प्रति,
श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय,
उत्तराखंड शासन,
देहरादून.
महोदय,
पिथौरागढ़ के युवा पत्रकार किशोर ह्यूमन को 24 फरवरी 2022 को कुछ मनगढ़ंत किस्म के आरोप लगा कर पुलिस द्वारा
गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया.
महोदय, यह बेहद अफसोसजनक कि किशोर ह्यूमन की गिरफ्तारी
को एक हफ्ता होने को है, लेकिन
आप की तरफ से इस घटना पर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं आई है. राज्य के
मुखिया होने के साथ ही गृह विभाग भी आपके पास होने के चलते, आपको स्पष्ट
करना चाहिए कि इस अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी में क्या आपकी
सहमति भी शामिल है ? महोदय, यदि
आपकी सहमति शामिल नहीं है तो मनमाने तरीके से किशोर ह्यूमन को जेल भेजने वालों के
खिलाफ कोई कार्यवाही क्यूँ नहीं हो रही है ?
महोदय, किशोर ह्यूमन की गिरफ्तारी के पीछे पिथौरागढ़
पुलिस का तर्क है कि किशोर ने सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की
कोशिश की. अनुसूचित जाति के व्यक्ति की हत्या होने और अनुसूचित जाति के पिता
द्वारा अपनी पुत्री से बलात्कार के आरोप लगाने की रिपोर्टिंग करना यदि जातियों के
बीच सौहार्द बिगाड़ने की श्रेणी में रख कर गिरफ्तारी होगी तो ऐसे में तो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम
को ही सिर के बल खड़ा कर दिया जाएगा.
महोदय, पिथौरागढ़ पुलिस ने सोशल मीडिया पर की गयी पोस्ट
में लिखा है कि पुलिस ने पिथौरागढ़ के पुलिस अधीक्षक श्री लोकेश्वर सिंह के निर्देश
पर किशोर ह्यूमन को गिरफ्तार करने की कार्यवाही की है. इसलिए यह स्पष्ट है कि
किशोर ह्यूमन के उत्पीड़न के पीछे पिथौरागढ़ के एसपी श्री
लोकेश्वर सिंह हैं.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति
(अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 2 (ii) कहती है कि
कोई भी व्यक्ति जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है- “मिथ्या साक्ष्य देगा और गढ़ेगा जिससे उसका
आशय अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को ऐसे अपराध के लिए जो
मृत्यु दंड से दंडनीय नहीं है किंतु सात वर्ष या उससे अधिक की अवधि
के कारावास से दंडनीय है, दोषसिद्ध कराना है या वह जानता है कि
उससे उसका दोषसिद्ध होना संभाव्य है, वह कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी, किंतु जो
सात वर्ष या उससे अधिक की हो सकेगी और जुर्माने से, दंडनीय
होगा ; ”
साथ ही अनुसूचित जाति और
अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 2(vi) में प्रावधान
है कि “यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि इस अध्याय के अधीन
कोई अपराध किया गया है, वह
अपराध किए जाने के किसी साक्ष्य को, अपराधी को विधिक दंड से बचाने के आशय से गायब
करेगा या उस आशय से अपराध के बारे में जानकारी देगा जो वह जानता है या विश्वास
करता है कि वह मिथ्या है, वह उस
अपराध के लिए उपबंधित दंड से दंडनीय होगा ;या ”
महोदय, चूंकि किशोर ह्यूमन पर जिन मामलों की रिपोर्टिंग
के कारण सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का झूठा मुकदमा दर्ज किया गया है, वे अनुसूचित
जाति के व्यक्तियों से संबंधित हैं, स्वयं किशोर ह्यूमन भी अनुसूचित जाति से ताल्लुक
रखते हैं और यह स्पष्ट है कि पिथौरागढ़ के एसपी श्री लोकेश्वर
सिंह ने यह जानते हुए भी किशोर ह्यूमन को झूठे मुकदमें में फंसाया, जो कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण)
अधिनियम, 1989
की उपरोक्त वर्णित धाराओं के तहत गंभीर अपराध है.
महोदय, अनुसूचित जाति और
अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 2(vii) में यह
प्रावधान है कि “लोक सेवक होते हुए इस धारा के अधीन कोई अपराध करेगा, वह कारावास से
जिसकी अवधि एक वर्ष से कम नहीं होगी किंतु जो उस अपराध के लिए उपबंधित दंड तक हो
सकेगी,
दंडनीय होगा.”
महोदय, चूंकि पिथौरागढ़ के एसपी श्री
लोकेश्वर सिंह ने किशोर ह्यूमन को झूठे मुकदमें में फंसा कर उक्त अधिनियम के तहत
अपराध किया है, इसलिए उनके विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिए.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा
4(1) में प्रावधान है कि “ कोई भी लोकसेवक, जो अनुसूचित जाति या जनजाति का सदस्य नहीं है, इस अधिनियम और
उसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन उसके द्वारा पालन किए जाने के अपेक्षित अपने
कर्तव्यों की जानबूझकर उपेक्षा करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं
होगी, किंतु
जो एक वर्ष तक की हो सकेगी,
दंडनीय होगा.”
महोदय, यह स्पष्ट है कि पिथौरागढ़ के एसपी श्री लोकेश्वर
सिंह और पिथौरागढ़ पुलिस ने अनुसूचित जाति के व्यक्तियों के विरुद्ध हुए
अपराधों में कार्यवाही के बजाय उक्त मामलों की रिपोर्टिंग करने वाले अनुसूचित जाति
के पत्रकार किशोर ह्यूमन के विरुद्ध झूठा मुकदमा दर्ज कर जेल भेज कर, उत्पीड़ित किया. अतः पिथौरागढ़ के एसपी श्री लोकेश्वर सिंह एवं अन्य
जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध अनुसूचित जाति
और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की ऊपर वर्णित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज
कर वैधानिक कार्यवाही अमल में लायी जाये.
सधन्यवाद,
कांता प्रसाद
सेवानिवृत्त जिला जज
/ पूर्व रजिस्ट्रार जनरल
उत्तराखंड उच्च न्यायालय
गीता गैरोला
पूर्व निदेशक
महिला समाख्या
इन्द्रेश मैखुरी
गढ़वाल सचिव
भाकपा(माले)
जबर सिंह वर्मा
राष्ट्रीय सचिव
राष्ट्रीय सेवा दल
शंकर गोपाल
चेतना आंदोलन
अंकित उछोली
पूर्व अध्यक्ष छात्र संघ
हे.न.ब.गढ़वाल विश्वविद्यालय
श्रीनगर(गढ़वाल)
नितिन मलेठा
प्रदेश अध्यक्ष
एसएफ़आई, उत्तराखंड
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