बीते दिनों एक वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वाइरल हुआ, जिसमें एक युवा फुटबॉल खिलाड़ी, एक असंभव सा दिखने वाला गोल कर रहा है. वीडियो में दिख रहा है कि युवा फुटबॉलर कॉर्नर से बॉल को किक मार कर सीधे गोल में पहुंचा दे रहा है.
फुटबॉल में ऐसे गोल को ओलंपिक गोल
कहा जाता है. न्यूज़ पोर्टल लल्लनटॉप के अनुसार अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में डेविड बेखम
और रोनाल्डिन्हो जैसे खिलाड़ी यह कारनामा कई बार
कर चुके हैं. लेकिन जिस युवा फुटबॉलर का वीडियो वाइरल हो रहा है, वह कोई चर्चित खिलाड़ी
नहीं बल्कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी का रहने वाला हेमराज जोहारी है.
हेमराज ने यह वाइरल गोल, मुनस्यारी के जोहार क्लब द्वारा आयोजित एक टूर्नामेंट
के दौरान किया.
यह वीडियो
इस कदर वाइरल हुआ कि 09 जून को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस
वीडियो को ट्वीट किया. अपने ट्वीट में मुख्यमंत्री ने लिखा कि “उत्तराखण्ड राज्य में युवा प्रतिभा की कोई कमी नही है, सीमांत क्षेत्र
मुनस्यारी के हेमराज जौहरी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। राज्य सरकार नई खेल नीति के
माध्यम से ऐसे प्रतिभावान युवाओं को उचित मंच प्रदान करने का कार्य कर रही है।
हेमराज को उज्ज्वल भविष्य हेतु ढेरों शुभकामनाएं।”
मुख्यमंत्री के ट्वीट के बाद हेमराज का भी एक वीडियो आया. वीडियो में इस युवा
खिलाड़ी ने कहा- “मैं 10
साल की उम्र से
फुटबॉल खेलता आ रहा हूं. पहले मेरे पास फुटबॉल के जूते नहीं थे. मुझे मुनस्यारी
बॉयज़ ने फुटबॉल के बूट्स दिए. मेरे सभी कोच ने मुझे बहुत सिखाया. इसके बाद मेरा
महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में चयन हुआ. मेरे आगे बढ़ने मे मेरे पिता का बहुत
सपोर्ट रहा हैं. मैं मुख्यमंत्री जी से कहना चाहता हूं कि मुनस्यारी में जोहार
क्लब को छोड़कर एक और ग्राउंड बनवा दें. ताकि और बच्चे भी अच्छे से खेल पाएं और
अपना हुनर भी दिखा पाएं.”
वीडियो वाइरल होने के बाद हेमरज को उत्तराखंड का पेले, मैरडोना, मेसी, रोनाल्डो आदि उपमाओं
से नवाजा जा रहा है. जैसा कि उल्लेख किया जा चुका कि वाइरल वीडियो की बहती गंगा में
हाथ धोते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हेमराज
को बधाई देते हुए प्रकारांतर से अपनी सरकार की पीठ भी थपथपा डाली.
यहीं से सवाल खड़ा होता है कि हेमराज का कारनामा तो बेमिसाल
है पर उत्तराखंड में ऐसी खेल प्रतिभाओं को सँवारने, तराशने और आगे
बढ़ाने के क्या मंच और सुविधाएं हैं ?
फुटबाल की ही बात करें तो राज्य बने 22 साल हो गए और उत्तराखंड
राज्य फुटबॉल एसोसिएशन, इन 22 सालों में स्टेट
लीग तक नहीं करवा सकी है.अखिल भारतीय फुटबॉल एसोसिएशन के
संविधान के अनुसार हर सम्बद्ध राज्य एसोसिएशन को हर आयु वर्ग तथा महिला -पुरुष दोनों
ही श्रेणियों में लीग करानी होती है. लेकिन
उत्तराखंड में लगता है कि यह संविधान लागू नहीं होता.
अखिल भारतीय फुटबॉल एसोसिएशन के नियमों के अनुसार राज्य फुटबॉल एसोसिएशन की राज्य के 70 प्रतिशत जिलों में सक्रिय इकाइयां होनी चाहिए और हर इकाई के 6 फुटबॉल क्लब होने चाहिए.
अखिल भारतीय फुटबॉल
एसोसिएशन की वैबसाइट पर जो उत्तराखंड राज्य फुटबॉल एसोसिएशन का ब्यौरा है, उसके अनुसार पंजीकृत जिले
13 हैं, मान्यता प्राप्त क्लब 40 हैं और कुल पंजीकृत खिलाड़ियों की संख्या 1180 है.
लेकिन अगर अखिल भारतीय फुटबॉल एसोसिएशन के मानकों के हिसाब से चलें तो तेरह जिलों में
प्रति जिले में छह क्लब होने चाहिए यानि राज्य में कुल क्लबों की संख्या कम से कम 78
होनी चाहिए. देहरादून ऐसा जिला है, जहां 30 से अधिक फुटबाल
क्लब हैं. इस तरह देखें तो 12 जिलों में छह फुटबाल क्लब और देहरादून में 30 क्लब तो
यह संख्या बैठती है- 102. खिलाड़ियों के मामले में भी पंजीकृत संख्या बताई गयी है- 1180.
जबकि 11 खेलने वाले खिलाड़ी और तीन अतिरिक्त खिलाड़ी मान लिए जाएँ तो प्रति क्लब खिलाड़ियों
की संख्या होगी 15 और 102 क्लबों के खिलाड़ियों की संख्या होनी चाहिए- 1530. लेकिन सब
कुछ गुपचुप और मनमाने तरीके से चल रहा है, इसलिए कोई पूछने वाला
नहीं है.
राज्य खेल संघों पर कब्जे का खेल उत्तराखंड में निरंतर
चलता रहता है. उत्तराखंड के खेल संघों के भ्रष्टाचार के खिलाफ निरंतर अभियान चलाने
वाले वरिष्ठ पत्रकार राजू गुसाईं बताते हैं कि उत्तराखंड फुटबॉल एसोसिएशन पर बाहरी
कब्जे की इंतहा यह है कि एक समय महाराष्ट्र के एक आरटीओ, उत्तराखंड फुटबॉल एसोसिएशन
के अध्यक्ष हो गए. विभिन्न जिलों में उत्तराखंड फुटबॉल एसोसिएशन के अध्यक्ष वो हैं
जो अध्यापक या किसी अन्य सरकारी नौकरी में देहरादून में पोस्टेड हैं ! यह हालत तो राज्य
के अधिकांश खेल संघों की है कि उनकी अधिकांश गतिविधियां तीन जिलों- देहरादून, उधमसिंह नगर और नैनीताल
जिले में केन्द्रित हैं. उत्तराखंड में बॉक्सिंग हो या तैराकी, अधिकांश खेल संघों पर
बाहरी राज्यों के व्यक्तियों का कब्जा है और कतिपय खेल संघ तो पारिवारिक व्यवसाय की
तरह संचालित हो रहे हैं. भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन का नियम है कि स्थानीय खेल संघों का
संचालन स्थानीय लोगों द्वारा किया जाना चाहिए. लेकिन उत्तराखंड के खेल संघों की कमान
दिल्ली, हरियाणा से लेकर महाराष्ट्र वालों तक के हाथ रही है. ऐसे लोगों के भी हाथ है, जो रिश्वत देने के आरोप
में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए हैं.
इसलिए मुख्यमंत्री जी, सिर्फ हेमराज के गोल पर
रीझ कर ट्वीट कर देने भर से बात नहीं बनेगी. खेल संघों में जिस तरह के काले खेल चल
रहे हैं, यदि उनपर लगाम नहीं लगाई गयी तो न जाने कितने हेमराजों का भविष्य या तो शुरू
होते ही दम तोड़ देगा या भविष्य सँवारने के लिए उन्हें अन्य प्रदेशों की तरफ रुख करना
पड़ेगा, जैसा कि फुटबाल एवं अन्य खेलों में उदयीमान खिलाड़ी कर ही रहे हैं.
-इन्द्रेश मैखुरी
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