उत्तराखंड वालो, याद है जून 2019 में एक शादी
हुई थी.
यूं शादियाँ तो बहुत हुई होंगी पर यह इसलिए याद रखने की बात है कि यह
शादी औली में हुई थी. जोशीमठ के निकट औली वही बुग्याल है, जो
स्कीइंग के लिए जाना जाता है. यह विवाह जब हुआ, उससे लगभग एक
वर्ष पहले यानि 21 अगस्त 2018 को उत्तराखंड उच्च न्यायालय, बुग्यालों
में रात्रिकालीन कैंपिंग और रहने पर पूरी तरह रोक लगा चुका था. इस विवाह की खातिर उत्तराखंड
उच्च न्यायालय,नैनीताल में उत्तराखंड सरकार ने कहा कि शादी औली
में जरूर हो रही है पर यह बुग्याल (alpine meadow) नहीं है बल्कि
बुग्याल तो यहां से 4 किलोमीटर दूर है !
यह अनोखी शादी थी,जिसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री
त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व वाली उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने औली को बुग्याल मानने
से ही इंकार कर दिया था. बल्कि अखबारों में तो यहां तक खबर छपी कि यह शादी औली में
हो ही तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के निवेदन पर हो रही थी.
तो किसकी थी यह शादी ? यह शादी सहारनपुर
के रहने वाले और दक्षिण अफ्रीका में अपने व्यापार-व्यवसाय करने के तौर-तरीकों से (कु)
ख्याति हासिल करने वाले गुप्ता बंधुओं- अजय और अतुल के दो बेटों की थी. इसे उत्तराखंड
की सबसी महंगी शादी बताया गया था, जिस पर 200 करोड़ रुपया खर्च
हुआ था.
शादी के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत
ने कहा था कि पर्यटन विकास और उत्तराखंड को वैडिंग डेस्टिनेशन बनाने के लिहाज से उक्त
विवाह, मील का पत्थर सिद्ध होगा. हालांकि बाद में इतना ही हुआ कि औली के ढलानों पर
शादी के सीवर के बहने की खबरें आईं !
पर यहां पर इस शादी को क्यूं याद किया जा रहा है ? उक्त शादी को याद करने के पीछे उक्त विवाह की वर्षगांठ जैसा कोई मंतव्य नहीं
है. दरअसल उक्त गुप्ता बंधु यानि अजय,अतुल और राजेश गुप्ता एक
बार फिर सुर्खियों में हैं.
इन गुप्ता बंधुओं की चर्चा इसलिए हो रही है क्यूंकि दक्षिण
अफ्रीका की सरकार, संयुक्त अरब अमीरात के साथ जो प्रत्यर्पण
संधि करने का प्रयास 2018 से कर रही थी,उसे दो दिन पहले अमीरात
सरकार ने स्वीकार कर लिया है. दक्षिण अफ्रीका, इस प्रत्यर्पण
संधि को इसलिए महत्वपूर्ण मान रहा है क्यूंकि उनके देश में भ्रष्टाचार करने के बाद
गुप्ता बंधु अब दुबई से कारोबार चला रहे हैं और इस संधि के बाद उन्हें वापस लाना और
अदालत के कठघरे में खड़ा करना आसान होगा.
गुप्ता बंधुओं पर आरोप है कि पूर्व राष्ट्रपति जेकब जुमा
से निकटता का लाभ उठाते हुए 500 बिलियन रैंड यानि लगभग 37 बिलियन डॉलर, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के सरकारी खजाने से भ्रष्ट तरीकों से हड़प लिए.
दक्षिण अफ्रीका में गुप्ता बंधुओं के इस पूरे घोटाले को
“स्टेट कैप्चर” यानि राज्य पर कब्जा कहा गया. तत्कालीन राष्ट्रपति जेकब जुमा को शीशे
में उतार कर, गुप्ता बंधुओं ने दक्षिण अफ्रीका में भ्रष्टाचार का
कैसा नंगा नाच किया, वह दांतों तले उंगली दबाने को विवश करता
है. लेकिन वह दास्तान इतनी लंबी है कि वह एक अलग लेख या कहिए
कि पूरे अध्याय की मांग करती है.
दक्षिण अफ्रीका में भी गुप्ता बंधुओं की असलियत का खुलासा
वैसे ही एक भव्य विवाह से हुआ, जैसा उन्होंने औली में किया. 2013
में हुए उस विवाह में आने वाले विदेशी मेहमानों को किसी आम हवाई अड्डे पर नहीं बल्कि
प्रिटोरिया के निकट एक मिलिटरी बेस पर उतारा गया. एक रेडियो पत्रकार बैरी बैटमैन ने
इस मामले का खुलासा किया तो दक्षिण अफ्रीका में लोगों को पता चला कि कोई गुप्ता परिवार
है, जिनके कब्जे में राष्ट्रपति है. जैकब जुमा के साथ गुप्ताओं
के इस गठबंधन के संयुक्त परिवार को अफ्रीकी लोगों ने नाम दिया- जुप्तास !
हालिया घटनाक्रम है कि दक्षिण अफ्रीका के केंद्रीय बैंक
ने गुप्ता बंधुओं की 1.3 मिलियन डॉलर की संपत्ति जब्त कर ली है. अक्टूबर 2019 में यानि
औली में भव्य शादी करने के कुछ महीनों बाद, अमेरिका ने गुप्ता बंधुओं
पर प्रतिबंध लगा दिया. 3 जून 2021 को बीबीसी
की खबर के अनुसार गुप्ता बंधुओं की गिरफ्तारी के लिए दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने इंटरपोल
की मदद मांगी है.
सवाल पूछा जा सकता है कि दक्षिण अफ्रीका में गुप्ता बंधुओं
ने भ्रष्टाचार किया तो उससे औली में उनके द्वारा विवाह करने पर प्रश्न चिन्ह कैसे लगाया
जा सकता है ? जवाब है कि भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद गुप्ता बंधु
2016 में दक्षिण अफ्रीका से फरार हो कर दुबई चले गए. 2018 में गुप्ता बंधुओं के साथ
भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोपों के चलते जैकब जुमा को राष्ट्रपति पद छोड़ना पड़ा.
तो 2016 के दक्षिण अफ्रीका के आर्थिक अपराधों के भगोड़ों
के लिए, जिंका 2018 से प्रत्यर्पण कराने की कोशिश हो रही थी, 2019 में अपनी परिस्थितिकी, पर्यावरण और बुग्याल को
नष्ट करके उत्तराखंड को पर्यटन और वैडिंग डेस्टिनेशन बनाना चाह रही थी, उत्तराखंड की भाजपा सरकार ? इस बात की जांच होनी चाहिए
कि क्या उत्तराखंड में इस विवाह को करने के लिए दक्षिण अफ्रीका के इन आर्थिक अपराधियों
ने वही तौर-तरीका तो नहीं अपनाया, जिसका खुलासा होने पर इन्हें
दक्षिण अफ्रीका से भागना पड़ा था ? सवाल यह भी कि एक देश के भगोड़े
आर्थिक अपराधी, भारत आकर 200 करोड़ रुपए का आयोजन करते हैं और
भारत की कोई एजेंसी, इन पर कोई सवाल नहीं खड़ा करती, क्या ये बिना मिलीभगत के संभव है ? निश्चित ही यह बड़े
गोलमाल की तरफ इशारा करता है, जिसकी व्यापक जांच होनी चाहिए.
-इन्द्रेश मैखुरी
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