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टूटी हड्डी का गत्ता इलाज, ऐसे उत्तराखंड बनेगा सरताज !

 









सोशल मीडिया में एक तस्वीर बड़ी तेजी से वाइरल हो रही है. स्कूल में पढ़ने वाली एक बच्ची की यह तस्वीर है, जिसके हाथ में बंधी हुई सफ़ेद पट्टी गले में है और हाथ एक गत्ते के अंदर है. 









बताया जा रहा है कि यह वाइरल तस्वीर उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रिखणीखाल की है. चर्चाओं के अनुसार डाक्टरों ने कहा कि एक्सरे करने की व्यवस्था नहीं है और हड्डी रोग विशेषज्ञ अस्पताल में है नहीं, इसलिए उन्होंने बच्ची के हाथ को गत्ते में पैक कर दिया ! यह उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं की बानगी है, झांकी है. राज्य में एक प्रचंड बहुमत की सरकार है, जिसका यह दूसरा कार्यकाल है और यह घटना जहां की है,वहाँ सत्ताधारी पार्टी के विधायक हैं, साथ ही यह स्वास्थ्य मंत्री का गृह जनपद है.

 

यह भी जान लीजिये कि उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा का कोई अलग-थलग मामला नहीं है, ना ही यह अपवाद है.  बल्कि यह अपवाद न हो कर नियम है. स्वास्थ्य सेवाओं की यह बदहाली निरंतर बनी हुई है.


 

कुछ दिन पहले भी स्वास्थ्य सेवाओं की हालत पर मैंने लिखा था, जिसे इस लिंक पर पढ़ा जा सकता है : https://www.nukta-e-najar.com/2022/05/char-dham-where-is-the-arrangement-for-tr.html



फ्रेक्चर का इलाज गत्ता बांध कर करने वाला यह नायाब कारनामा तो है ही, लेकिन समाचार पत्रों में दो और खबरें हैं, जिनसे उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं की हालत समझी जा सकती है.


अल्मोड़ा से खबर है कि वहाँ के जिला अस्पताल में  आईसीयू तो है, लेकिन न तो आईसीयू संचालन करने वाले विशेषज्ञ डाक्टर हैं और ना ही अन्य स्टाफ. जिला अस्पताल में चार बेड का आईसीयू वार्ड बनाया गया है, लेकिन इसमें डॉक्टर और अन्य स्टाफ न होने से, यह सफ़ेद हाथी बना हुआ है.









एक अन्य खबर है कि हल्द्वानी में सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में डाक्टरों के प्रमोशन के बाद रिलीव होने से वहाँ स्वास्थ्य सेवाओं से संकट और बढ़ गया है. 










गौर कीजिये कि नौ में सात डाक्टरों के रिलीव होने से संकट बढ़ने की बात कही जा रही है, संकट पैदा होने की नहीं ! इसका आशय है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट तो वहाँ पहले से ही था, अब थोड़ा और बढ़ गया है. यह संकट इसलिए है क्यूंकि सुशीला तिवारी हॉस्पिटल ट्रस्ट और उसके द्वारा संचलित सरकारी मेडिकल कॉलेज डाक्टरों की कमी से जूझ रहा है. खबरों के अनुसार हलद्वानी मेडिकल कॉलेज 53 प्रतिशत से अधिक डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है यानि डाक्टरों की आधे से ज्यादा पद खाली हैं. खबर के अनुसार रेडियोलॉजी विभाग पूरी तरह से खाली हैं, इसलिए अल्ट्रासाउंड तक नहीं हो पा रहे हैं.



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बीते बरस केदारनाथ आए तो उन्होंने कहा कि सदी का  अगल दशक उत्तराखंड का होगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को तो यह भाषण के लिए स्थायी जाप मिल गया है, वे जब-तब,जहां-तहां - सदी का अगल दशक उत्तराखंड का होगा-मंत्र का जाप करते रहते हैं. प्रश्न यह है कि बिना डाक्टरों वाले मेडिकल कॉलेज और टूटी हड्डी का इलाज गत्ता बांधने के फॉर्मूले से सदी पर अपने नाम का शिलापट्ट चस्पा करने का यह ख्वाब किस आधार पर देखा और दिखाया जा रहा है ?

-इन्द्रेश मैखुरी

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