अफगानिस्तान में जब से तालिबान की हुकूमत आई है, महिलाओं को हासिल
तमाम तरह की आज़ादी छीनने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. इसी क्रम में अफगानिस्तान के
न्यूज़ चैनलों में काम करने वाली महिलाओं को तालिबान ने फरमान सुना दिया कि वे बिना
चेहरा ढके हुए हुए टीवी पर ना दिखाई दें. तालिबानी हुकूमत के शुरुआती
महीनों में ही सभी महिला पत्रकारों के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया.
समाचार चैनलों में महिलाओं पर चेहरा ढक कर समाचार पढ़ने
की अनिवार्यता थोपे जाने का विरोध भी हुआ. सोशल मीडिया में
#FreeHerFace हैशटैग के साथ
तालिबान के इस फैसले का विरोध किया गया. लेकिन तालिबान ने स्पष्ट कर दिया कि टीवी की
महिला प्रस्तोताओं के लिए चेहरा ढकने का फरमान अंतिम है और उस पर कोई बहस नहीं हो सकती.
मई की शुरुआत में इस संबंध में हुक्मनामा जारी कर दिया गया और इसका उल्लंघन करने के
लिए सजा भी निर्धारित कर दी गयी. पहली बार चेहरा न ढकने वाली महिला को तालिबान सलाह
देगा, दूसरी बार चेहरा ढकने के हुक्मनामें का उल्लंघन करने पर
महिला को तलब करेगा, तीसरे उल्लंघन पर तीन दिन के कैद की सजा
होगी और चौथे उल्लंघन पर महिला के अभिभावक को अदालत में पेश किया जाएगा और वहाँ सजा
सुनाई जाएगी.
टीवी चैनलों में
काम करने वाली महिलाओं को चेहरा ढकने के लिए बाध्य करने के लिए तालिबान के अधिकारी
विभिन्न टीवी चैनलों के कार्यालय में गए.
जब यह तय हो गया कि महिला प्रस्तोताओं को चेहरा ढक कर
ही कार्यक्रम प्रस्तुत करने होंगे तो पुरुष पत्रकारों ने इसके प्रतिरोध का एक और रास्ता
निकाला. ब्रिटेन के अखबार- द गार्जियन के अनुसार जब तालिबान
ने तय कर दिया कि चेहरा ढक कर कार्यक्रम प्रस्तुत करने से महिला प्रस्तोताओं को कोई
छूट नहीं मिलेगी तो तालिबान के इस फरमान का विरोध करने के लिए वहां पुरुष पत्रकारों
ने भी टीवी पर मास्क लगा कर समाचार व अन्य कार्यक्रम प्रस्तुत करना शुरू कर दिया है.
एक पुरुष प्रस्तोता को उद्धृत करते हुए द गार्जियन
ने लिखा- पिछले दो दिन से मास्क पहन कर कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए महसूस हुआ कि अफगानिस्तान
जैसे देश में महिला होना कितना मुश्किल काम है.
अफगानिस्तान जैसे मुल्क में महिला पत्रकारों के समर्थन
में पुरुष पत्रकारों का यह प्रतिरोध प्रतीकात्मक ही सही स्वागत योग्य है. न केवल अफगानिस्तान
में बल्कि दुनिया भर में कहीं भी पहनने, खाने,बोलने, सोचने की आज़ादी पर बंदिश लगाने की हर कोशिश का
पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए.
-इन्द्रेश मैखुरी
संदर्भ :
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