बीते दिनों दून मेडिकल कॉलेज की एसोसिएट
प्रोफेसर डॉ.निधि उनियाल का मामला सुर्खियों में रहा. ओपीडी से उठा कर उन्हें स्वास्थ्य
सचिव डॉ.पंकज पांडेय की पत्नी का इलाज करने के लिए स्वास्थ्य सचिव के घर भेजा गया.
डॉ.निधि उनियाल ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य सचिव की पत्नी ने उनसे अभद्रता की तो वे
अस्पताल वापस लौट गयी. बक़ौल डॉ.निधि उनियाल, अस्पताल लौटने पर उनसे
स्वास्थ्य सचिव की पत्नी से माफी मांगने को कहा गया. जब उन्होंने माफी नहीं मांगी तो
आननफानन में स्वास्थ्य सचिव ने उन्हें सोबन सिंह जीना मेडिकल कॉलेज,अल्मोड़ा संबद्ध करने का आदेश जारी कर दिया और इस आदेश के बाद डॉ.निधि उनियाल
ने इस्तीफा दे दिया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक मामला पहुंचा तो मुख्यमंत्री
ने संबद्धिकरण निरस्त करने के साथ ही इस पूरे प्रकरण की
जांच का आदेश दिया. अपर मुख्य सचिव मनीषा पँवार को यह जांच सौंपी गयी.
इस जांच का क्या हुआ, यह तो अब तक
ज्ञात नहीं है. लेकिन लगता है कि यह संबद्धिकरण, उत्तराखंड के चिकित्सा शिक्षा विभाग का खास “मोडस ओपेरेंडी” (modus
operandi) यानि कार्यशैली बन चुका है. डॉ.निधि उनियाल के बाद इस संबद्धिकरण
प्रहार के शिकार बने हैं- श्रीनगर (गढ़वाल) स्थित मेडिकल कॉलेज के संविदा कर्मचारी.
श्रीनगर(गढ़वाल) स्थित मेडिकल कॉलेज के तीन लैब टेक्निशीयनों
तथा एक मल्टी रिहैबिलिटेशन टेक्निशीयन को सोबन सिंह जीना मेडिकल कॉलेज,अल्मोड़ा संबद्ध कर दिया गया है. साथ ही हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज से तीन लिपिकों
को अल्मोड़ा संबद्ध किया गया है.
श्रीनगर(गढ़वाल)मेडिकल कॉलेज से अल्मोड़ा संबद्ध किए गए
सभी कर्मचारी, संविदाकर्मी हैं. यह अपने आप में अनोखी बात है कि
मामूली तनख़्वाह पर काम करने वाले संविदा कर्मचारियों का भी स्थायी कर्मचारियों की तरह
संबद्धिकरण या स्थानांतरण किया जाये.
06 अप्रैल 2022 को उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग के
अपर निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने उक्त संविदाकर्मचारियों को अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज संबद्ध
किए जाने का आदेश जारी किया. गौरतलब है कि ये वही डॉ.आशुतोष सयाना हैं, जिन्होंने दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य की हैसियत से डॉ.निधि उनियाल के
ओपीडी छोड़ कर स्वास्थ्य सचिव के घर जाने को कहा और बाद में स्वास्थ्य सचिव की पत्नी
से माफी मांगने को भी कहा.
09 अप्रैल को श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के संविदाकर्मियों
को एकतरफा कार्यमुक्त भी कर दिया गया है. कहा गया है कि एनएमसी द्वारा अल्मोड़ा मेडिकल
कॉलेज का पुनः निरीक्षण होना है, इसलिए इन संविदाकर्मियों को वहां
संबद्ध किया गया है.
सवाल यह है कि अल्मोड़ा या उसके आसपास के इलाकों में संविदा
पर भी लैब टेक्निशीयन बनने की अर्हता रखने वाले युवा नहीं हैं ? स्थायी और नियमित नियुक्ति तो की नहीं जा रही तो क्या यह बेहतर नहीं होता
कि स्थानीय युवाओं को ही नियुक्त किया जाता, जिससे श्रीनगर(गढ़वाल)
के मेडिकल कॉलेज की सेवाएँ भी सुचारु रहती और अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में भी सेवाएँ संचालित
होती. साथ ही मामूली वेतन पर काम करने वाले ये संविदा कर्मी भी अपने गृह क्षेत्र से
अन्यत्र संबद्धिकरण के चलते पैदा होने वाले आर्थिक बोझ से बच जाते.
लेकिन यह चर्चा है कि जिस तरह डॉ.निधि उनियाल के मामले
में संबद्धिकरण को सजा के अस्त्र के तौर पर इस्तेमाल किया गया, ठीक वही स्थिति, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से अल्मोड़ा संबद्ध
किए गए संविदाकर्मियों की भी है.
श्रीनगर(गढ़वाल), उत्तराखंड के स्वास्थ्य
एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत का विधानसभा क्षेत्र है. चर्चा यह है कि
मंत्री जी को संदेह है कि उक्त संविदकर्मी, विधानसभा चुनाव में
उनके समर्थक नहीं रहे. इसलिए सजा या बदले की कार्यवाही के तौर पर उक्त संविदाकर्मियों
को अल्मोड़ा भेजा जा रहा है. कोशिश दरअसल उनके सामने ऐसे हालात पैदा करने की है कि वे
संविदा की मामूली तनख़्वाह वाली नौकरी भी छोड़ दें. मामूली अंतर से चुनाव जीते मंत्री
जी ने चुनाव जीतने के बाद अपने विरोधियों के बारे में जैसी द्वेषपूर्ण भाषा में अपने
कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था, उससे उक्त संविदाकर्मियों से
बदला लिए जाने की बात निर्मूल भी नहीं लगती.
लेकिन सवाल यही है कि प्रदेश में स्वास्थ्य सचिव और चिकित्सा
शिक्षा के मंत्री उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए हैं या अपने व्यक्तिगत
द्वेष और अहम की तुष्टि के लिए ?
-इन्द्रेश मैखुरी
2 Comments
Is loktantrawadi sarkaar me bhi aise harkatein achhi nahin hai isse behtar to congressi sarkar banati privatisation bhi ho reha jo ki thik nahin hai
ReplyDeleteHi it's open secret now.
ReplyDeleteCheck this
https://m.timesofindia.com/india/states-use-mass-transfers-to-deal-with-nmc-inspections/amp_articleshow/90789704.cms