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आखिर कहाँ सुरक्षित रहेंगी महिलाएं ?

 








कुछ दिनों पहले अखबारों में खबर छपी कि देहरादून के एक नशा मुक्ति केंद्र से चार लड़कियां भाग गयी हैं. पहले-पहल जब यह खबर सामने आई तो ऐसा लगा कि नशे की आदि लड़कियों की कोई शरारत है. लेकिन जब वे लड़कियां सामने आयीं तो मामला पूरा ही सिर के बल खड़ा हो गया. पहले नशा मुक्ति केंद्र से भागने की अपराधी प्रतीत हो रही लड़कियां, अचानक से यौन उत्पीड़न की शिकार नजर आने लगी.


इन युवतियों ने पुलिस को बताया कि नशा मुक्ति केंद्र का संचालक उनके साथ छेड़ाखानी और ज़ोर-जबरदस्ती करता था. विरोध करने पर संचालक और संचालिका दोनों ही लड़कियों से मारपीट करते थे. एक लड़की ने केंद्र संचालक द्वारा तीन-चार बार दुष्कर्म का आरोप भी लगाया. देहरादून के टर्नर रोड इलाके में संचालित इस नशा मुक्ति केंद्र का नाम- वॉक एंड विन सोबर लिविंग होम एंड काउंसलिंग सेंटर है.  इसके संचालक का नाम विद्यादत्त रतूड़ी और संचालिका व वार्डन का नाम विभा सिंह बताया गया है.







इन दोनों के बारे में यह तथ्य भी सामने आया कि दोनों स्वयं भी नशे के आदि रह चुके हैं और नशा मुक्ति केंद्र में रहते हुए ही दोनों ने स्वयं का नशा मुक्ति केंद्र खोलने की योजना बनायी और 2018 में यह केंद्र शुरू किया. विद्यादत्त रतूड़ी तो एक महिला के संबंधों के मामले में जेल भी जा चुका है.


नशा मुक्ति केंद्र में लड़कियों से दुराचार करने के लिए उन्हें स्मैक का लालच देने की बात भी सामने आई है. यह भी खुलासा हुआ कि किसी के द्वारा कोई गलती किए जाने पर नुकीले स्टूल और ईंटों पर बैठने की सजा दी जाती थी. पीड़ितों ने डंडों से पीटे जाने की शिकायत भी की है. नशा मुक्ति केंद्र में डाक्टर और काउन्सलर नहीं थे.


इस तरह का प्रकरण सामने आने के बाद अचानक खबर चल पड़ती है कि केंद्र नियमानुसार नहीं चल रहा था,वहाँ सब कुछ ठीक नहीं था. लेकिन सवाल है कि इतने संवेदनशील मसलों पर केंद्र संचालित करने की अनुमति मिलती कैसे है ? केंद्र संचालित करने वाले जघन्य अपराधों को अंजाम देते रहते हैं, लेकिन पूरे तंत्र में किसी को कानों-कान खबर नहीं होती. इस मामले में भी यदि लड़कियां फरार नहीं होती तो न जाने कब तक हैवानियत का यह खेल चलता रहता. सवाल यह कि अपराध होते रहें और अभिसूचना तंत्र को भनक भी न लगे, ऐसा कैसे हो सकता है ? सोचिए यह किस कदर भयावह है कि नशा छुड़वाने के लिए ये युवतियाँ जहां भेजी गयी, वहाँ नशा देकर ही उनके साथ दुष्कर्म होता रहा !


देहारादून में यह इस तरह के अपराध की पहली घटना नहीं है. अक्टूबर 2015 में नारी निकेतन में मूक बधिर संवासिनी से दुष्कर्म, गर्भपात और भ्रूण को जंगल में दफनाने का मामला सामने आया था.


अगस्त 2018 में एनआईईपीवीडी में दृष्टि बाधित छात्र-छात्राओं के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था. इसी साल में एक बोर्डिंग स्कूल की छात्रा के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था.


प्रश्न यह है कि महिलाएं, युवतियाँ, बच्चियाँ कहाँ सुरक्षित हैं ? नारी निकेतन, नशा मुक्ति केंद्र, बोर्डिंग स्कूल सब जगह वे दुष्कर्म की शिकार हो रही हैं ! राजनीतिक पार्टियों के दफ्तरों में वे सुरक्षित नहीं हैं. नवंबर 2018 में भाजपा के तत्कालीन संगठन मंत्री संजय कुमार पर भाजपा दफ्तर में काम करने वाली युवती, दुष्कर्म के आरोप लगा चुकी है. द्वारहाट के भाजपा विधायक महेश नेगी का प्रकरण सब जानते ही हैं.


ऐसी कोई तो जगह हो जहां महिलाएं, युवतियाँ, बच्चियाँ बेखटके, बेखौफ हो कर जा सकें और ऐसा करना उनके लिए किसी तरह की मुसीबत का सबब न बने !


-इन्द्रेश मैखुरी    

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