एम्स, ऋषिकेश भर्ती में हुए घपले के आरोपों के लिए चर्चा
में है. आरोप है कि नर्सिंग संवर्ग की भर्तियों में 600 लोग एक ही राज्य यानि राजस्थान
के भर्ती किए गए. उसमें भी छह लोग एक ही परिवार के हैं. गौरतलब है कि कुल 800 पदों
के लिए हुई, इस भर्ती
में 600 लोग एक ही राज्य के भर्ती कर दिये गए.
यह मामला तब सामने आया, जब इस महीने यानि फरवरी की शुरुआत में सीबीआई ने एम्स, ऋषिकेश में छापेमारी की. ज्ञात हुआ कि सीबीआई, यहां
नियुक्तियों में घपले के अतिरिक्त दवाओं एवं अन्य खरीद में घपले की जांच भी कर रही
है. विभिन्न समाचार पोर्टल्स पर छपी समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई
की जांच से पहले केंद्रीय सतर्कता आयोग भी एम्स, ऋषिकेश में पूर्व
निदेशक प्रो. राजकुमार के कार्यकाल में नियुक्तियों और खरीद में घपले की शिकायतों की
विस्तृत जांच कर चुका है.
नियुक्तियों में घपले के आरोप एम्स ऋषिकेश के लिए कोई
नए नहीं हैं. हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल जी ने अपने फेसबुक पोस्ट में
उल्लेख किया कि एम्स ऋषिकेश में नियुक्तियों में घपले की बुनियाद उसकी स्थापना के साथ
ही रख दी गयी थी, 14 दिसंबर 2017 को एम्स, ऋषिकेश में आउटसोर्सिंग नियुक्तियों के हजारों आवेदन पत्र झाड़ियों में फेंके
हुए मिले थे.
एम्स, ऋषिकेश में आउटसोर्सिंग
नियुक्तियों में घपले के आरोप तो निरंतर ही लगते रहते हैं. दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला
में छपी खबर के अनुसार आउटसोर्सिंग एजेंसियों द्वारा अभ्यर्थियों से तीस-चालीस हजार
रुपया लेकर उन्हें साल भर से कम अवधि के लिए नियुक्त किया जाता है और फिर बाहर कर दिया
जाता. बाहर किए गए लोगों की जगह फिर नियुक्ति की जाती है और फिर पैसे की वसूली भी की
जाती है.
आउटसोर्सिंग के जरिये एम्स, ऋषिकेश में भर्ती कराने के मामले में ठगी के मामले भी लगातार सामने आते रहे
हैं. 2019 में एम्स, ऋषिकेश में नियुक्ति के लिए लाखों रुपये
लेकर युवाओं को फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करने के मामले भी सामने आए थे.
बीते चार सालों में एम्स में डाक्टर, नर्सिंग स्टाफ समेत करीब एक हजार से अधिक पदों पर स्थायी भर्तियाँ की गयी
हैं. दैनिक अखबार- हिंदुस्तान के अनुसार यह अंदेशा है कि पारामेडिकल भर्ती के लिए जितने
पद विज्ञापित किए गए, उससे अधिक पदों पर भर्तियाँ कर दी गयी.
समग्रता में देखें तो आउटसोर्सिंग से लेकर स्थायी नियुक्तियों
तक, एम्स ऋषिकेश में घपला ही घपला है. कोढ़ में खाज यह कि यहां नियुक्ति देने के
नाम पर ठगों के गिरोह भी राज्य के युवाओं को ठग रहे हैं.
इस संदर्भ में यह भी समझना होगा कि एम्स, ऋषिकेश भले ही उत्तराखंड में स्थित हो पर यह एक केन्द्रीय संस्थान है. इसमें
होने वाला कोई भी भर्ती घोटाला उत्तराखंड के ही नहीं पूरे देश के युवाओं के साथ छल
है. अधिकतर विरोध करने वाले लोग एम्स ऋषिकेश में घपले के खिलाफ ऐसे आवाज़ उठा रहे हैं, जैसे यह उत्तराखंड सरकार का मामला हो. यह घपला सीधे केंद्र सरकार का मामला
है मित्रो, सीधे मोदी जी के अधीन संस्थान में शृंखलाबद्ध भ्रष्टाचार
है,यह. 2017 में जिस डबल इंजन का वायदा मोदी जी उत्तराखंड के
लोगों से कर गए थे, उसका जीता-जागता उदाहरण है. देहरादून का इंजन
वन दरोगाओं से लेकर फॉरेस्ट गार्ड तक की भर्ती में घपला करता है तो दिल्ली का इंजन
एम्स ऋषिकेश में आउटसोर्सिंग से लेकर स्थायी नियुक्तियों में तक घपलों की सीरीज चलाये
हुए है. डबल इंजन का नियुक्तियों में डबल घपले का डोज़ है, यह बेरोजगारों के लिए !
-इन्द्रेश मैखुरी
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ठगी के इस गिरोह से सख़्ती से निपटना होगा।
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