केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तरकाशी में विजय का संकल्प करने वाली भाजपा की रैली में भाषण दे रहे
थे. वहां उन्होंने दो बातें कही. जिस तरह उन दो बातों पर
तालियाँ बजी, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा के लोगों और
समर्थकों को ऐसा गुमान हुआ कि राजनाथ सिंह ने विरोधियों को मुंह तोड़ जवाब दे दिया
है. लेकिन थोड़ा गंभीरता से विचार करें तो पाएंगे कि भाजपा की असफलता की
स्वीकारोक्ति थी, राजनाथ सिंह की बातें !
राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में कहा कि किसी राज्य को
आदर्श राज्य बनाने के लिए पाँच साल का वक्त बहुत कम है, इसके लिए पाँच साल का वक्त भाजपा को और दिया जाये. यह स्वीकारोक्ति है कि
पाँच साल में तो उत्तराखंड को आदर्श या बेहतर राज्य भाजपा नहीं बना सकी. लेकिन
राजनाथ सिंह जी, जब 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले, मोदी जी उत्तराखंड आए थे तो उन्होंने कहा था कि डबल इंजन की सरकार बनाइये, देहरादून के इंजन को दिल्ली के इंजन से जोड़िए और फिर सरपट विकास देखिये.
उस समय उन्होंने तो नहीं कहा था कि डबल इंजन की सरकार अभी बना दो और फिर दस साल तक
गाल पर हाथ लगा कर विकास की बाट जोहते रहो !
बड़े-बड़े
कंपनी वाले, अपना माल बेचने के लिए आकर्षक विज्ञापन छपवाते
हैं और उसमें एक छोटा सा स्टार बना कर लिख देते हैं- शर्तें लागू ! मोदी जी का
भाषण वो विज्ञापन था और आपका भाषण - शर्तें लागू- वाला छोटा सा स्टार है, राजनाथ जी ? पर यह तो उन कंपनियों से भी बड़ा फरेब
है कि विज्ञापन पाँच साल पहले आ गया और शर्तें लागू-वाला सितारा पाँच साल बाद आ
रहा है !
राजनाथ सिंह जी ने कहा कि आदर्श राज्य का सपना पूरा
नहीं हो सका, इसके लिए केवल हम ही दोषी नहीं हैं ! केवल न भी
हों, राजनाथ जी, लेकिन आप भी दोषी हैं
और बराबर के दोषी हैं.
दूसरी बात राजनाथ सिंह बोले कि हम पाँच साल में दस मुख्यमंत्री बदलें, आपको इससे क्या !
राजनाथ बाबू, आप पाँच साल में
अपने पंद्रह खानसामे और पच्चीस अर्दली बदलिए, हमें उससे क्या
? लेकिन जिस आप पल-प्रतिपल बदल रहे हैं, वह आपका, नरेंद्र मोदी या अमित शाह का घरेलू अनुचर
नहीं है, ना ही वह रबर स्टैम्प है कि जब मर्जी आई कचरेदान
में फेंक दिया. राज्य का मुख्यमंत्री बदलना, किसी राज्य की
पूरी प्रशासनिक मशीनरी को हिला देना है. आप घड़ी-घड़ी मुख्यमंत्री ही बदलते रहेंगे
तो बाकी कुछ तो बदलने से रहा ! और सवाल यह भी है कि पूर्ण,
प्रचंड बहुमत की सत्ता हासिल करने के बाद, यदि भाजपा के पास
एक ऐसा व्यक्ति नहीं है, जो पाँच साल सरकार चला सके तो उसे
बहुमत चाहिए क्यूं ?
कार्टून आभार : संजीव कंडवाल
इन पाँच सालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत भाजपा
बदल नहीं पायी, रोजगार शिक्षा, की स्थिति
सुधार नहीं पायी, न खाली होते गांवों का पलायन रोक सकी और ना
ही स्थायी राजधानी का सवाल हल कर सकी. तो फिर सिर्फ मुख्यमंत्री बदलने को सत्ता
चाहिए थी, राजनाथ सिंह जी ?
कुतर्क की इंतहा ये कि किसी को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट
करके चुनाव नहीं लड़ा था, पार्टी ने चुना लड़ा ! पार्टी ने
चुनाव लड़ा, इसलिए बाल्टी भर-भर कर मुख्यमंत्री बनाते रहेंगे
राजनाथ जी ! तुर्रा ये कि कोई भी मुख्यमंत्री बुरा नहीं था ! राजनाथ बाबू बुरा था
नहीं था पर भला तो कतई नहीं था और पहला वाला- उफ़्फ़, अपने
मंत्री-विधायकों से ही पूछ लो- वो मुंह और मसूर की दाल !
राजनाथ जी के कहने का लब्बोलुआब ये था कि पाँच साल
में उत्तराखंड को आदर्श राज्य तो भाजपा बना नहीं सकी पर मुख्यमंत्री तीन बनाए और
तीन क्या दस भी बना सकते थे, इसके बाद वे फिर अगले पाँच साल
मांग रहे हैं ! मतलब अगले पाँच साल में दस
मुख्यमंत्री बनाने का टार्गेट पूरा करना चाहते हैं, वे !
ऐसा हास्यास्प्द भाषण सुन कर मुझे भाजपा के एक पुराने
नेता जसवंत सिंह याद आए. एक मर्तबा हुआ यूं कि राजनाथ सिंह भाजपा के राष्ट्रीय
अध्यक्ष थे और जसवंत सिंह को पार्टी से निकाल दिया गया. जसवंत सिंह ने राजनाथ सिंह
पर टिप्पणी करते हुए कहा- वे हंप्टी-डम्टी हैं ! साथ ही बोले- इस ..... नेता की
एकमात्र विशेषता उसकी आकाशवाणी जैसी आवाज़ है ! किसी पार्टी के अध्यक्ष की शान में
उसी पार्टी के किसी बड़े नेता ने ऐसे कसीदे शायद ही पढ़े हों ! उत्तरकाशी में राजनाथ
सिंह जी का भाषण सुन कर लगा कि जसवंत सिंह जी का मूल्यांकन भी गज़ब था !
-इन्द्रेश
मैखुरी
2 Comments
राजनाथ जी का ये बोलना कैसे तर्क संगत हो सकता है , किसी राज्य के मुख्यमंत्री उस राज्य के मुखिया होते हैं किसी पार्टी के नेता मात्र नहीं
ReplyDeleteयह अजब-गजब कहानी, समझ से बाहर है।
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