जी हाँ, ऐसा ही हुआ 05 अप्रैल 2022 को उच्चतम न्यायालय में.
एक याचिकाकर्ता ने मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना, न्यायमूर्ति कृष्ण
मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की खंडपीठ के समक्ष अपनी याचिका वापस लेने का अनुरोध
किया.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति
एनवी रमन्ना ने याचिकाकर्ता द्वारा याचिका वापस लेने का अनुरोध ठुकरा दिया और साथ ही
उन्होंने याचिकाकर्ता के वकील से कहा- “आपने बेहद गंभीर आरोप
लगाए हैं, आपने उन सब के नाम पक्षकार के तौर पर क्यूं नहीं जोड़े, जिनके खिलाफ आपने आरोप लगाए हैं ?”
याचिकाकर्ता निशांत रोहिला के अनुसार मोहन सिंह ने
पिछले साल अगस्त में सीबीआई और केन्द्रीय सतर्कता आयोग को शिकायत भेज कर उत्तराखंड
पुलिस के अफसर अमित श्रीवास्तव पर आय से अधिक संपत्ति, भारी आर्थिक अपराध
और बेनामी संपत्ति का आरोप लगाया था. लेकिन 21 अगस्त 2021 को व्हिसिल ब्लोवर मोहन सिंह
मारे गए / हत्या कर दी गयी. याचिककर्ता के अनुसार मोहन सिंह की हत्या को दुर्घटना बताते
हुए प्राथमिकी भी दर्ज नहीं हुई.
याचिककर्ता के अनुसार उक्त पुलिस अफसर ने आपराधिक
षड्यंत्र, धोखाधड़ी, हेराफेरी के जरिये
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में बड़ा भारी ऋण घोटाला किया गया.
कानूनी मामलों की रिपोर्टिंग करने वाले न्यूज़ पोर्टल-
लाइव लॉं ने अंग्रेजी और हिन्दी में इस प्रकरण में उच्चतम न्यायालय में हुई
कार्यवाही को रिपोर्ट किया है. उसे इस लिंक पर जा कर पढ़ा जा सकता है -
न्यूज़ पोर्टल- द न्यूज़ अड्डा ने भी विस्तार से इस मामले में लिखा है. न्यूज़ अड्डा के लिंक पर जा कर पूरे मामले को समझा जा सकता है -
इस पूरे प्रकरण में जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वे इंगित करते
हैं कि यह सौ करोड़ से अधिक के घपले का मामला है, जिसका आरोप उत्तराखंड के आईपीएस में
प्रोन्नत पुलिस अफसर अमित श्रीवास्तव पर हैं. साथ ही इसमें संडे
पोस्ट के संपादक अपूर्व जोशी और गीतिका क्वीरा पर भी अपराध में संलिप्तता का आरोप है.
सौ करोड़ से अधिक के फर्जीवाड़े और व्हिसिल ब्लोवर की हत्या
जैसे आरोपों से यह मामला बेहद संगीन हो जाता है. लेकिन पोर्टलों की बहुतायत वाले उत्तराखंड
में केवल इक्का-दुक्का पोर्टलों पर इस खबर का होना, अपने आप में
गंभीर संकेत है.
उत्तराखंड में अमित श्रीवास्तव नाम के दो पुलिस अधिकारी
हैं. न्यूज़ अड्डा पर छपी इस मामले की रिपोर्ट से पता चलता है कि जिन अमित श्रीवास्तव
का इस मामले में नाम है, वे इस वक्त स्वयं सतर्कता सेल, नैनीताल के पुलिस अधीक्षक हैं.
यह विद्रूप है या विडंबना कि उत्तराखंड में सतर्कता सेल
का पुलिस अधीक्षक वह व्यक्ति है, जिस पर सौ करोड़ से अधिक के घपले
और व्हिसिल ब्लोवर की हत्या जैसे गंभीर आरोप, पहले केंद्रीय सतर्कता
आयोग और अब उच्चतम न्यायालय में लग रहे हैं !
मुख्यमंत्री जी, आप नारा लगा रहे हैं कि न सोऊंगा और न
सोने दूंगा और आपकी नाक के नीचे पुलिस अफसरों पर सौ करोड़ से ज्यादा के घोटाले और व्हिसिल
ब्लोवर की हत्या जैसे संगीन आरोप की चर्चा उच्चतम न्यायालय में हो रही है ! उत्तराखंड
में कानून का राज, क्या कानून की बांह मरोड़ने वाले अफसरों
के जरिये ही चलाया जाएगा, मुख्यमंत्री जी ? ऐसे संगीन आरोपों पर उत्तराखंड सरकार और सोशल मीडिया फ्रेंडली पुलिस महकमा
भी कुछ कार्यवाही करेगा या नहीं ?
-इन्द्रेश मैखुरी
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