पिछले वर्ष सुल्ली डील्स के नाम से मुस्लिम महिलाओं
की तस्वीरें, इंटरनेट पर बोली लगाने के लिए शाया की
गयी और इस वर्ष यही काम बुल्ली बाई ऐप के जरिये पुनः करने की
कोशिश की गयी. जिन महिलाओं की तस्वीरें को इंटरनेट पर तथाकथित बोली के लिए प्रयोग किया
गया, ये वो
महिलाएं हैं, जो सामाजिक-राजनीतिक
मसलों पर सोशल मीडिया में खुल कर अपनी राय, सहमति-असहमति प्रकट करती रही हैं. पत्रकार, एक्टिविस्ट,वकील जैसे व्यवसायों
से जुड़ी महिलाओं को निशाना बनाया गया.
धर्म विशेष की महिलाओं को इसके जरिये निशाना बनाने का
मंतव्य स्पष्ट है. जिसने भी ऐसा किया, उसे, उनका स्वतंत्र अस्तित्व बेहद नागवार गुजरा और इसलिए वह, उनके स्वतंत्र अस्तित्व को लांछित करने के लिए जो कर सकता था, उसने कर दिया.
बुल्ली बाई ऐप के मामले के सामने आने पर मुंबई पुलिस के
साइबर सेल ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज की. मुंबई पुलिस द्वारा इस मामले में दो लोगों
की गिरफ्तारी की गयी. इसमें इंजीनियरिंग के छात्र विशाल झा को बंगलुरु से गिरफ्तार
किया गया है. जानकारी के अनुसार विशाल झा ने खालसा सुपरमेसिस्ट नाम से अकाउंट खोला
ताकि यह खलिस्तानियों से जुड़ा मामला लगे. विशाल को 10 जनवरी तक पुलिस हिरासत में भेज
दिया गया है. उत्तराखंड की रहने वाली एक युवती
को भी मुंबई पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने की सूचना है. बताया जा रहा है कि युवती
बुल्ली बाई ऐप पर तीन अकाउंट चला रही थी.
पिछले साल
सुल्ली डील्स और इस बार बुल्ली बाई ऐप, इस देश में धर्मांधता के जहर के मानसिक विकृति तक
पहुँचने के प्रमाण हैं. ज्ञान और सूचनाओं के आधुनिकतम माध्यम- इंटरनेट को अपनी और अपने
जैसों की धार्मिक घृणा की विकृति को तुष्ट करने के लिए कैसे इस्तेमाल किया जाता है, ये दोनों मामले
इसकी बानगी हैं. जो सिर्फ इस आधार पर किसी महिला की बोली लगाना चाहते हैं क्यूंकि वह
अन्य धर्म की है या सिर्फ इस आधार पर किसी को पीट-पीट कर मार डालना चाहते हैं क्यूंकि
उसका धर्म उनसे अलग है ! जरा सोचिए यह मानसिक विकृति नहीं तो क्या है ? ऐसे ही मानसिक
रूप से विक्षिप्तों की फौज खड़ा करने का सतत अभियान इस देश में चलाया जा रहा है. मुमकिन
है कि ऐसा करने से खास किस्म की सत्ता के कायम रहने की गारंटी बनी रही, लेकिन यह मनुष्यता
और देश को बर्बरता और पतन के रसातल में ले जाएगा.
-इन्द्रेश मैखुरी
1 Comments
यह एक तरह का जघन्य अपराध है। जिस पर सख़्त कार्यवाही होनी चाहिए।
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