गुजरात में वड़गाम के विधायक जिग्नेश मेवाणी को अंततः
दूसरे मुकदमें में भी अदालत से जमानत मिल गयी और वे रिहा हो गए.
गौरतलब है कि जिग्नेश मेवाणी को बीते सप्ताह गुजरात से
असम की पुलिस गिरफ्तार करके ले गयी. जिग्नेश को उनके उन ट्वीट्स के लिए आधी रात में
असम की पुलिस गिरफ्तार करके ले गयी, जिनमें से एक में उन्होंने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गोडसे का अनुयायी बताया था और एक में मोदी से गुजरात
में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को देखते हुए शांति और सौहार्द की अपील करने को कहा.
ये दोनों ट्वीट्स किसी को अच्छे न लगें, यह मुमकिन है. लेकिन इनमें ऐसा कुछ भी नहीं जिनके लिए सुदूर असम की पुलिस, गुजरात के विधायक को जेल ले जाने आए. परंतु असम की भाजपा की सरकार ने जिग्नेश
के ट्वीट्स को मिज़ोरम के साथ बीते बरस हुए अपने सीमा विवाद से अधिक गंभीरता से ले लिया
और वे आनन-फानन में जिग्नेश को गिरफ्तार करने असम से सीधे गुजरात पहुँच गयी.
असम ला कर जिग्नेश को जेल भेज दिया गया. ट्वीट वाले मामले
में बीते सोमवार को जिग्नेश को अदालत से जैसे ही जमानत मिली और वे जेल से बाहर आई,वैसे ही असम की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किए जाने के दौरान एक महिला पुलिस
सब इंस्पेक्टर के साथ अभद्रता और हिंसा करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.
29 अप्रैल 2022 को बारपेटा के सत्र न्यायाधीश ए. चक्रवर्ती
ने जिग्नेश को दूसरे मामले में जमानत दे दी. सत्र न्यायाधीश ने तेरह पन्ने के जमानत
आदेश में जो बातें कही हैं, वे असम की पुलिस पर गंभीर प्रश्नचिन्ह
लगाती हैं. सत्र न्यायाधीश ने कहा कि एफ़आईआर में लिखी बातें और महिला सब इंस्पेक्टर
द्वारा मजिस्ट्रेट के सामने दिये गए बयान में अलग-अलग बातें कही गयी हैं. न्यायाधीश
ने कहा कि पुलिस अभिरक्षा में जुल्म की घटनाएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं और गुवाहाटी
उच्च न्यायालय को पुलिस को अपने तौर-तरीकों में सुधार लाने को कहना चाहिए. उन्होंने
लिखा कि यदि ऐसा न हुआ तो असम पुलिस राज्य बन जाएगा, जो समाज
के लिए असह्य होगा. सत्र न्यायाधीश ने लिखा कि हम बेहद मेहनत से हासिल अपने लोकतन्त्र
को पुलिस राज्य नहीं बनने दे सकते और यदि असम पुलिस ऐसा करने की सोच रही है तो यह एक
विकृत सोच है.
बारपेटा के सत्र न्यायाधीश ने असम पुलिस और उसके राजनीतिक
आकाओं द्वारा न्याय और लोकतन्त्र पर किए जा रहे हमलों की पोल खोल कर रख दी है.
जिग्नेश मेवाणी की गिरफतारी और एक मामले में जमानत होने
के मामले में गिरफ्तारी, साफ तौर पर दिखाती है कि यह भाजपा द्वारा
राजनीतिक प्रतिशोध की कार्यवाही है. भाजपा शासित एक राज्य ने दूसरे राज्य में अवस्थित
अपने राजनीतिक विरोधी को सबक सिखाने के लिए अपनी सत्ता की ताकत का बेजा इस्तेमाल किया.
एक राज्य की पुलिस द्वारा दूसरे राज्य में सरकार विरोधी विधायक को गिरफ्तार किए जाने
का मामला, सत्ता के दुरुपयोग की नयी मिसाल है.
-इन्द्रेश मैखुरी
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