प्रति,
1.
श्रीमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त,
भारत
निर्वाचन आयोग,
नयी
दिल्ली.
2.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी महोदया
उत्तराखंड, देहरादून.
महोदय
/महोदया,
07 जनवरी 2022 को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उत्तराखंड समेत
पाँच राज्यों के चुनाव की घोषणा के साथ ही इन चुनावों के लिए आदर्श चुनाव आचार
संहिता लागू कर दी गयी.
लेकिन
ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तराखंड में श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार
को न तो भारत निर्वाचन आयोग की परवाह है और ना ही आदर्श आचार संहिता की.
आदर्श
आचार संहिता की धज्जियां उड़ाते हुए बड़े पैमाने पर सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के
तबादले कर दिये गए. इन तबादले के आदेशों पर तारीख भले ही 07 जनवरी 2022 की डाली
गयी है, लेकिन जिस तरह से इन तबादलों के आदेश कल यानि 09 जनवरी 2022 से सार्वजनिक
तौर पर दिखाई देने शुरू हुए हैं, उससे यह अंदेशा होता है कि
उक्त तबादलों में 07 जनवरी की तिथि सिर्फ चुनाव आयोग की आँखों में धूल झोंकने के
लिए डाली गयी है.
सवाल है
कि क्या किसी ट्रांस्फर एक्ट में शिक्षक या किसी भी कार्मिक को ऐसी छूट हो सकती है
कि वह चार या सात विकल्पों में से मनमर्जी से कहीं भी ज्वाइन(join) करना चुन ले.
महोदय
/ महोदया इन तबादला आदेशों की भाषा से साफ होता है कि ये सब बेहद हड़बड़ी में, अंतिम क्षणों पर सिर्फ अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए किए गए हैं.
अतः आपसे निवेदन है कि 07 जनवरी 2022 की तिथि वाले ऐसे सभी तबादलों को निरस्त किया
जाये और ऐसे “बहुविकल्पीय” तबादले करने वाले अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से उनके
पद से हटाया जाये क्यूंकि उनके पदों पर रहते स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव तो संभव
नहीं है.
महोदय
/ महोदया इसके अलावा बड़े पैमाने पर आयोगों और समितियों में भी राज्य सरकार ने
नियुक्तियाँ की हैं. आयोगों और समितियों में नियुक्त व्यक्ति तो सभी सत्ताधारी
पार्टी के सदस्य हैं. इन सभी नियुक्तियों पर भी 07 जनवरी 2022 की तिथि आंकित है, लेकिन समाचार माध्यमों में ये 09 जनवरी 2022 को ही सार्वजनिक हुए हैं.
जैसे बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष
और सदस्यों की नियुक्ति किए जाने के पत्र पर 07 जनवरी 2022 की तिथि अंकित है, लेकिन सार्वजनिक ये पत्र 09 जनवरी 2022 को हुए हैं. इससे साफ जाहिर होता
है कि नियुक्तियाँ बाद में की गयी हैं और फिर इन पर पिछली तिथि (बैक डेट) अंकित कर
दी गयी है. अतः आयोगों, समितियों में की गयी ऐसी नियुक्तियाँ
भी रद्द की जाएँ. इन्हें रद्द किया जाना इसलिए भी आवश्यक है क्यूंकि ये सभी
सत्ताधारी पार्टी से जुड़े हुए लोग हैं, जो सरकार के कार्यकाल
के अंतिम क्षणों में सार्वजनिक एवं
संवैधानिक पदों पर नियुक्ति पा गए हैं, इसलिए इनसे विधानसभा
चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित होने का खतरा निरंतर बना रहेगा. साथ ही उन
अधिकारियों को भी पदों से हटाया जाये, जिन्होंने बैक डेट पर
नियुक्ति के आदेशों की संस्तुति दी है.
साथ
ही श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार को इस तरह आदर्श चुनाव आचार
संहिता का उल्लंघन करने से रोकने के समुचित उपाय किए जायें.
सधन्यवाद,
सहयोगाकांक्षी
इन्द्रेश मैखुरी
गढ़वाल सचिव
भाकपा(माले)
0 Comments