कॉफी का कप आपके सामने आता है और आपका जी चाहता है कि इसे पिया ना जाये, बल्कि इसे निहारते रहें. ऐसा क्यूं ? क्यूंकि कॉफी के कॉफी रंग से ऊपर झक सफ़ेद रंग में दिल की आकृति है.
लगता है कि इसे पीने लगेंगे तो सबसे पहले यह दिल की आकृति बिखर जाएगी.
दूसरे कप में पत्ती की आकृति तैर रही है. किसी समय कोई और आकृति भी तैरती हुई हो सकती
है.
महानगरों के बड़े-बड़े रेस्त्राओं में यह सामान्य
बात हो सकती है, लेकिन गैरसैंण के छोटे
से बाज़ार में यह अद्भुत बात जान पड़ती है कि वहां एक आधुनिक किस्म का रेस्तरां है, जिसे सामान्य भाषा में लोग रेस्टोरेन्ट कहते हैं. यूं कहने को तो गैरसैंण
उत्तराखंड आंदोलनकारियों के सपनों की राजधानी है पर हो वह 20-22 वर्षों में नगर पंचायत
ही सकी है.
उसी गैरसैंण में एक बहुत छोटी सी जगह में यह कलात्मक कॉफी वाला रेस्तरां है, जिसका नाम है- कैफे मिलांज.
कॉफी अलावा
केक-पेस्ट्री से लेकर पिज्जा तक इस रेस्तरां में वो सब कुछ उपलब्ध है, जो एक आधुनिक रेस्तरां में होना चाहिए.
लेकिन कॉफी लगता है, इनका विशेष जुनून है, कॉफी से इन्हें बेहद प्यार है.
इसलिए रेस्तरां की दीवारों
पर कॉफी से प्रेम का इज़हार करते कोटेशनों वाली तस्वीरें हैं.
इस रेस्तरां के मालिक, संचालक हैं, युवा सुरजीत नेगी.
सुरजीत नेगी लॉकडाउन से पहले दिल्ली में काम करते थे.
लॉकडाउन
में घर आए तो गैरसैंण में अपने हुनर और कॉफी के प्रति जुनून का जलवा बिखेरना शुरू किया.
उनका यह वेंचर सफल हो, शुभकमनाएं !
-इन्द्रेश मैखुरी
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