उत्तराखंड में बद्रीनाथ,केदारनाथ, गंगोत्री,यमनोत्री की
यात्रा मई महीने की प्रारम्भ में शुरू हो चुकी है. चूंकि दो साल के कोरोना प्रतिबंधों
के बाद इस वर्ष यात्रा हो रही है तो भारी भीड़ है. यात्रा शुरू होते ही बहुत सारी अव्यवस्थाओं की खबरें
में सामने आने लगी.
यह खबरें भी सामने आई की चार धाम यात्रा शुरू होने के छह दिन के भीतर ही 20 यात्रियों की मृत्यु हो गयी.
इन पंक्तियों के लिखे जाने तक यह
संख्या 23 हो चुकी है. इसमें हृदय रोग या दिल पर अधिक दबाव से मृत्यु होने की खबरें
में भी समाचार पत्रों में सामने आई. छह दिन
में इतने यात्रियों की मृत्यु की खबर के बाद पीएमओ द्वारा उत्तराखंड सरकार से इस मामले
में रिपोर्ट मांगने की खबर भी सामने आई. उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग ने भी इन मौतों
के बाद हैल्थ एडवाइजरी जारी कर दी.
इस पूरे मामले
ने उत्तराखंड और खास तौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाल स्थिति एक बार फिर जाहिर कर दी.
जिस तरह का मौसम है, उसमें लोग अस्वस्थ होंगे ही, वर्तमान जीवनचर्या के चलते हृदय रोग के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है और वे
यात्रा में भी आएंगे ही. लेकिन सवाल यह है
कि उन्हें इलाज उपलब्ध करवाने लायक इंतजाम हैं या नहीं ?
अधिकांश मौतों हृदय रोग और उससे संबन्धित जटिलताओं के
चलते हुई हैं. लेकिन यात्रा के प्रमुख पड़ावों और मार्गों पर हृदय रोग विशेषज्ञ, सरकारी अस्पतालों में तो कम से कम नहीं हैं. उत्तरकाशी के सरकारी अस्पताल
में हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं हैं. वहां एक कार्डियक यूनिट लग रही है, पर उसमें विशेषज्ञ डाक्टर की तैनाती नहीं है बल्कि एक डाक्टर को ट्रेनिंग
दे कर इस यूनिट को चलाया जाएगा. एक कार्डियक सपोर्ट एंबुलेंस यात्रा मार्ग पर तैनात
की गयी है,परंतु विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं.
टिहरी में पूरे जिले में कोई हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं हैं.
यात्रा के एक प्रमुख जिले रुद्रप्रयाग में भी हृदय रोग
विशेषज्ञ नहीं है. कार्डियक यूनिट लगने की
खबर अखबारों में है, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक की बात उस खबर
में भी नहीं है. वह कार्डियक यूनिट भी कुछ दिन में चालू होगी.
चमोली जिले में भी हृदय रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं है.
चमोली जिले के स्वास्थ्य विभाग की ओर से उत्तराखंड सरकार से चार धाम यात्रा के मद्देनजर
13 चिकित्सकों की मांग की गयी थी पर मिले महज
तीन ! इसी तरह 16 पैरामेडिकल स्टाफ और 2 ईसीजी टेक्निशियनों की मांग चमोली के लिए की
गयी,लेकिन मिला एक भी नहीं. आलम यह है
कि चमोली जिले में विशेषज्ञ चिकित्सकों के 64 पद स्वीकृत हैं और इनमें से 46 पद रिक्त
हैं.
यात्रा की तैयारियों के जितने भी बड़बोले दावे किए जाएँ, लेकिन अकेले स्वास्थ्य महकमें की हालत यात्रा तैयारियों की हकीकत बयां करने
के लिए काफी है. राज्य सरकार यदि यह समझती है कि सिर्फ स्वास्थ्य संबंधी एडवाइजरी जारी
करके ही वह अपने कर्तव्य की इतिश्री कर सकती है तो सबसे पहले तो इस खामख्याली का इलाज
करने की जरूरत है.
-इन्द्रेश मैखुरी
1 Comments
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में तक ह्रदय रोग बिशेषज्ञ नही है।
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