एक हैं आशीष मिश्रा उर्फ मोनू. ये केन्द्रीय गृह राज्य
मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र हैं. आशीष मिश्रा मोनू पर आरोप है कि उसने 03 अक्टूबर 2021 को किसान आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के
लखीमपुर जिले के तिकोनिया में उसने अपनी थार गाड़ी किसानों के ऊपर चढ़ा दी,जिसमें चार
किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गयी और कई घायल हुए. आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी हुई, लेकिन फरवरी 2022 में मिश्रा उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ से जमानत पा कर बाहर
आ गया.
देश के उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के इस फैसले
पर तीखी टिप्पणी करते हुए 18 अप्रैल 2022 को आशीष मिश्रा मोनू की जमानत रद्द कर दी
और उसे जेल में आत्मसमर्पण करने को कहा. उच्चतम न्यायालय के उक्त आदेश के बाद आशीष
मिश्रा मोनू फिर जेल चला गया.
लेकिन जेल जाने के हफ्ते भर बाद जिस तरह की खबरें सामने
आयीं, उससे लगता है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के चश्मे-चिराग
जेल नहीं, पिकनिक पर गए हैं, जहां वे फाइव
स्टार सुविधाओं का आनंद ले रहे हैं.
समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों के अनुसार आशीष मिश्रा
मोनू को जेल में गर्मी न लगे, इसके लिए चार कूलर, लखीमपुर खीरी की जेल के बैरक नंबर बीस में लगाए गए हैं. इतना ही नहीं आशीष
मिश्रा मोनू जेल का खाना नहीं खाता है बल्कि उसके लिए नाश्ता, दोपहर और शाम का खाना भी घर से आता है. पान के शौकीन आशीष मिश्रा मोनू के
लिए रोज चालीस पान भी बाहर से आते हैं. दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार आशीष मिश्रा
मोनू के जेल आने से पहले ही वहाँ नए गद्दों और चादर का इंतजाम कर दिया गया था.
लोगों को अपनी थार के पहिये तले रौंदने के जिस आरोपी को
सुप्रीम कोर्ट जमानत रद्द करके जेल भेज रहा है, उसके साथ उत्तर प्रदेश
की सरकार जेल में ऐसा वीवीआईपी बर्ताव कर रही है. ध्यान रहे कि यह वही उत्तर प्रदेश
सरकार है, जो अपने विरोधियों पर आरोप लगने मात्र पर बुलडोजर चलवा
देती है. वही उत्तर प्रदेश सरकार, लोगों को आपनौ गाड़ी तले रौंदने
के आरोपी, अपनी पार्टी के केंद्रीय मंत्री के पुत्र को जेल में
पान और कूलर की हवा खिलवा रही है ! इससे स्पष्ट है कि इस मामले में उत्तर प्रदेश की
सरकार पीड़ितों के नहीं बल्कि उन्हें अपनी पहिये तले रौंदने वालों के साथ खड़ी है और
इससे यह भी जाहिर होता है कि इस मामले में न्याय की डगर कितनी कठिन है !
-इन्द्रेश मैखुरी
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