अल जज़ीरा ने खबर दी है कि संयुक्त अरब अमीरात ने
दो गुप्ता बंधुओं- राजेश गुप्ता और अतुल गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया है. खबर के अनुसार
दक्षिण अफ्रीका के न्याय मंत्रालय ने कहा कि “वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि उन्हें
संयुक्त अरब अमीरात के न्याय प्रवर्तन अधिकारियों
से इस बात की जानकारी मिली है कि न्याय के भगौड़ों- राजेश गुप्ता और अतुल गुप्ता को
गिरफ्तार कर लिया गया है.
कौन हैं ये गुप्ता बंधु ? अजय, अतुल और राजेश गुप्ता मूल रूप से उत्तर प्रदेश
के सहारनपुर के रहने वाले हैं. दक्षिण अफ्रीका
में इन्होंने व्यापार शुरू किया. व्यापार करते-करते इन्होंने ऐसा कारनामा किया कि पूरे
दक्षिण अफ्रीका के संसाधनों पर ही कब्जा कर लिया. दक्षिण अफ्रीका के इनके इस करनामें
को कहा गया- “स्टेट कैप्चर” यानि राज्य पर कब्जा ! भ्रष्टाचार का यह कितना बड़ा कारनामा
होगा, इसका अंदाजा, इस करनामें के लिए प्रयुक्त
शब्द “स्टेट कैप्चर” से लगाया जा सकता है.
दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जैकब जुमा को पूरी
तरह शीशे में उतार कर, इन्होंने दक्षिण अफ्रीका में जो चाहा, वो किया. आरोप है कि गुप्ता
बंधुओं ने तत्कालीन राष्ट्रपति जैकब जुमा से निकटता का लाभ उठाते हुए 500 बिलियन
रैंड यानि लगभग 37 बिलियन डॉलर, दक्षिण अफ्रीका के सरकारी
खजाने से भ्रष्ट तरीकों से हड़प लिए. जैकब जुमा के साथ गुप्ता बंधुओं के भ्रष्ट गठबंधन
को लोगों ने दक्षिण अफ्रीका में- जुप्तास- नाम दिया.
2016 में दक्षिण अफ्रीका में गुप्ता बंधुओं के द्वारा
दक्षिण अफ्रीका में की गयी लूट का खुलासा होने लगा तो वे वहाँ से फरार हो कर दुबई आ
गए. 2018 में गुप्ताओं के साथ भ्रष्टाचार में लिप्त रहने के चलते जैकब जुमा को राष्ट्रपति
पद छोड़ना पड़ा और जुमा को जेल भेज दिया गया.
2018 से दक्षिण अफ्रीका यह प्रयास कर रहा था कि संयुक्त अरब अमीरात के साथ प्रत्यर्पण संधि हो जाये ताकि
गुप्ता बंधुओं को वापस ला कर उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार का मुकदमा चलाया जा सके. 2021
में दक्षिण अफ्रीका की संयुक्त अरब अमीरात के साथ प्रत्यर्पण संधि हो गयी. साल भर पहले
इंटरपोल ने गुप्ता बंधुओं के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था.
अब आइए यह समझते हैं कि शीर्षक में गुप्ता बंधुओं की गिरफ्तारी
के संदर्भ में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत का उल्लेख क्यूँ है
? दरअसल त्रिवेन्द्र रावत के मुख्यमंत्री रहते ही गुप्ता बंधुओं की एक आलीशान
शादी औली में कराई गयी थी. त्रिवेन्द्र रावत की नेतृत्व वाली सरकार ने गुप्ता बंधुओं
की शादी करवाने के लिए उच्च न्यायालय में हलफनामा
देकर औली के बुग्याल होने से ही इंकार कर दिया था.
मुख्यमंत्री रहते हुए त्रिवेंद्र रावत बार-बार भ्रष्टाचार
के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस के सूत्र का जाप करते रहते थे. ये हैरत में डालने वाली बात
है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस वाले मुख्यमंत्री ने 2019 में एक ऐसी शादी
का आयोजन करवाया, जो एक देश के आर्थिक अपराध के भगौड़ों
के परिजनों की शादी थी. सनद रहे कि उस समय यही प्रचारित किया गया कि वह 200 करोड़ रुपये
की शादी, औली में त्रिवेंद्र रावत के ही ज़ोर देने पर हो रही है.
त्रिवेंद्र रावत द्वारा औली में करवाया गया आयोजन वैसा
ही था, जैसे कि कोई अन्य देश,हमारे देश के आर्थिक अपराध के
भगौड़ों-विजय माल्या, नीरव मोदी या मेहुल चौकसी का कोई भव्य आयोजन
करवा दे !
जब आर्थिक अपराध के लिए संयुक्त अरब अमीरात ने गुप्ता
बंधुओं को गिरफ्तार कर लिया है तो इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि उत्तराखंड में 2019
में इन कुख्यात गुप्ता बंधुओं की शादी के एवज में उन्हें कोई अन्य आर्थिक लाभ या जमीन
आदि तो नहीं दी गयी. यदि ऐसा किया गया तो उस संपत्ति को तत्काल जब्त किया जाना चाहिए.
-इन्द्रेश मैखुरी
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