बहुत साल पहले एक फिल्म आई “मुन्नाभाई एमबीबीएस”.
इस फिल्म का “नायक” एक गुंडा है, जो गुंडागर्दी के तरीके से ही एमबीबीएस की प्रवेश
परीक्षा पास करता है.
तब से किसी भी प्रतियोगी परीक्षा को फर्जी तरीके से
पास करने की कोशिश करने वालों को मुन्नाभाई कहने का चलन चल निकला. लगभग
दस-एक बरस पहले उत्तराखंड के हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश परीक्षा मुन्नाभाई
की तरह पास करने वाले पकड़े गए और यह सुन कर श्रीनगर(गढ़वाल) के मेडिकल कॉलेज से कुछ
बिना पकड़े ही भाग गए. बाद में यहां भी मुन्नाभाई पकड़े गए. तब कुछ लाख रुपया, मुन्ना भाई की “फीस” थी. उस समय
उत्तराखंड के सरकारी मेडिकल कॉलेज की फीस चूंकि पंद्रह हजार रुपया ही थी तो लोग बची
फीस, प्रवेश परीक्षा को सेल्फ फ़ाइनेंस करते हुए, अपने पाल्य की जगह परीक्षा देने वाले को दे दिया करते थे (कौन जाने अब भी
देते हों ) ! मालूम पड़ा कि ऐसा सिर्फ पढ़ाई में कमजोर बच्चों के अभिभावक नहीं करते,बल्कि परीक्षा का टेंशन इतना होता है कि पढ़ने में ठीक-ठाक बच्चों के अभिभावक
भी अपने बच्चों को मेडिकल की प्रवेश परीक्षा पास कराने का ठेका देने में गुरेज नहीं
करते.
मुन्नाभाई के बदले परीक्षा देने वाले “मामू लोग” का कॉन्फ़िडेंस
बहुत ही गज़ब होता है. परीक्षा दे कर हाल से बाहर निकले एक “मामू” से “मुन्ना” के गार्जियन
ने पूछा- कितने प्रश्न हल किए ? मामू ने जवाब दिया- आते सब थे, लेकिन तीन-चार छोड़ दिये. मुन्ना के गार्जियन को लगा, ये मामू उनके पैसे डुबोएगा, बोले- प्रश्न छोड़े क्यूं
? मामू ने लंबी अंगड़ाई लेते हुए जवाब दिया-पिछली बार एक परीक्षा
में पूरे प्रश्न हल कर दिया तो एक मुन्ना परीक्षा में टॉप आ गया था ! श्रीनगर(गढ़वाल)
में मुन्नाभाई प्रकरण की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने बताया था कि “मामू” लोगों के
पास अन्य चीजों के अलावा देश भर की प्रवेश परीक्षाओं का टाइम टेबल भी था ! कितनी मेहनत
करते हैं “मामू लोग”, “मुन्ना’’ को परीक्षा पास करवाने में !
उत्तराखंड में एक अधीनस्थ सेवा चयन आयोग है. उसने तो लगता है कि पेपर सेट करवाने का काम भी मामू लोगों को दे रखा है ताकि
मुन्नाओं को कोई कष्ट न हो ! हर बार परीक्षा होती है और उसके बाद सैकड़ों की तादाद में
प्रश्न रद्द करने पड़ते हैं और सबको बोनस अंक देने पड़ते हैं ! परिवार के परिवार निकलते
हैं, उनकी परीक्षाओं में !
इस मुन्नाभाई महात्म्य को जानने के बाद, अब आते हैं उस बात पर, जिसका जिक्र शीर्षक में है यानि
मुन्नाभाई की बहन पर. उत्तराखंड में आजकल पुलिस की भर्ती चल रही है. इसी पुलिस भर्ती
में हरिद्वार में दौड़ और लॉन्ग जंप में कोई अभ्यर्थी शरीक हुई तथा बॉल थ्रो में कोई
और ! पता करने पर मालूम पड़ा है कि मूल अभ्यर्थी तो बॉल थ्रो वाली है और दौड़ व लॉन्ग
जंप के लिए उसने दूसरी महिला को भेज दिया. इस तरह मुन्ना भाई की इस बहन ने पुलिस भर्ती
के आधे हिस्से के लिए अन्य महिला को ‘हायर’ किया था. मुन्ना भाई की जो यह बहन पकड़ी गयी है, समाचारों
के अनुसार उसका पति भी पुलिस में है और हरिद्वार
पुलिस लाइन में ही रहता है. यहां प्रश्न चिन्ह
तो परीक्षा आयोजित करवाने वालों पर है कि कैसे तमाम सुरक्षा इंतज़ामों को धता बताते
हुए, एक प्रवेश पत्र पर दो महिलाएं शारीरिक दक्षता परीक्षा में
पहुंच गयी ? उत्तराखंड में पुलिस भर्ती में ही पहले भी दारोगा
भर्ती घोटाला, टिहरी में रैंकर्स परीक्षा में घपला, जैसे मामले सामने आए हैं.
ईमानदारी से परीक्षा देने वालों पर ही यह ज़िम्मेदारी आन
पड़ी है कि वे देखें, उनके इर्दगिर्द मुन्नाभाई या उसकी बहन
और मामू लोगों का गैंग तो सक्रिय नहीं है, जो उसके अवसर हड़पने
की तैयारी में है !
-इन्द्रेश मैखुरी
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