ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग कर्णप्रयाग के पास
कल से भारी मलबा आ जाने से बाधित है. यहां पर चार धाम परियोजना के लिए सड़क काटी गयी
थी. तीन दिन की बारिश के बाद दो दिन की धूप में कल भारी मलबे ने कल इस सड़क को बाधित
कर दिया. मलबा क्या था, लगभग पूरी चट्टान ही मलबे का ढेर बन कर
नीचे आ गयी.
राष्ट्रीय राजमार्ग के बाधित होने के बाद कर्णप्रयाग से
धारडुंगरी-मैखुरा-कंडारा-सोनला मोटरमार्ग को गोपेश्वर,जोशीमठ,बद्रीनाथ आदि स्थानों के लिए प्रयोग किया जा रहा
है. गोपेश्वर,जोशीमठ,बद्रीनाथ आदि स्थानों
से वापसी के लिए भी इसी मार्ग को यानि सोनला-कंडारा-मैखुरा-धारडुंगरी-कर्णप्रयाग का
प्रयोग किया जा रहा है. चमोली जिले के निवर्तमान सीडीओ हंसदत्त पांडेय भी कल इसी मार्ग
से अपने नए तैनाती स्थल को गए और सेना के वाहन भी इसी मार्ग से आवाजाही कर रहे हैं.
लेकिन यह ब्रांच रूट है,कई जगह पर संकरा और ऊबड़खाबड़. कुछ जगह रोड कटिंग का मलबा भी सड़क पर ही पड़ा हुआ
है और पत्थर भी हैं. धारडुंगरी से कनखुल की बीच ऐसी स्थिति है,साथ ही कई अन्य स्थानों पर भी ऐसी हालत है.
कल इस सड़क पर भारी ट्रैफिक को देखते हुए लोगों का कहना
था कि कम से कम लोकनिर्माण विभाग को सड़क पर पड़ी मिट्टी और पत्थर तो साफ करवा देने चाहिए.
इस बारे में लोकनिर्माण विभाग,गौचर के अधिशासी अभियंता (जिनका नाम दिनेश कुमार बताया गया) को व्हाट्स ऐप पर पत्र भेज कर निवेदन किया
कि जेसीबी भेज कर मलबा और मिट्टी साफ करवा दें. इन महोदय का नाम लिखते हुए-बताया गया-इसलिए
लिखा क्यूंकि ये नए आए हैं और कुछ पत्रकार मित्रों का कहना था कि फोन भी नहीं उठाते
हैं.
बहरहाल जब इन्हें व्हाट्स ऐप पर लिखा कि जेसीबी भेज कर मलबा और मिट्टी साफ करवा दीजिये तो इन्होंने जवाब भेजा,वो अजब था. अधिशासी अभियंता, लोकनिर्माण विभाग, गौचर ने जवाब में सहायक अभियंता का नंबर भेज दिया.
अगर अफसरों के काम करने
का यही अंदाज रहे तो फिर यह होगा कि अधिशासी अभियंता, सहायक
अभियंता का नंबर देंगे, सहायक अभियंता,
कनिष्ठ अभियंता का नंबर दे देंगे और इस घटते क्रम में बेलदार और गैंगमेट का नंबर प्राप्त
हो जाएगा. टेलीफोन डाइरैक्ट्री तो अच्छी बन जाएगी पर काम ढेला भर न होगा. अधिशासी अभियंता
अपने आप को अधिशासी अभियंता न समझ कर यदि रिसैप्शनिस्ट या पूछताछ कार्यालय का प्रभारी
समझे हों तो कोई उनकी समझ दुरुस्त करवाए और बताए कि वे क्या हैं और उनको क्या करना
है !
सहायक अभियंता का नंबर देने के बाद मैंने उनसे पूछा कि जिनका नंबर वे दे रहे हैं,उनपर मेरे बोलने का असर ज्यादा होगा कि आपका यानि नंबर देने वाले महाशय अधिशासी अभियंता का तो अधिशासी अभियंता महोदय,फौरन इस देश की रौब गालिब करने की भाषा यानि अंग्रेजी में उतर पड़े. उनकी भाषा में पुनः उनको मिट्टी साफ कराने का निवेदन किया है,शायद रौब-दाब वाली भाषा में वे समझ जाएं कि क्या करना है !
बहरहाल चमोली की जिलाधिकारी श्रीमति स्वाति भदौरिया को
भी उक्त जानकारी भेज दी और लोकनिर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता द्वारा कार्यवाही के
नाम पर सहायक अभियंता का नंबर भेजने की बात भी उन्हें बताते हुए निवेदन किया है कि
अब वे ही देखें कि लोकनिर्माण विभाग के अफ़सरान कुर्सी से थोड़ा हिलें-डुलें. उन्होंने
ओके कह दिया है.
रौब-दाब वाली भाषा यानि आंग्ल भाषा में जवाब लिखने के
बाद उत्तर आया है कि एई को निर्देश दे दिये हैं और एई उल्लिखित रोड पर आज स्वयं जाएँगे.
यह बात पहले ही हो जाती तो इतनी कथा-कहानी की जरूरत ही न पड़ती. हो सकता है कि आंग्ल
भाषा का असर हो या जिलाधिकारी महोदया ने फोन किया हो तब मामला हिला-डुला हो. ऐसा न
होता तो पौने नौ बजे शुरू की गयी बात में कार्यवाही का जवाब ग्यारह बजे न आता. कार्यवाही की रोड ब्लॉक थोड़े है ! और हाँ, आमजन से हिन्दी
में ही बोल-बतिया लेना चाहिए,खास तौर पर तब जबकि अंग्रेजी की
एक लाइन में स्पेल्लिंग्स और ग्रैमर दोनों की गलती होती हो !
राज्य की सरकार से निवेदन है कि कुर्सी पर बैठाने से पहले
अफसरों की काउंसलिंग करके उन्हें समझाएँ कि कार्यवाही करने का तरीका क्या है,जब जनता उनसे कार्यवाही की मांग करे तो वे अपने अधीनस्थों का नंबर आगे न सरकाएँ
बल्कि अधीनस्थों से स्वयं कार्यवाही करने को कहें. न हो तो इसकी भी एक एसओपी यानि स्टैंडर्ड
ऑपरेटिंग प्रोसीजर बना दें !
-इन्द्रेश मैखुरी
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