और अन्य मौकों पर भीड़ नियंत्रण में राज्य
सरकार और उसकी अफसरशाही के नकारेपन से अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि ऐसे लोगों के रहते
चार धाम यात्रा की अनुमति देना, इस महामारी काल में लोगों की जान
जोखिम में डालना है.इसलिए उच्च न्यायालय ने चार धाम यात्रा स्थगित कर दी. एक बार खबर
आई कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उत्तराखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी.
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में लिखा है कि उत्तराखंड
में स्वास्थ्य सुविधाओं का अकाल है और स्वास्थ्य रक्षा का पूरा तंत्र दयनीय स्थिति
में है. तीरथ सिंह रावत जी, सुप्रीम कोर्ट में क्या यह सिद्ध कर देते
कि उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाएं बेहद उच्च कोटि की हैं ? या
फिर वहां से भी मुख्य सचिव ओमप्रकाश और अन्य अफ़सरान अपना सा मुंह लेकर ही लौटते ?
-इन्द्रेश मैखुरी
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