बीते रोज दुनिया भर के प्रमुख समाचार पत्रों ने एक
लीक डाटाबेस का खुलासा किया है, जो बता रहा है कि दुनिया
भर में सरकारें कैसे लोगों की जासूसी और निगरानी करवा रही हैं. इस लीक डाटाबेस के खुलासे
का दुनिया भर के अखबारों ने नाम दिया है- पेगासस प्रोजेक्ट. इस नामकरण के पीछे उस सॉफ्टवेयर
का खुलासा है, जो कि लोगों की जासूसी करने और उन पर निगाह रखने
के लिए इस्तेमाल किया गया.
पेगासस एक हैकिंग सॉफ्टवेयर है, जिसे इज़राइली कंपनी एनएसओ ने बनाया है. ब्रिटिश अखबार- द गार्जियन के अनुसार, एक बार यदि किसी
फोन में पेगासस की घुसपैठ हो जाये तो आपका फोन ही आप पर चौबीसों घंटे, निगरानी का यंत्र बन जाएगा. पेगासस फोन में आए या भेजे गए मैसेज पढ़ सकता है, कॉल रिकॉर्ड कर सकता है, वह आपके फोन के कैमरे से आपकी
ही रिकॉर्डिंग कर सकता है, आपके फोन के माइक्रोफोन से आपकी बातचीत
रिकॉर्ड कर सकता है,आप कहां हैं, कहां गए
और किससे मिले, सब पता लगा सकता है.
पेरिस के मीडिया संगठन- फॉरबिडन स्टोरीज और एमेनस्टी इंटरनेशनल
को शुरुआती तौर पर पेगासस का लीक डेटाबेस हासिल हुआ, जिसे उसने वॉशिंग्टन
पोस्ट, द गार्जियन, ला मोंद समेत दुनिया
के सोलह मीडिया संस्थानों के साथ साझा किया, जिसमें भारत का न्यूज़
पोर्टल- वायर शामिल है.
जो लिस्ट लीक हो कर समाचार पत्रों को हासिल हुई है, उसमें पचास हजार फोन नंबर हैं, जिनके बारे में यह माना जा रहा है कि ये 2016 से एनएसओ के ग्राहकों की रुचि के नंबर हैं. इनमें मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील,पत्रकार आदि सब शामिल हैं. दुनिया भर के 180 पत्रकार इस सूची में शामिल हैं. वर्तमान खुलासे के अनुसार जासूसी का यह तंत्रजाल 45 देशों और चार महाद्वीपों में फैला हुआ है.
भारत के तकरीबन 300 नंबर इस पेगासस जासूसी एवं
निगरानी सूची में हैं. इनमें 40 से अधिक पत्रकार हैं. द वायर में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वायर के सिद्दार्थ
वरदराजन, एमके वेणु, इंडियन एक्सप्रेस के
ऋतिका चोपड़ा (जो शिक्षा और चुनाव आयोग कवर करती हैं), इंडिया टुडे के संदीप उन्नीथन (जो रक्षा और सेना संबंधी
रिपोर्टिंग करते हैं), टीवी 18 के मनोज
गुप्ता ( इन्वेस्टिगेशन और सुरक्षा मामलों के संपादक), द हिंदू की विजेता सिंह (गृह मंत्रालय कवर करती हैं), द वायर की डिप्लोमैटिक एडिटर देवीरूपा मित्रा, प्रेमशंकर झा, रोहिणी सिंह, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा रिपोर्टर सैकत
दत्ता, ईपीडब्ल्यू के पूर्व संपादक परंजॉय गुहा
ठाकुरता, टीवी 18 की पूर्व एंकर और द ट्रिब्यून की डिप्लोमैटिक रिपोर्टर स्मिता
शर्मा, आउटलुक के पूर्व पत्रकार एसएनएम अब्दी, पूर्व डीएनए रिपोर्टर इफ्तिखार गिलानी, द पायनियर के इनवेस्टिगेटिव रिपोर्टर
जे. गोपीकृष्णन, स्वतंत्र पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी आदि के नाम इसमें
शामिल हैं. उत्तर-पूर्व की मनोरंजना गुप्ता, जो
फ्रंटियर टीवी की प्रधान संपादक हैं, बिहार के संजय श्याम और
पंजाबी दैनिक रोज़ाना पहरेदार के प्रधान संपादक जसपाल सिंह हेरन, झारखंड के स्वतंत्र पत्रकार रूपेश
कुमार सिंह के नाम भी उक्त सूची में शामिल हैं.
भारत के बारे में तो कहा जा रहा है कि अन्य
के अलावा, दो केंद्रीय मंत्री, तीन विपक्षी नेता और एक जज भी शामिल हैं,जिनकी जासूसी
करवाई गयी.
गार्जियन, वायर आदि ने लिखा है कि आने वाले दिनों में उन नामों का खुलासा किया जाएगा, जिन पर निगरानी रखी जा रही थी.
पेगासस की निर्माता कंपनी- एनएसओ का स्पष्ट
तौर पर कहना है कि वह सिर्फ सरकारों को ही अपना सॉफ्टवेयर
बेचती है. इससे साफ है कि दुनिया भर में सत्ताएं ही इस निगरानी और हैकिंग सॉफ्टवेयर
का इस्तेमाल कर रही हैं. शुरुआती तौर पर जो
खुलासा सामने आया है, वह बेहद गंभीर है. भारत में
ही देखें तो इस देश में एक ऐसी हुकूमत है, जो महाशक्तिशाली होने
का दावा करती है. लगभग बिछ चुके मीडिया के हाथ में होते हुए भी उसे यदि मुट्ठीभर स्वतंत्र
मीडिया या पत्रकारों की निगरानी करने के लिए एक विदेशी निगरानी सॉफ्टवेयर का सहारा
लेना पड़ रहा है तो इससे, उसका डर और आलोकतांत्रिक चेहरा, दोनों ही उजागर होता है. और तो और केंद्र की छप्पन इंची सरकार अपने ही दो
मंत्रियों की जासूसी करवा रही थी, यह तो कायरता और अविश्वास की
इंतहा है ! स्वतंत्र सोच-विचार, आचरण और निजता पर इससे बड़ा हमला और क्या हो सकता है !
-इन्द्रेश मैखुरी
संदर्भ :
1. https://www.theguardian.com/news/series/pegasus-project
2 . https://thewire.in/government/project-pegasus-journalistsministers-activists-phones-spying
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2 Comments
यह हमारे अभिव्यक्ति और निजता की स्वतंत्रता पर बहुत बड़ा हमला है। यह मोदी सरकार फासीवादी सरकार है। इससे मुक्कमल लड़ाई लड़ने के लिए हमें एकजुट होना होगा।
ReplyDeleteजासूसी से पुराना रिश्ता है
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