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एक पड़ाव पर पहुंचा संघर्ष

 







यह एक लड़ाई की दास्तान है, जिसमें कुछ लोगों ने सत्ता के मद में चूर हो कर तय किया कि वे सारे नियम- कायदों को ताक पर रख कर अपनी पसंद के व्यक्ति को कुर्सी पर बैठाएंगे और दूसरे पक्ष ने तय किया कि व्यक्ति कोई मसला नहीं है पर नियम-कायदों की धज्जियां उड़ाना बर्दाश्त नहीं करेंगे.


हमारे गाँव में एक  अशासकीय इंटर कॉलेज है - माँ चंडिका देवी इंटर कॉलेज,कांडा-मैखुरा. ग्रामीणों और गाँव के प्रबुद्ध लोगों की सूजबूझ से यह विद्यालय इंटर तक हुआ और उत्तराखंड सरकार द्वारा वित्तीय सहायता भी विद्यालय को प्राप्त हो गयी.







इसी विद्यालय के  प्रधानाचार्य पद के लिए 05 अप्रैल 2021 को साक्षात्कार हुआ.


यह साक्षात्कार की प्रक्रिया शुरू से ही विवादस्पद रही.










साक्षात्कार से पूर्व ही मेरिट लिस्ट में पहले नंबर के अभ्यर्थी ने तत्कालीन  जिलाधिकारी, चमोली, पुलिस अधीक्षक, चमोली और मुख्य शिक्षा अधिकारी, चमोली को पत्र भेज कर शिकायत की कि उन पर साक्षात्कार में न शामिल होने के लिए दबाव बनाया जा रहा है और उन्हें धमकाया जा रहा है.


  साक्षात्कार के दिन, केवल दो ही अभ्यर्थी इंटरव्यू बोर्ड के समक्ष उपस्थित हुए. तीसरे अभ्यर्थी ने केवल बाहर रजिस्टर पर हस्ताक्षर किए,वो इंटरव्यू बोर्ड के समक्ष उपस्थित नहीं हुए.








विद्यालयी शिक्षा अधिनियम 2006 एवं उसके अधीन प्रख्यापित विनियम,2009 एवं यथासंशोधित अधिसूचना सं-531 xxiv-4/2017-01(01) 2016,दिनांक 25.4.2018 में निहित प्रवाधनों के अनुसार साक्षात्कार का कोरम पूरा करने के लिए तीन अभ्यर्थियों का चयन समिति के समक्ष उपस्थित होना अनिवार्य है. ऐसी दशा में जब साक्षात्कार के लिए आवश्यक कोरम पूरा ही नहीं हुआ तो साक्षात्कार को निरस्त किया जाना चाहिए था. परंतु साक्षात्कार को निरस्त करने के बजाय फ़ाइल अनुमोदान के लिए अपर निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, पौड़ी को भेज दी गयी.







उक्त साक्षात्कार हेतु मेरिट और उसके आधार पर साक्षात्कार हेतु अभ्यर्थियों को आमंत्रित करने में जिस तरह की प्रक्रिया अपनाई गयी,वह भी संदेहास्पद है. विनियम में प्रावधान है कि मेरिट में आने वाले प्रथम सात अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में आमंत्रित किया जाएगा. मुख्य शिक्षा अधिकारी,चमोली के कार्यालय द्वारा जो मेरिट बनाई गयी,उसमें चौथे एवं आठवें नंबर पर जो अभ्यर्थी हैं,उनके आगे लिख दिया गया-अनुभव प्रमाण पत्र,मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रति हस्ताक्षरित नहीं. इस टिप्पणी के बावजूद मेरिट लिस्ट उन्हें अनर्ह नहीं घोषित करती. मेरिट लिस्ट में केवल एक अभ्यर्थी को अनर्ह अंकित किया गया है. जब उक्त दो अभ्यर्थी अनर्ह घोषित नहीं थे तो उन्हें साक्षात्कार में न बुला कर उनके नीचे की मेरिट वाले को साक्षात्कार में कैसे आमंत्रित किया गया ? मेरिट में चौथे और आठवें नंबर के अभ्यर्थी के आगे- अनुभव प्रमाण पत्र,मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रति हस्ताक्षरित नहीं- की टिप्पणी के बाद उक्त दो अभ्यर्थियों के बाद वाले यानि नौवें नंबर के अभ्यर्थी को साक्षात्कार में बुलाया गया.


ऐसा प्रतीत होता है कि साक्षात्कार में सारा खेल ही उक्त नौवें नंबर के अभ्यर्थी के लिए हो रहा था. पहले नंबर पर जो अभ्यर्थी थे,उन्होंने अपनी लिखित शिकायत में इस अभ्यर्थी पर ही डराने-धमकाने का आरोप लगाया था.


जहां तक अनुभव प्रमाण पत्र के प्रति हस्ताक्षरित न होने का प्रश्न है तो वह इतनी बड़ी त्रुटि नहीं है कि किसी को साक्षात्कार में ही न आमंत्रित किया जाये. विद्यालयी शिक्षा अधिनियम 2006 एवं उसके अधीन प्रख्यापित विनियम,2009 एवं यथासंशोधित अधिसूचना सं-531 xxiv-4/2017-01(01) 2016,दिनांक 25.4.2018 के अनुसार अनुभव प्रमाण पत्र के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया है. उक्त निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार विद्यालय से संस्था अध्यक्ष यानि प्रधानाचार्य प्रमाणित करेंगे,फिर विद्यालय इस अनुभव प्रमाण पत्र को खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय भेजेगा. खंड शिक्षा अधिकारी, अनुभव प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद कार्यालय के मार्फत उक्त प्रमाण पत्र को प्रति हस्ताक्षर के लिए मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय भेजते हैं. चूंकि मेरिट लिस्ट में दो लोगों के आगे टिप्पणी में दर्ज है कि इनका प्रमाण पत्र मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रति हस्ताक्षरित नहीं है तो इसका आशय है कि खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से तो उनका अनुभव प्रमाण पत्र हस्ताक्षर हो कर आया था. इसका अर्थ यह है कि उक्त अभ्यर्थियों की सेवा अवधि, शिक्षा विभाग के खंड स्तरीय अधिकारियों द्वारा तो प्रमाणित की ही गयी थी. दूसरी बात यह कि  क्या मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय स्वयं अनुभव प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर न करके,किसी अभ्यर्थी को साक्षात्कार में बैठने से वंचित कर सकता है ? इस प्रकरण में ऐसा ही हुआ प्रतीत होता है. 


मेरे द्वारा इस प्रकरण में जिलाधिकारी, चमोली, मंडलीय अपर निदेशक, निदेशक, महानिदेशक, शिक्षा सचिव, शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री तक अनियमितता की शिकायत की गयी.


22 जुलाई 2021 को मंडलीय अपर निदेशक, माध्यमिक शिक्षा ने प्रधानाचार्य पद पर हुए साक्षात्कार का अनुमोदन करने से इंकार कर दिया. मंडलीय अपर निदेशक ने भी माना कि साक्षात्कार में दो ही अभ्यर्थी शामिल हुए, इसलिए कोरम पूरा नहीं हुआ.


मंडलीय अपर निदेशक के उक्त निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में नैनीताल में याचिका दाखिल की गयी.


 कई महीनों तक माननीय उच्च न्यायालय में उक्त वाद लड़ने के बाद अचानक याची गणों ने माननीय न्यायालय से आग्रह किया कि निदेशक, विद्यालयी शिक्षा को मामला का परीक्षण करने और उचित निर्णय करने का निर्देश दिया जाये.

 

माननीय उच्च न्यायालय, नैनीताल के  न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने याची गणों के उक्त आग्रह को स्वीकार करते हुए 06 जनवरी 2022 को अपने फैसले में लिखा कि 9. Accordingly, the writ petition is disposed of with liberty to petitioners to make representation to Director, School Education. If such representation is made within two weeks from today, Director, School Education shall take decision thereupon, in accordance with law, within ten weeks’ from the date of receipt of representation along with certified copy of this order. ”


इसके साथ ही माननीय न्यायालय ने यह भी कहा कि “10. It goes without saying that, before taking any decision, Director, School Education shall hear all stakeholders in the matter.


माननीय उच्च न्यायालय के इस आदेश के क्रम में भी विद्यालय की प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री आशाराम मैखुरी और मेरे द्वारा तत्कालीन निदेशक महोदया को अपना प्रत्यावेदन ईमेल और व्हाट्स ऐप के जरिये भेजा गया. उन प्रत्यावेदनों का कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ. तत्पश्चात 19 फरवरी 2022 को मैं स्वयं तत्कालीन निदेशक महोदया से मिला. उसके पश्चात 23 फरवरी 2022 को  संबंधित पक्षों के साथ तत्कालीन निदेशक महोदया के कार्यालय कक्ष में सुनवाई हुई.


उक्त सुनवाई के पश्चात निदेशक, माध्यमिक शिक्षा द्वारा यह आदेश पारित किया गया कि प्रधानाचार्य पद हेतु साक्षात्कार में दो ही अभ्यर्थी शामिल हुए थे, इसलिए उक्त साक्षात्कार का मंडलीय अपर निदेशक पौड़ी द्वारा अनुमोदन न किया जाना उचित था. साथ ही साक्षात्कार की प्रक्रिया में अन्य अनियमितताओं पर भी माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने टिप्पणी की है.







शिक्षा निदेशक(माध्यमिक), उत्तराखंड के उक्त निर्णय से स्पष्ट है कि सत्ताधारी पार्टी की शह पर कतिपय लोगों द्वारा एक अयोग्य व्यक्ति को नियम- कायदों का उल्लंघन करके माँ चंडिका देवी इंटर कॉलेज,कांडा-मैखुरा का प्रधानाचार्य बनाने की कोशिश की जा रही थी. लेकिन अंततः गरीबों के बच्चों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ करते हुए अपने निहित स्वार्थों का पूरा करने की कोशिश करने वालों का मंसूबा कामयाब नहीं हुआ. निहित स्वार्थों के खिलाफ इस संघर्ष में सहयोग करने वालों का आभार. इस तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी.  


-इन्द्रेश मैखुरी

 

 

 

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