दून अस्पताल की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.निधि उनियाल
को ओपीडी छोड़ कर स्वास्थ्य सचिव डॉ.पंकज पांडेय के घर, उनकी पत्नी को
देखने भेजना, फिर
सचिव की पत्नी का डॉ.निधि उनियाल से अभद्रता करना और सचिव द्वारा डाक्टर को दून
मेडिकल कॉलेज से सोबन सिंह जीना मेडिकल कॉलेज संबद्ध करने की घटना बेहद निंदनीय
है. यह घटना दर्शाती है कि राज्य में अफसरशाही किस कदर बेलगाम और निरंकुश है.
इस प्रकरण में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह द्वारा की
गयी कार्यवाही महज़ लीपापोती है. संबद्धिकरण निरस्त करना, नाममात्र की
कार्यवाही भर है. स्वास्थ्य सचिव और उनकी पत्नी पर कार्यवाही के नाम पर केवल कमेटी
बनाई गयी है. एक डॉक्टर को ओपीडी से उठा कर अपनी पत्नी को देखने के लिए भेजना
प्रथम दृष्टया पद के दुरुपयोग का मामला है. स्वास्थ्य सचिव की पत्नी द्वारा डाक्टर
के साथ अभद्रता,
डाक्टर पर स्वास्थ्य सचिव की पत्नी से माफी मांगने के लिए दबाव डालना और डाक्टर
द्वारा माफी न मांगने पर उन्हें तत्काल ही दूसरे मेडिकल कॉलेज संबद्ध करना, स्पष्ट तौर पर
निरंकुशता और अपनी शक्तियों के दुरुपयोग के उदाहरण हैं. लेकिन इस सब के बावजूद
डॉ.पंकज पांडेय के खिलाफ न्यूनतम कार्यवाही भी न होना और उन्हें स्वास्थ्य सचिव के
पद से भी न हटाया जाना दिखाता है कि पुष्कर सिंह धामी जी की सरकार, नौकरशाहों के
सामने किस कदर लाचार है. पंकज पाण्डेय उक्त प्रकरण में जांच के दौरान भी स्वास्थ्य
सचिव बने रहेंगे तो क्या स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच मुमकिन है ? डॉ.निधि
उनियाल के संबद्धिकरण को निरस्त करने का आदेश भले दे दिया गया हो पर वे उन्हीं
पंकज पांडेय के अधीन होंगी,
जिन्होंने अपनी पत्नी के अहम की तुष्टि के लिए उनका कुछ ही घंटों में देहरादून से
अल्मोड़ा संबद्धिकरण कर दिया था. पंकज पांडेय के स्वास्थ्य सचिव रहते तो डॉ.निधि
उनियाल को प्रताड़ित किए जाने का खतरा बना रहेगा.
इसलिए डॉ. पंकज पांडेय को स्वास्थ्य सचिव के
पद से हटाया जाये, पद के दुरुपयोग के लिए उन्हें
निलंबित किया जाये. साथ ही उन पर पूर्व में एनएच 74 समेत अन्य घोटालों के आरोपों
की भी जांच हो.
-इन्द्रेश
मैखुरी
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