cover

भयमुक्त शासन का टेनी मॉडल !

 







कहावत है कि “संय्यां भए कोतवाल तो डर काहे का” ! आशीष मिश्रा मोनू के मामले में कहावत होगी- पिता भए मंत्री तो डर काहे का ! आशीष मिश्रा, भाजपा के केन्द्रीय सरकार में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे हैं. आशीष मिश्रा 03 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी में किसानों को अपनी गाड़ी से रौंदने के आरोपी हैं.


इस मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि आशीष मिश्रा ने किसानों को रौंदने का कुकृत्य लापरवाही से नहीं बल्कि जानबूझकर एवं सुनियोजित तरीके से किया है. एसआईटी की इस रिपोर्ट से साफ है कि यह हत्या एक पूर्व नियोजित षड्यंत्र था, जिसे सत्ता की हनक में अंजाम दिया गया.









यह गौरतलब है कि आशीष मिश्रा के पिता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी पहले ही यह ऐलान कर चुके थे कि वो “सुधार देंगे, दो मिनट नहीं लगेगा. मैं केवल मंत्री नहीं हूं, जो सांसद और विधायक बनने से पहले मेरे विषय में जानते होंगे………” 










गौरतलब है कि टेनी के विरुद्ध 1996 में  चार्जशीट तक खुल चुकी थी, जो बाद में बंद हुई. उन पर हत्या,मारपीट,घातक हथियारों से हमला, जैसे संगीन धाराओं में मुकदमें चलते रहे हैं. सांसद-विधायक बनने से पहले के इसी अतीत की टेनी धमकी दे रहे थे और उनके बेटे ने उनके अतीत को अपने वर्तमान में चरितार्थ करके दिखा दिया.


यह दबंगई की राजनीति है, जो विरोध के किसी स्वर को बर्दाश्त नहीं करती है बल्कि अपने या अपनी सत्ता के विरुद्ध उठने वाली किसी भी आवाज़ को कुचलने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है, अपने विरोधियों को गाड़ी के पहियों तले रौंदने की लोमहर्षक वारदात को भी अंजाम दे सकती है. अजय मिश्रा टेनी, इस दबंगई की राजनीति का प्रतिनिधि चेहरे हैं. इस दबंगई ने ही उनको आगे बढ़ाया है, यही उनकी विशेषता है. जब उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया तब भी शामिल करने वाले जानते थे कि उनका अतीत क्या है.  जिस अतीत की वे किसानों को धमकी दे रहे थे, मुमकिन है कि उस अतीत के चलते ही उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए सर्वाधिक मुफीद पाया गया हो ! इसलिए जब उनके पुत्र ने किसानों को गाड़ी के पहियों तले रौंद दिया, तब भी उनका बाल न बांका हुआ और वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने रहे.


अब जबकि उनके पुत्र द्वारा इरादतन किसानों की हत्या करने की पुष्टि एसआईटी कर रही है, तब भी वे मंत्रिमंडल में बने हुए हैं. और न केवल बने हुए हैं,बल्कि अपने पुत्र संबंधी सवाल पूछने पर पत्रकारों को सरेआम धमका रहे हैं. 









वैसे जिस अतीत का हवाला टेनी देते रहे हैं, उस अतीत को ध्यान में रखें तो पत्रकार को धमकाना तो उस अतीत के लिहाज से बहुत छोटी सी कार्यवाही है. अपने अतीत का भरपूर प्रदर्शन करने पर वे उतर आते तो यह मुमकिन था कि उस पत्रकार के साथ भी वैसा ही व्यवहार करते जैसा कि उनके पुत्र ने किसानों के साथ किया था !


यह जिस उत्तर प्रदेश की घटना है, एक जमाने में उसी उत्तर प्रदेश में भाजपा ने “भयमुक्त शासन” का नारा दिया था. अब टेनी और उनके पुत्र भयमुक्त हैं कि किसानों को कुचलने के बाद भी टेनी केंद्र में मंत्री भी रह सकते हैं और पत्रकारों को धमका भी सकते हैं.  क्रिकेटरों का अंगूठा चोटिल होने पर द्रवित हो कर ट्विटियाने वाले छप्पन इंची महाप्रभु, किसानों को गाड़ी से कुचले जाने के बाद भी मुंह न खोल सके और टेनी उनके कंठहार बने रहे और एसआईटी की रिपोर्ट के बावजूद टेनी पर उनकी कृपा में कोई आंच आने की संभावना नहीं है. भयमुक्त शासन का टेनी मॉडल छप्पन इंची महाप्रभु की सरपरस्ती में कायम हो रहा है !


-इन्द्रेश मैखुरी

Post a Comment

2 Comments

  1. प्रजातंत्र में मंत्री जी की हेकड़ी भरी ठसक।

    ReplyDelete