अफसर जी अफसर जी
पत्नी के इलाज में रह गयी कसर जी
त्यौरी चढ़ी पत्नी की
डॉक्टर का हुआ ट्रांस्फर जी
पर प्यारे अफसर जी,
सत्ता के दुलारे अफसर जी
डॉक्टर नहीं तुम्हारे घर की नौकर जी
तुम राजा नहीं
हो जनता के चाकर जी
किस्सा यूं है कि उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव डॉ.पंकज
कुमार पांडेय ने दून अस्पताल की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ निधि उनियाल को कार्यालय समय में
ही अपनी पत्नी की जांच करने के लिए अपने घर जाने को कहा. अस्पताल में आए मरीजों को
छोड़ कर डॉ. निधि उनियाल, स्वास्थ्य
सचिव की पत्नी की जांच करने के लिए उनके घर गयी. आरोप है कि सचिव की पत्नी की जांच के दौरान बीपी नापने की मशीन लाने
में हुई देरी पर सचिव की पत्नी ने डॉ. निधि उनियाल से अभद्रता की. इस पर डॉ.निधि उनियाल
अस्पताल लौट गयी. उनसे अस्पताल प्रशासन के कुछ लोगों ने सचिव की पत्नी से
माफी मांगने को कहा तो उन्होंने इंकार कर दिया. इसके बाद डॉ. निधि उनियाल को अल्मोड़ा
के सोबन सिंह जीना मेडिकल कॉलेज से संबद्ध किए जाने का आदेश स्वास्थ्य सचिव डॉ. पंकज
कुमार पांडेय द्वारा किया गया. इस प्रताड़ना तबादले के बाद डॉ.निधि उनियाल ने उक्त घटनाक्रम
का ब्यौरा लिखते हुए, इस्तीफा दे दिया.
इस पूरे घटनाक्रम में अस्पताल में मरीजों का इलाज
छोड़ कर, अपनी पत्नी
के
इलाज के लिए डॉक्टर को भेजना स्वास्थ्य सचिव की पहली गलती है. घटनाक्रम के ब्यौरे से
स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य सचिव की पत्नी, ऐसे किसी गंभीर रोग
से ग्रसित नहीं हैं कि वे अस्पताल भी न आ सकें. पंकज कुमार पाण्डेय, स्वास्थ्य सचिव, अपनी पत्नी को अस्पताल आने के कष्ट
से बचाने के लिए नहीं बनाए गए हैं. अफसर और उनके परिजन कोई राजा या सामंत नहीं हैं.
ना ही डाक्टर समेत बाकी सरकारी कर्मचारी, अफसरों
के जरखरीद गुलाम हैं, जिन्हें मात्र इसलिए प्रताड़ित किया जाये
कि उनसे अफसरों के परिजनों की शान में गुस्ताख़ी हो गयी है.
पहले ही सरकारी डाक्टरों की कमी से जूझ रहा उत्तराखंड, अफ़सरी सनक के लिए डॉक्टरों को खोना गवारा नहीं कर सकता. इस अफ़सरी सनक और हनक
पर लगाम लगाये, मुख्यमंत्री जी !
-इन्द्रेश मैखुरी
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