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मंत्री जी के आरोपी पति !

 








रेखा आर्य, उत्तराखंड की भाजपा सरकार में महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री हैं. वर्तमान सरकार के कार्यकाल में वे शुरुआत में राज्य मंत्री बनाई गईं और तीसरे मुख्यमंत्री तक आते-आते वे कैबिनेट मंत्री बना दी गईं. बीते वर्षों में भाजपा से कॉंग्रेस और कॉंग्रेस से भाजपा की यात्रा, वे बड़े आराम से करती रही हैं. वे अक्सरहां अफसरों के साथ झगड़ा करने के लिए सुर्खियों में रहती हैं. कुछ समय पहले तो अपने ही विभाग के एक अफसर के गुमशुदा होने की रिपोर्ट, मंत्री महोदया ने दर्ज करवा दी थी.


 एक और वजह जिसके लिए वे सुर्खियों में रहती हैं, वे हैं समय-समय पर सामने आने वाले उनके पति के कारनामें ! यूं उनके पति का नाम गिरधारी लाल साहू है, लेकिन बीते दिनों एक अखबारी सुर्खी से ज्ञात हुआ कि जनाब पप्पू गिरधारी के नाम से भी जाने जाते हैं. अखबारी सुर्खी से ही ज्ञात हुआ कि गिरधारी लाल साहू उर्फ पप्पू गिरधारी के विरुद्ध बरेली की एक अदालत ने गैरजमानती वारंट जारी किया. मामला 31 साल पहले बरेली में की गयी जैन दंपति की हत्या का है, जिसमें गिरधारी महोदय आरोपी हैं और वे अदालत में पेश नहीं हुए.


हालांकि ये कोई पहला मामला नहीं है, जबकि मंत्री महोदया के पति आपराधिक आरोपों के चलते सुर्खियों में आए हैं. इससे पहले भी उन पर गंभीर आपराधिक आरोप लगते रहे हैं और हत्या, बलवा, रंगदारी, गुंडा एक्ट जैसी संगीन धाराओं में उन पर बरेली में मुकदमें दर्ज होते रहे हैं, जिनकी संख्या एक समय पर दो दर्जन से अधिक बताई जाती थी.





 

नवंबर 2017 में उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में गिरधारी लाल साहू के खिलाफ जमीन बेचने के मामले में धोखाधड़ी के मुकदमें दर्ज हुए.







 कई लोगों ने पुलिस में  शिकायत दर्ज करवाई थी कि उन्होंने बरसों पहले गिरधारी लाल साहू से ज़मीनें खरीदी, परंतु न तो जमीन पर कब्जा मिला और ना ही दाखिल-खारिज हुआ. 






जिस समय ये आरोप अखबारों की सुर्खियां बटोर रहे थे, उस समय रेखा आर्य भाजपा सरकार में मंत्री बन चुकी थीं और तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत- भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस- का नारा जोरशोर से उछाल रहे थे.  


इससे पहले अक्टूबर 2017  में गिरधारी लाल साहू पर एक और संगीन आरोप लगा. उस समय  गिरधारी लाल साहू पर धोखाधड़ी से अपने ही कर्मचारी नरेश गंगवार की किडनी चोरी का आरोप लगा है. उक्त कर्मचारी ने आरोप लगाया कि साहू ने श्रीलंका ले जा कर उसकी किडनी, अपनी(साहू की) पहली पत्नी को धोखे से ट्रांसप्लांट करवा दी. इस मामले में यह बात भी सामने आई थी कि भारत में किडनी सिर्फ रिश्तेदार ही किसी को दे सकते हैं, इसलिए किडनी ट्रांसप्लांट के लिए श्रीलंका का विकल्प चुना गया.


और अब अपराध के आरोपों की फेरहिस्त में 31 वर्ष पहले के दोहरे हत्याकांड का आरोप सामने आया है.


एक जमाने में भाजपा बड़े जोरशोर से भय और भ्रष्टाचार से मुक्ति का नारा लगाती थी. पर अब साहू जैसों के आत्मीय जन, उसके मंत्रिमंडल के चमकते चेहरे हैं. मंत्री बनते हुए व्यक्ति संविधान के अनुसार आचरण करने की शपथ लेता है. सोचिए तो रेखा आर्य, पद और गोपनीयता की शपथ ले रही हों और साहू जी खुला खेल फर्रूखाबादी की तर्ज पर अपराध का नया कारनामा अंजाम दे रहे हों तो यह क्या नज़ारा होगा ? हत्या, धोखाधड़ी, रंगदारी, बलवा, गुंडा एक्ट जैसे संगीन मामलों का आरोपी अगर घर में हो तो सबसे पहले पद, गोपनीयता और संविधान की शपथ का दम तोड़ना अवश्यंभावी है. रेखा आर्य तो गिरधारी लाल साहू को पति होने के चलते झेलती होंगी, लेकिन भाजपा की और उसके मुख्यमंत्रियों की क्या मजबूरी है कि दोहरे हत्याकांड जैसे संगीन आरोपों के सामने आने पर भी वे गिरधारी लाल साहू के खिलाफ चूँ तक नहीं करते ?


-इन्द्रेश मैखुरी  

 

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