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अग्निपथ /अग्निवीर : नियमित सेना से बेहतर क्या है ?

 










अग्निपथ योजना की घोषणा से देश में भारी उबाल है. युवा सड़कों पर है. देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा की खबरें भी आ रही हैं. निश्चित ही हिंसा जायज नहीं है, लेकिन सारी बहस को सिर्फ हिंसा तक नहीं समेटा जाना चाहिए.


अग्निपथ के जरिये अग्निवीर बनाने के जो योजना केंद्र की मोदी सरकार लायी है, उसकी जो भी विशेषताएं बताई जा रही है, वे बहुत आश्वस्तकारी तो नहीं प्रतीत होती हैं. नियमित सेना के मुक़ाबले तो वे सब विशेषताएं दोयम दर्जे की हैं.






कार्टून साभार : सतीश आचार्य





इस योजना के संदर्भ में कहा जा रहा है कि चार साल की फौज की ट्रेनिंग के बाद व्यक्ति अधिक अनुशासित और कुशल होगा. इस तरह वह कहीं भी नौकरी पाने के लिए अन्य की अपेक्षा अधिक योग्य होगा ! सवाल यह है कि क्या पहले जो लोग नियमित फौज में भर्ती होते थे, वे क्या कम अनुशासित और कम कुशलता हासिल कर पाते थे ? यदि नहीं तो कुशलता और अनुशासन, फौज की विशेषता न हो कर इस योजना की विशेषता कैसे है ? सवाल यह भी है कि यह फौज की भर्ती है या फिर प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र की भर्ती है ?


विशेषता के तौर पर यह भी बताया जा रहा है कि केंद्रीय पुलिस बल और राज्यों के पुलिस बल में अग्निवीरों को वरयीता दी जाएगी. अब केंद्रीय पुलिस बल में दस प्रतिशत आरक्षण की घोषणा भी कर दी गयी है. यह भी कहा जा रहा है कि निजी कंपनियां भी ऐसे कुशल अग्निवीरों को अपने यहां लेने के लिए आगे आएंगी. प्रश्न यह है कि जब ये अग्निवीर इतने दक्ष, कुशल होंगे कि वे कहीं भी हाथों-हाथ लिए जाएँगे तो जो फौज उनको इतना कुशल और दक्ष बना रही है, वह उनमें से केवल 25 प्रतिशत को ही क्यूं रख रही है, सब कुशल,दक्षों को नियमित सेवा के लिए क्यूं नहीं रख रही है ?











केंद्र सरकार की इस योजना को लेकर तैयारी यह है कि पहले दिन विरोध हुआ तो पहले बैच के लिए आयु सीमा बढ़ा कर 21 से 23 कर दिया और दूसरे दिन विरोध हुआ तो केंद्रीय पुलिस बलों में 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की गयी.


चार साल के बाद मिलने वाले पैकेज का भी बड़े धूमधाम से प्रचार किया जा रहा है. विज्ञापनी भाषा में कहा जा रहा है कि 24 साल के युवा 20 लाख की धनराशि जोड़ सकेंगे. यह बीस लाख का क्या गणित है, पता नहीं. भारत सरकार के प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) के ट्विटर हैंडल पर मौजूद प्रचार सामग्री तो कहती है कि ब्याज सहित 10.04 लाख रुपए की सेवा निधि चार साल के बाद मिलेगी जो कर मुक्त होगी. 











लेकिन इस सेवा निधि में भी 30 प्रतिशत तो अग्निवीर को ही अंश दान करना होगा. यानि जो वह अग्निवीर नौकरी करेगा, उसके एवज में मिलने वाले वेतन का तीस प्रतिशत, वह उस सेवा निधि में जमा करेगा, जो सेवा पूरी होने पर सरकार की उपलब्धि के तौर पर उसे दी जाएगी ! यह बड़े कमाल का गणित है !


 इस बीच अग्निपथ योजना के समर्थन के लिए दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत का एक पुराना वीडियो चलाया जा रहा है, जिसमें वे कह रहे हैं कि फौज नौकरी नहीं मिशन है. जनरल रावत का हवाला दे कर सरकार परस्त  ताना दे रहे हैं कि जिसे नौकरी चाहिए, वह कहीं और जाये ! अगर मसला ऐसा ही है तो केंद्र सरकार और उसकी प्रचार एजेंसियां, अग्निवीरों के पैकेज का ज़ोरशोर से ढोल क्यूं पीट रही हैं ?


प्रचार अभियान में कहा जा रहा है- आप में से कितने हैं, जो 24 साल में सैटल हो जाते हैं ? 24 साल में यदि अग्निवीर सैटल हो रहे होते तो केंद्रीय पुलिस बल, राज्यों के पुलिस बलों और निजी कंपनियों की नौकरियों  का झुनझुना उन्हें नहीं थमाना पड़ता. हकीकत यह है कि आज की चरम मंहगाई के दौर में बेहद मामूली से धनराशि के साथ 24 वर्ष का युवा जब फौज से रिटायर हो कर आएगा तो उसके सामने एक असुरक्षित भविष्य होगा, जिसमें पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा भी उसके हाथ में नहीं होगी !


इन सारी बातों से महत्वपूर्ण बात यह है कि दक्षता, अनुशासन, सैलरी पैकेज आदि में से ऐसी क्या है, जो अब तक नियमित सेना के तौर पर मिलने वाली चीजों से इस चार वर्षीय अग्निपथ के अग्निवीरों को अधिक मिल रहा है ? इसका जवाब है कुछ भी नहीं. यहां तक कि नियमित सैनिकों के मुक़ाबले ट्रेनिंग भी अंश भर ही होगी. नियमित सैनिकों को मिलने वाली ट्रेनिंग के मुक़ाबले इन अग्निवीरों को मिलने वाली छह महीने की ट्रेनिंग, एक तरह का क्रैश कोर्स होगा ! क्रैश कोर्स के जरिये सेना और युवाओं के भविष्य को क्रैश करने की योजना का नाम है- अग्निपथ !


-इन्द्रेश मैखुरी     

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