खबर है कि एनएच घोटाले के दो आरोपी अफसरों के प्रमोशन की तैयारी कर ली गयी है. नए मुख्यमंत्री के राज में नए-नवेले मुख्य सचिव की अध्यक्षता में डीपीसी में एनएच घोटाले के आरोपी अफसरों के तदर्थ प्रमोशन की मंजूरी दे दी गयी है. दैनिक अखबार हिंदुस्तान में छपी खबर के अनुसार जिन दो पीसीएस अफसरों के कार्यकाल में सर्वाधिक घपला हुआ था,उन्हें प्रमोशन देने की तैयारी उत्तराखंड सरकार ने कर ली है.
यह दीगर बात है कि उन पर अभी भी उच्च न्यायालय
में मुकदमा चल रहा है और विभागीय जांच भी चल रही है. बावजूद इसके सरकार उनके इस तर्क
पर पसीज गयी कि उनके बैच के सभी अफसरों के प्रमोशन तो 2019 में ही हो चुके हैं. इस तरह डबल
इंजन की सरकार में घपले के डबल इंजन का प्रमोशन होने का रास्ता निकल गया !
2017 में जब उत्तराखंड में भाजपा की सरकार सत्तासीन हुई, उसी समय उधमसिंह नगर जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) 74 के चौड़ीकरण में
कृषि भूमि को अकृषि कराने और उसके मुआवजे में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ. इस मामले में
तीन सौ करोड़ रुपये का घोटाला होने का अनुमान लगाया गया. चूंकि घोटाला उनके आने से पहले
के कार्यकाल का था और भाजपा की नयी बनी सरकार के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, भ्रष्टाचार के विरुद्ध ज़ीरो टॉलरेंस का नारा उछाल
रहे थे, इसलिए शुरुआती तौर पर इसमें ताबड़तोड़ निलंबन और गिरफ्तारियाँ
हुई. 07 पीसीएस अफसर और दो आईएएस अफसर निलंबित हुए, पीसीएस अफसर
तो जेल भी गए. पर धीरे-धीरे ज़ीरो टॉलरेंस, ज़ीरो होता गया और टॉलरेंस बढ़ती गयी. सारे अफसर त्रिवेंद्र रावत के मुख्यमंत्री
रहते ही न केवल बहाल कर दिये गए बल्कि वे प्रमुख पोस्टिंग भी पाते गए. अब एनएच 74 घोटाले
के दो आरोपी अफसरों के प्रमोशन से लगता है कि इस घोटाले ने साढ़े चार साल के भाजपा राज
में अपना चक्र पूरा कर लिया है. यानि भाजपा सरकार ने घोटाले में जेल भिजवाया, भाजपा सरकार ही प्रमोशन दे कर जाएगी !
तब के कैबिनेट मंत्री, सरकार के प्रवक्ता
और वर्तमान भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक का 2017 में अखबारों में बयान छपा कि किसी आरोपी
को नहीं छोड़ेंगे. वर्तमान स्थिति में कौशिक साहब को जोड़ लेना चाहिए कि सब का प्रमोशन
करके रहेंगे !
नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिस दिन विवादित अफसर
ओमप्रकाश को मुख्य सचिव पद से हटाया तो लोगों को लगा कि भ्रष्ट नौकरशाहों की अब खैर
नहीं. स्वयं मुख्यमंत्री ने कहा कि अफसर हावी हैं, इसलिए मुख्य
सचिव को बदलना पड़ा. अफसरशाही बहुत हावी थी, उसकी जकड़ कमजोर करने
का मुख्यमंत्री ने क्या नायाब रास्ता निकाला,घोटाले के आरोपियों को प्रमोशन का रास्ता ! जो घोटाले के आरोप, विभागीय जांच और हाईकोर्ट में मुकदमें के बावजूद प्रमोशन पा जाएँगे, वे हावी कैसे रहेंगे, वे तो मुख्यमंत्री के अहसानों
तले दबे रहेंगे ! वाह मुख्यमंत्री जी ! वाह ! अफसरशाही पर नकेल कसने का क्या नायाब
रास्ता निकाला है, आपने !
नए-नवेले मुख्य सचिव डॉ.एस.एस. संधु जिस दिन कुर्सी पर बैठे तो उन्होंने फ़ाइलों की गति बढ़ाने के निर्देश
दिये. इसमें भ्रष्टाचर के आरोपी अफसरों के प्रमोशन की फ़ाइल की गति बढ़ाने का आदेश भी
शामिल था क्या, सिंधु साहब ?
इस प्रमोशन में सिंधु साहब जहां से आए हैं, उसका कनेक्शन भी देख लिया जाये. संधु साहब मुख्य सचिव बनने से पहले राष्ट्रीय
राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अध्यक्ष थे. एनएचएआई, केंद्रीय
सड़क परिवहन मंत्रालय के अधीन है, जिसके मंत्री नितिन गडकरी हैं.
उत्तराखंड सरकार ने जब 2017 में एनएच घोटाले की सीबीआई जांच की सिफ़ारिश की तो नितिन
गडकरी ने इस जांच का खुला विरोध किया. अंततः नितिन गडकरी के दबाव के चलते ही एनएच घोटाले
में उत्तराखंड सरकार की अनुशंसा के बावजूद सीबीआई जांच नहीं हो सकी. इस तरह देखें तो
एनएच घोटाले की सीबीआई जांच न हो सके, इसके लिए नितिन गडकरी ने
अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री की फजीहत कराने में भी गुरेज नहीं किया. गडकरी ने बकायदा
तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को पत्र लिख कर कहा कि ऐसी कार्यवाही से अफसरों
का मनोबल टूटता है.
अब गडकरी के मातहत विभाग से उत्तराखंड के मुख्य सचिव की
कुर्सी पर बैठाए गए डॉ.एसएस संधु की अध्यक्षता वाली कमेटी ने एनएच घोटाले के दो आरोपी
अफसरों के प्रमोशन का निर्णय लिया है. तो क्या इस मामले में संधु साहब अपने निवर्तमान
बॉस की आकांक्षा की पूर्ति कर रहे हैं ?
-इन्द्रेश मैखुरी
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