अक्टूबर के महीने
में चमोली जिले के गैरसैण
ब्लॉक के भराड़ीसैण में जहां उत्तराखंड की विधानसभा है, उस स्थल तक जाने के लिए दिवालीखाल से सड़क को चौड़ा करने के लिए
वहां स्थित देवेन्द्र सिंह नेगी की दुकान लोक निर्माण विभाग द्वारा तोड़ दी गयी थी.
दुकान तोड़ने का यह काम इतनी तेजी
से किया गया कि देवेन्द्र सिंह नेगी को सोचने-समझने का मौका भी नहीं मिला. दो दिन के
नोटिस पर लोकनिर्माण विभाग ने दुकान को ज़मींदोज़ कर दिया. काफी दिनों तक हताश-निराश
रहने पर देवेन्द्र नेगी ने मुझे फोन किया. इत्तेफाक की बात है कि मुझे जिस दिन इस मामले
का पता चला, उसके अगले दिन ही देवेन्द्र नेगी का
फोन आया.
देवेन्द्र नेगी से मेरा बड़ा आत्मीय रिश्ता है. 01 मार्च को दिवालीखाल में पुलिस के लाठीचार्ज और पानी की बौछारों के चलते जब मेरे सब कपड़े तरबतर थे तो देवेन्द्र नेगी ने ही अपने तन पर पहना हुआ स्वेटर मुझे दे दिया था और वे पूरी शाम भर केवल एक इनर में रहे थे.
इसलिए उनके दुकान तोड़े जाने की बात सुन कर मैं और भी द्रवित हो
गया.
मैं मौके पर गया तो देखा कि वहां चाय की दुकान की जगह केवल मलबे का ढेर है. मैंने देवेन्द्र नेगी को डपटा कि जब ऐसा हो रहा था तो आपने, मुझे फोन क्यूं नहीं किया तो वे बड़ी मासूमियत से बोले कि उस समय तो दिमाग ही काम नहीं किया !
बहरहाल वहां से लौट कर मैंने उत्तराखंड
के मुख्यमंत्री, लोकनिर्माण विभाग के मंत्री, मुख्य सचिव, जिलाधिकारी, चमोली
और लोकनिर्माण विभाग, गैरसैण के अधिशासी अभियंता
को पत्र लिख कर इस कार्यवाही पर कड़ा प्रतिवाद दर्ज किया और दुकान पुनः बनाए जाने की
मांग की.
भेजे गए ज्ञापन की प्रति : https://www.nukta-e-najar.com/2021/10/livelihood-demolished-without-compensation-is-it-justice-government.html
इस मसले को सोशल मीडिया में उठाने और इस पर पत्राचार करने का असर हुआ.
देवेन्द्र सिंह नेगी की दुकान पुनः लोकनिर्माण विभाग द्वारा बना दी गयी है.
जिस दिन दुकान को पुनः बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू हुई
तो लोकनिर्माण विभाग, गैरसैण के सहायक
अभियंता ने मुझे दुकान के निर्माण कार्य की फोटो व्हाट्स ऐप के जरिये भेजी.
दुकान बन जाने के बाद लोकनिर्माण विभाग की ओर से दो पत्र, जिनमें से एक जिलाधिकारी चमोली को
और एक अधीक्षण अभियंता, गोपेश्वर को संबोधित है,
उनकी प्रतिलिपि मुझे प्राप्त हुई है.
यह सुकून की बात है कि देवेन्द्र
नेगी की चाय की दुकान फिर से शुरू हो गयी है. शासन और प्रशासन में जिस भी स्तर पर मेरे
पत्र का संज्ञान लेकर कार्यवाही की गयी, उन सभी का आभार. बस इतना निवेदन है कि जिसके लिए कोई आवाज उठाने वाला न हो, उसे भी ऐसे ही अनायास, अकस्मात उजड़ा न जाये.
-इन्द्रेश मैखुरी
2 Comments
आपके प्रयास यथार्थ धरातल पर और प्रभावी होते हैं। आपके प्रयास को नमन और देवेंद्र भाई को बधाई।
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